Sunday, July 22, 2018

Raina@Midnight-Conclusion



Prologue
इशानी ने अपने जीवन में खुशियों का मुंह बहुत कम ही देखा था| जिस समय उसके पिता की मृत्यु हुई इशानी महज पांच साल की थी| पिता की मृत्यु के बाद फॅमिली बिज़नस खस्ता हाल हो गया| उसके बड़े भाई और माँ ने बिज़नस संभालने की भरसक कोशिश की लेकिन गरीबी उनके दामन से यूं ही चिमटी रही जैसे जूतों से गीला तारकोल चिपक जाए तो नहीं छूटता| उसका बचपन गम और दुश्वारियों की गोद में झूलते हुए कब अचानक ही बीत गया इसका एहसास इशानी को तब हुआ जब उसकी माँ और भाई तथाकथित गुरूजी की शरण में आए|

तंगहाली और भारी कर्ज़ के बोझ से दबे हुए उनका परिवार जब गुरूजी की शरण में पहुंचा तब गुरूजी ने उद्घोषणा की कि वो उस परिवार के तारणहार बनेंगे| केवल और उसकी माँ गुरु जी के चरण छोड़े नहीं छोड़ रहे थे लेकिन गुरूजी की बाज निगाहें दूर खड़ी तेरह वर्षीय इशानी के जिस्म को टटोल रही थीं| ऊपरवाले ने लड़कियों को ये कुदरती नियामत बक्शी है कि वो देखने वाले की नज़रों के पीछे छुपी नियत भांप लेती हैं| इशानी की नज़रों ने भी भांप लिया था कि उसके परिवार की दुश्वारियां मिटाने की कीमत गुरूजी उससे वसूलना चाहता है|

अगले एक साल में गुरूजी के दावे को सच साबित करते हुए केवल का बिज़नस आसमानी ऊंचाइयां छूने लगा, इसमें बड़ा हाथ गुरूजी के उन हाई-प्रोफाइल बिज़नसमेन भक्तों का भी था जिन्होंने केवल की फर्म के साथ गुरूजी के आदेश पर बिज़नस अंडरटेकिंग की अन्यथा सामान्य अवस्था में वो हाईप्रोफाइल क्लाइंट्स ऐसे किसी लो स्टेटस फर्म की ओर झांकते भी नहीं| जो भी हो, चमत्कार तो ये गुरु जी का ही था| केवल और उसकी माँ की श्रद्धा गुरूजी में और अगाध हो गई| इशानी अब चौदह साल की हो गई थी| एक दिन अचानक ही गुरूजी के शिष्य का कॉल आया और केवल को उसकी माँ-बहन समेत गुरूजी के आश्रम पहुँचने का आदेश हुआ| केवल और उसकी माँ पूरे रास्ते हाय-फाफे करते रहे कि जाने क्या बात हो गई लेकिन इशानी खामोश बैठी थी| उसे अंदेशा था कि उन्हें किस लिए आश्रम बुलाया जा रहा है|

आश्रम पहुंचकर उसके शक की पुष्टि तब हो गई जब गुरूजी ने केवल को समझाते हुए कहा कि उस समय कोई ख़ास लग्न मुहूर्त चल रहा है जिसमे विशिष्ट अनुष्ठान करने से उसके बिज़नस में बड़ा लाभ होगा और उन्हें अकूत धन प्राप्ति होगी| क्योंकि उस घर में इशानी के रूप में भगवती का वास है इसलिए अनुष्ठान में गुरूजी के साथ सिर्फ इशानी बैठेगी| इशानी जानती थी कि उसकी माँ और भाई की आखों पर दौलत की जो चकाचौंध चादर पड़ी है उससे पार उन्हें गुरूजी का भेड़िये सरीखा हैवान रूप नहीं नजर आएगा जो इशानी के नर्म मांस को भभोड़ने के मंसूबे बना रहा है| इशानी उस छोटी उम्र में ही ये समझ चुकी थी कि उसकी मुहाफ़िज़ वो खुद है|

इशानी को एक अकेले कमरे में बिठाया गया| वहां बैठने के लिए एक ही खाट थी, हवन-अनुष्ठान के कमरे में खाट होने का मतलब इशानी अच्छी तरह समझती थी| उस कमरे में ऐसी सामग्री और माहौल था जैसे कोई अनुष्ठान होने वाला हो| कमरे में एक सराउंड साउंड सिस्टम था जिसपर जोर-जोर से मंत्रोच्चारण का ऑडियो प्ले हो रहा था| उस ऑडियो का शोर इतना ज्यादा था कि कमरे के अन्दर ना बाहर की आवाज़ आ सकती थी ना ही कमरे की कोई आवाज़ बाहर जा सकती थी|

कुछ देर बाद गुरूजी अन्दर आया और कमरे का दरवाज़ा उसने अंदर से बंद कर लिया| कमरे की खिड़कियाँ पहले ही बंद थीं| गुरूजी की चाल में उस घड़ी बेहद इत्मीनान था जैसे किसी भेड़िये की चाल में होता है जब वो मेमने को एक बंद कोने में घेर चुका होता है|
'घबराओ मत बच्ची, हम तुमको भयभीत नहीं करना चाहते...भयमुक्त करना चाहते हैं'| गुरूजी खाट पर इशानी के बिलकुल करीब बैठ गया| स्पीकर के शोर में उसकी आवाज़ इशानी को साफ़ सुनाई दे इसलिए वो इशानी के ऊपर झुक गया|
'तुम्हारे और तुम्हारे परिवार के सुनहरे भविष्य के द्वार इस बंद कमरे से ही खुलेंगे बच्ची'| बोलते हुए गुरूजी आहिस्ता से अपना हाथ इशानी की जांघ पर रख दिया और हौले से उसकी स्कर्ट ऊपर को सरकाने लगा|
ठीक उसी समय इशानी का शरीर हरकत में आया| अपनी हथेली में छुपाया हुआ पेंसिल शार्प करने वाला स्क्रेपर ब्लेड उसने फुर्ती से गुरूजी के गले में धंसा दिया| दर्द की तीव्र लहर उसके शरीर में उठी और गले से एक बहुत ही महीन खून की धार खिंच गई|
गुरूजी इशानी पर झपटने की कोशिश करता उससे पहले ही उसके दूसरे हाथ में वैसा ही स्क्रेपर ब्लेड चमचमाया जोकि उसने गुरूजी के हाथ की कलाई पर उभरी नसों से लगा दिया| बुढ्ढे के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं, माथे पर पसीना चुहचुहा आया| रगों में कुछ पल पूर्व ही उबाल मारता खून जैसे सर्द होकर जम गया|

'लिसेन यू सन ऑफ़ ए बिच! मैं तुझ जैसों की जात अच्छी तरह पहचानती हूँ| तू मेरे भाई और माँ को बेवकूफ बना सकता है मुझे नहीं'|

'नादानी मत कर बच्ची, मुझे मार कर तू बच नहीं पाएगी'|

'तुझ जैसे घिनौने दरिन्दे को जिंदा नहीं छोड़ना चाहिए, लेकिन मैं अपना भविष्य, अपनी जिंदगी तेरे जैसे नाली के कीड़े को मारकर जेल की दीवारों में सर फोड़ते नहीं बिताना चाहती'| 

इशानी के हाथ मे थमे स्क्रेपर ब्लेड्स गुरुजी की गर्दन और कलाई पर लगे हुए थे। वो हिलने की कोशिश भी करता तो ब्लेड अपना काम कर जाते। 

'आज तुझे छोड़ दिया लड़की...लेकिन एकदिन तेरा शिकार करूंगा, बाहत ही इत्मीनान में तबियत से करूंगा, भगा-भगा कर करूँगा और स्वाद ले-ले कर खाऊंगा। उस दिन तुझे बचाने वाला कोई ना होगा'। गुरुजी के भिंचे दांतों से ज़हर से लिसड़े शब्द निकले।

इशानी बाहत मुश्किल से अपने हाथ मे थमे ब्लेड्स को हरकत में लाने से रोक पाई।

उस दिन के बाद गुरुजी ने इशानी पर घात ना लगाई, लेकिन उसकी माँ और भाई पर अपनी कृपादृष्टि बनाए रखी।
दुनिया के हर मर्द के अंदर एक भेड़िया होता है। किसी के अंदर खूंखार, किसी मे शांत तो किसी के अंदर सोया हुआ। गुरुजी के अंदर का भेड़िया जितना हिंसक था उतना ही धैर्यवान भी था। 

इशानी जानती थी कि गुरुजी उसके शिकार का मंसूबा दिन-रात बना रहा था और एक नया एक दिन वो हमला ज़रूर करेगा।
• • •
शशांक की मौत कार्डियक अरेस्ट से हुई थी इस बात की पुष्टि पुलिस के साथ आई फॉरेंसिक टीम ने कर दी। डेड बॉडी पोस्टमोर्टेम के लिए ले जाने को एम्बुलेंस कॉटेज के आगे खड़ी हुई थी| एक हवलदार की निगरानी में दो हॉस्पिटल स्टाफ शशांक की बॉडी रूम से निकाल रहे थे| प्रत्युष और विकास वहां तफ्तीश को पहुंचे इंस्पेक्टर से बात कर रहे थे

प्रत्युष ने ही फ़ोन कर के पुलिस को बुलाया था और रैना को सख्त हिदायत दी थी कि जबतक वो ना कहे उसे कुछ भी नहीं बोलना है|
रैना का सर दर्द से बुरी तरह फट रहा था| कुछ पल के लिए उसे ऐसा लगा जैसे वो कोई भयानक सपना देख रही है और जब उसकी आँख खुलेगी तो सबकुछ ठीक हो जाएगा| अपनी इस खुशफहमी में ही रैना ने अपनी आखें बंद की, उसे शशांक और रानी नजर आये| एक-दूसरे के नग्न जिस्म से लिपटे हुए, पसीने से तर-बतर, हाँफते हुए दोनों उसे ही घूर रहे थे
रैना ने चौंक कर आखें खोली, सामने प्रत्युष खड़ा था|  
'वो पुलिस इंस्पेक्टर तुम्हारा बयान लेना चाहता है| उसके बाद तुम यहाँ से जा सकती हो'| प्रत्युष रैना को समझाते हुए बोला|
प्रत्युष ने इस बात का पूरा ध्यान रखा कि रैना को वहां से जल्द से जल्द रवाना कर दिया जाए।
'मैं तुम दोनों को इस मुसीबत में छोड़ कर नही जाऊंगी' 
'यहां फॉर्मेलिटीज में टाइम लगेगा रैना। शशांक की बॉडी भी लेनी है पोस्टमार्टम के बाद और...' बोलते हुए प्रत्युष बीच मे ही रुक गया।
'और क्या'?
'हम पुलिस को रानी वाला एंगल नही बता सकते। अभी तो ये एक्सीडेंटल डेथ का केस है, अगर यक्षिणी, भूत-चुड़ैल और पैरानॉर्मल का राग शुरू किया तो लम्बे जाएंगे'। विकास प्रत्युष की बात कम्पलीट करते हुए बोला।
रैना के चेहरे पर जैसे राख पुत गई।
'फिर क्या करेंगे? पुलिस तो सवाल करेगी ही'
'शशांक की डेथ में पुलिस को अबतक किसी भी फाउल-प्ले की गुंजाईश नहीं दिखी है| शशांक रात को हेविली ड्रंक था| पुलिस का यही मानना है कि अल्कोहल और सेक्स की ओवर एक्साइटमेंट में उसका कार्डियक अरेस्ट हो गया'| प्रत्युष गंभीर भाव से बोला|
'पुलिस ने ये नहीं पूछा कि शशांक किसके साथ फिजिकली इंटिमेट था जब उसकी डेथ हुई'? रैना ने सशंकित भाव से कहा|
प्रत्युष और विकास कुछ पल एक-दूसरे का मुंह देखते रहे|
'हमने पुलिस को यही बताया है कि कल रात तुम शशांक के साथ थी| इसीलिए वो इंस्पेक्टर तुम्हारा स्टेटमेंट लेगा| तुम्हे बस इतना कहना है कि कल रात तुम दोनों ने साथ में ड्रिंक और सेक्स किया फिर जब तुम्हे लगा कि शशांक सो गया है तब तुम अपने रूम में वापस चली गई'| प्रत्युष झिझकते हुए बोला|
'व्हाट!! व्हाट नॉनसेंस इज़ दिस! हाऊ कुड यू...' रैना बुरी तरह भड़क गई|
उसकी आवाज़ पर हवलदार का ध्यान उसकी ओर गया| प्रत्युष और विकास ने रैना को आवाज़ नीचे रखने का इशारा किया|
'प्लीज ट्राय टू अंडरस्टैंड रैना, देयर इज़ नो अदर वे आउट'| विकास फुसफुसाते हुए बोला|
'आय डोंट गिव ए डैम'!!
'ठीक है! तो तुम ही बताओ हम पुलिस से क्या कहें? ये कि एक भटकती आत्मा, एक यक्षिणी हमें यहाँ लाई थी और उसने ही पहले शशांक को रिझाया फिर उसके साथ सेक्स करके उसकी जान ले ली| डू यू इवन रियलाइज़ हाऊ रिडिक्युलस दिस साउंड्स'!! प्रत्युष की आवाज़ धीमी लेकिन सख्त थी|
रैना उसका प्रतिवाद करती उससे पहले ही वो इंस्पेक्टर उसे अपनी तरह आते दिखा| अब वाद-प्रतिवाद का समय नहीं था
'मिस रैना प्रधान| कल रात क्या हुआ था'? इंस्पेक्टर की आवाज़ रूखी और शुष्क थी| प्रत्युष और शशांक के दल उनकी पसलियों पर धाड़-धाड़ चोट कर रहे थे| क्या जवाब देने वाली थी रैना?
'वी वर जस्ट हैविंग सम फन दैट्स ऑल ऑफिसर'! रैना अपने कंधे उचकाते हुए बोली| वो इतनी कैजुअल दिख रही थी और साउंड कर रही थी कि उसकी एक्टिंग देख कर प्रत्युष और विकास के मुंह खुले रह गए|
'डिटेल! आय नीड योर स्टेटमेंट इन डिटेल'| 
'ओके! वी हैड ए कपल ऑफ़ ड्रिंक्स अराउंड मिड-नाईट, देन वी डिसाइडेड टू हैव सम फन| यू अंडरस्टैंड फन इंस्पेक्टर'? रैना ने अपने भोले से चेहरे पर बेपनाह मासूमियत लाते हुए कहा लेकिन उसकी आखों में ज़माने भर की शरारत थी| 'फन' को डिसक्राइब करने के लिए उसने अपने दोनों हाथों से भद्दा इशारा किया| इंस्पेक्टर के छक्के छूट गए, उसे लगा उसके कानो से धुंआ निकलने लगेगा|
'फ...फिर क्या हुआ'|
'हम दोनों शशांक के रूम में गए, वी वांटेड टू मेक लव एंड वांटेड इट टू लास्ट लॉन्ग'| रैना अपनी आवाज़ में मादकता लाते हुए बोली| इंस्पेक्टर को अपना गला सूखता महसूस हो रहा था|
'सो बोथ ऑफ़ अस हैड एफिड्रीन टू मैक्सिमाईज़ द एक्सपीरियंस'| रैना आँख मारते हुए बोली|
'व्हाट! यू गाइस हैड एफिड्रिन आफ्टर कनज्युमिंग अल्कोहल'!! इंस्पेक्टर के कान खड़े हो गए|
प्रत्युष और विकास कभी एक-दूसरे का तो कभी रैना का मुंह ताक रहे थे|
'रैना! ये क्या बोल रही....' विकास ने रैना को टोकने की कोशिश की|
'बीच में मत बोलना! लडकी को बोलने दो'! इंस्पेक्टर की आवाज़ में धमकी का पुट विकास ने साफ़ महसूस किया था| उसने चुप रहने में ही भलाई समझी|
' तुम साले रईस माँ-बाप की बिगड़ी औलादें हो! किसी और की जिंदगी तो दूर तुमलोगों को खुद की जिंदगी की कोई कीमत नहीं है| जरा से मौज-मजे, किक, सेक्सुअल ओवरड्राइव के लिए किसी भी हद तक जा सकते हो तुमलोग'!! इंस्पेक्टर तीनो को झाड़ते हुए बोला
'सर लेट मी एक्सप्लेन'| प्रत्युष विनती करते हुए बोला|
'टेक योर एक्सप्लेनेशन एंड शोव इट अप योर ऐस'!|इंस्पेक्टर इस कदर गरजा कि वहां सन्नाटा छा गया|
'एफिड्रिन एक घातक और इल्लीगल ड्रग है जो एक्सटेसी बनाने में यूज़ होता है...जिसे तुम आजकल के लौंडे-लौंडिया लव पिल्स बोलते हैं| हैवी डोज़ ऑफ़ अल्कोहल, एफिड्रिन और उसके बाद पलंगतोड़ सेक्स| इतना एक्सट्रीम प्रेशर हार्ट बर्दाश्त नहीं कर पाया और लौंडे का कार्डियक अरेस्ट हो गया'| बाकी पोस्टमॉर्टेम की रिपोर्ट से पता चल ही जाएगा कि असली मांजरा क्या है| रिपोर्ट्स आने तक तुमलोग मुन्नार छोड़कर नहीं जाओगे'|
इंस्पेक्टर ने हुक्म दनदनाया और वहां से जाने लगा|
'सर! ये सबकुछ एक मिसहैपनिंग है| वी विल रियली बी थैंकफुल अगर आप इस मसले को रफा-दफा कर दे| बदले में आपका ख्याल रखने की ज़िम्मेदारी हमारी'| प्रत्युष बगुले की तरह इंस्पेक्टर के पीछे लपका|
प्रत्युष की पेशकश सुनकर इंस्पेक्टर रुक गया| दो क्षण उसने प्रत्युष को यूं देखा जैसे आखों से ही एनकाउंटर कर डालेगा, फिर उसके अधरों पर हल्की सी मुस्कान उभरी|
'तुम समझदार लगते हो| मेरे साथ आओ'| इंस्पेक्टर प्रत्युष को लेकर एक तरफ चला गया|
'ये सब क्या है रैना! ये एफिड्रिन का क्या चक्कर है'? विकास रैना के पास आते हुए बोला|
रैना ने अपने जीन्स की जेब से एक छोटी सी दवा की शीशी निकाल कर विकास की तरफ बढाई| विकास ने शीशी उसके हाथ से ले ली| वो एफिड्रिन की जेनेरिक शीशी थी|
'ये मुझे सुबह शशांक के साइड टेबल पर रखी दिखाई दी थी'| रैना ने कहा|
'तुमने बताया क्यों नहीं'!
'मौका नहीं मिला| प्रत्युष पुलिस को पहले ही कॉल कर चुका था| फिर अभी मैं कुछ कहती उससे पहले ही तुमलोगों ने मेरे शशांक के साथ होने का बखेड़ा खड़ा कर दिया'|
'लेकिन तुम्हे ये एफिड्रिन वाली बात पुलिस को बताने की क्या ज़रूरत थी| अब वो इंस्पेक्टर बेवजह ही हमारे सर पर टंटा करेगा'!
'वो इसलिए बेवकूफ इंसान क्योंकि तुम दोनों पहले ही ये एनाउंसमेंट कर चुके थे कि रात को मैं शशांक के साथ थी| अब अगर मैं एफिड्रिन के बारे में इंस्पेक्टर को नहीं बताती और पोस्टमॉर्टेम रिपोर्ट में ये ड्रग कॉज ऑफ़ डेथ के रूप में पाई जाती तो सोचो क्या होता'| रैना विकास को लताड़ते हुए बोली|
'अरे हाँ यार, सोचने वाली बात तो है ये| वैसे भी तुमने एन टाइम पर सिचुएशन संभाल ली| इतनी गज़ब की नेचुरल एक्टिंग की कि एक मिनट को लगा जैसे वाकई रात को शशांक के साथ रानी नहीं तुम थी'|
'बकवास मत करो'!
'आय एम सॉरी'!!
'काम हो गया| ऊपर वाले को थैंक्यू बोलो कि इंस्पेक्टर घूसखोर निकला'| प्रत्युष पसीना पोंछते हुए उनके पास आया| उसके चेहरे पर राहत के भाव थे|
'मतलब अब यहाँ से निकल सकते हैं'? विकास के चेहरे पर भी आशावादी चमक उभरी|
'अभी नहीं| पहले पोस्टमॉर्टेम तो हो जाए| शशांक की बॉडी भी लेनी है| उसके घर फोन कर दिया है मैने, कल सुबह तक शशांक के माँ-पापा यहाँ आ जाएंगे| दो दिन तो कम से कम लगेंगे यहाँ से निकलने में'| प्रत्युष सोचपूर्ण ढंग से बोला|
'गुड! उस डायन को ढूँढने के लिए दो दिन बहुत हैं'| रैना जैसा खुद से ही बात करते हुए बोली|
'हम कुछ भी कर लें रानी को नहीं ढूंढ सकते| जिसका कोई अस्तित्व नहीं है उसे कैसे ढूंढेंगे...'
'ओ प्लीज! डोंट यू गाइस स्टार्ट दैट क्रेप अगेन! डायन और यक्षिणी को सेक्सुअल प्लेज़र के लिए एक्सटेसी पिल्स की ज़रूरत कबसे पड़ने लगी'!
'उसे पिल्स की ज़रूरत अपने लिए नहीं थी रैना, शशांक को मारने के लिए थी'|
'क्यों? वो तो यक्षिणी थी ना! फिर उसे ड्रग की क्या ज़रूरत, शशांक का खून पी जाती'!
'तुम समझ नहीं रही हो रैना! उसने इतने स्वाभाविक ढंग से शशांक को मारा है कि हम चाह कर भी किसी के सामने ये प्रूव नहीं कर सकते कि ये किसी पैरानॉर्मल एंटिटी का काम है और यही वो चाहती है'| प्रत्युष रैना को समझाते हुए बोला|
तभी एक हवालदार उनकी तरफ आया, 'चलो निकलो यहाँ से ये जगह सील होगी'|

रात घिर चुकी थी| रैना, प्रत्युष और विकास पास के ही एक लॉज के ओपन गार्डन में बैठे थे| उस समय बारिश नहीं हो रही थी लेकिन जुलाई के महीने के हिसाब से ठंड काफी थी| आस-पास का एरिया पहाड़ी होने के कारण धुंध वातावरण में शाम से ही घुल रही थी|
तीनो के हाथ में बियर बॉटल थी और इशानी के होठों में सिगरेट दबी हुई थी| प्रत्युष लॉन में रखी इजी चेयर पर अधलेटी अवस्था में अपने सर पर हाथ टिकाए बैठा था| उसकी आखें बंद थीं और चेहरे पर काफी थकान थी| विकास के चेहरे पर भी परेशानी के भाव साफ़ थे जबकि रैना का चेहरा बिलकुल शांत और भावहीन था| तीनो में से कोई भी वार्ता करने की कोशिश नहीं कर रहा था|
शशांक की मौत और जिन परिस्थितियों में वो मरा था  दोनों ने ही उन तीनो को अंदर तक हिला दिया था| शशांक के पेरेंट्स को उसकी मौत की खबर दे दी गई थी| अगली सुबह वो मुन्नार पहुँचने वाले थे|
रैना ने रानी के विषय में आस-पास पूछ-ताछ की लेकिन कोई सफलता उसके हाथ ना लगी| ऑटोप्सी रिपोर्ट शाम तक आ गई थी जिसमे ये स्थापित हो गया था कि शशांक की मौत अल्कोहल एंड एफिड्रिन के हाई डोज़ में ओवरएक्साइटमेंट के कारण कार्डियक अरेस्ट से हुई थी|
प्रत्युष से तगड़ी घूस लेने के बाद केस के इंचार्ज इंस्पेक्टर ने प्रत्युष को खुद कॉल कर के ये रिपोर्ट बताई|
उन तीनो को पुलिस की तरफ से क्लीन चिट मिल चुकी थी|
‘शशांक हमारे साथ नहीं है ये सोच के भी अजीब लगता है| मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा’| विकास ने चुप्पी तोड़ी, उसका गला भरा हुआ था|
 शशांक की मौत जिन परिस्थितियों में हुई थी उसके बाद उन्हें शशांक की मौत का शोक मनाने का भी समय नहीं मिला था| अब जबकि वो तीनो एकांत में स्थिर हुए तब उन्हें शशांक के ना होने की कमी का एहसास सुबह से पहली बार हुआ|
‘उस डायन को पाताल से भी ढूंढ निकालूंगी मैं’| रैना की आवाज़ में शोभ और रोष साफ़ झलक रहे थे|
‘कैसे रैना कैसे!! वो हवा की तरह गायब हो चुकी है| उसका ना कहीं कोई नामोनिशान है ना ही कोई अतापता’| विकास के सब्र का बाँध टूट रहा था|
‘हमारे पास रानी की कोई फोटोग्राफ भी नहीं है जिससे...’ प्रत्युष सोचपूर्ण मुद्रा में कुछ बोल रहा था कि रैना ने उसकी बात बीच में काट दी|
‘फोटोग्राफ है! हमलोग डैम गए थे वहाँ हमलोगों ने फोटो और विडियो शूट किया था, उसमे रानी की फोटोग्राफ भी होगी और विडियो भी’| रैना फटाफट बोली|
‘अरे हाँ! मुझे तो याद ही नहीं रहा| फोटोस और विडियो मेरे DSLR कैमरा में होंगे’| विकास जल्दी से उठते हुए बोला और लॉज के अंदर भागा|
‘प्रत्युष! तुमने अपने फ़ोन से भी कुछ पिक्स ली थी ना, जरा चेक करना’| रैना ने भी अपना मोबाइल फोन निकाला|
‘मेरे फ़ोन में रानी की कोई भी साफ़ पिक नहीं है रैना’| प्रत्युष ने अपने फोन की इमेज गैलरी खोल कर फोन रैना की ओर बढ़ा दिया| वाकई किसी भी पिक में रानी की क्लियर इमेज नहीं थी, यी तो वो आउट ऑफ़ फ्रेम थी या आउट ऑफ़ फोकस|  रैना के फ़ोन में भी रानी की पिक नहीं थी जबकि रैना को साफ़-साफ़ याद आ रहा था कि उसने रानी की कुछ स्नैप चोरी-छुपे लिए हैं|
‘ऐसा कैसे हो सकता है! फोटोग्राफ्स अपने-आप कैसे डिलीट हो गईं’? रैना मन ही मन अपने फोन की गैलरी स्क्रॉल करते हुए सोच रही थी तबतक विकास अपना dslr कैमरा ले आया| कैमरा ऑन करते ही तीनो की नज़रें डिस्प्ले-स्क्रीन पर गड़ गईं|
‘ऐसा कैसे हो सकता है’!! कैमरा के लिए गए शॉट्स देखते ही तीनो की आखें अविश्वास से फैल गईं|
‘म..मेरी तो कुछ समझ नहीं आ रहा’| विकास तेज़ी से स्नैप्स रिव्यु करते हुए बोला|
कैमरे में ऐसी कई पिक्स थीं जिनमे रानी की उपस्थिति थी, और उनमे रानी ना ही आउट ऑफ़ फोकस थी ना ही आउट ऑफ़ फ्रेम थी| बस जब बात उनके इस घोर आश्चर्य का सबब बनी थी वो ये थी कि पिक्स में रानी की जगह रैना का चेहरा था| हर एक जगह जहां पर रानी को होना चाहिए था वहां रैना थी|
‘शायद तुम दोनों के चेहरे एक-दूसरे से मिलते हैं इसलिए पिक्स में...’ प्रत्युष सोचते हुए बोला, रैना ने उसकी बात बीच में काट दी|
‘ऐसा नहीं हो सकता प्रत्युष| आइडेंटिकल ट्विन्स भी हूबहू एक जैसे नहीं दिखते| उनके फेशियल फीचर्स में बहुत माइन्युट, बहुत बारीक ही सही लेकिन अंतर होते हैं| यहाँ ऐसा कोई अंतर नजर नहीं आ रहा है|  
‘इस पिक को देखो, तुम्हे याद है विकास तुमने मेरे कहने पर ही ये पिक ली थी’| रैना एक पिक की ओर इशारा करते हुए बोली|
‘हाँ मुझे याद है| तुमने ही इंसिस्ट किया था शशांक और रानी की कपल फोटो निकालने को लेकिन ये समझ नहीं आ रहा कि इसमें रानी की जगह शशांक के साथ तुम कैसे आ गई’!! विकास उस ठंड में भी अपने माथे का पसीना पोंछते हुए बोला|
‘कुछ समझ नहीं आ रहा, हर उस जगह जहां रानी को होना चाहिए वहां मैं हूँ| ड्रेस वही है जो रानी ने पहनी थी लेकिन चेहरा मेरा है’| रैना सर पकड़ते हुए बोली| उसके होठों से धुंए की पतली लकीर निकल रही थी|
‘फेफड़े कोयला हो जाएंगे तेरे! क्या कर रही है रैना, अब बस भी कर सिगरेट पीना’! प्रत्युष झुंझलाते हुए बोला|
रैना ने उसकी बात पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी जैसे उसे प्रत्युष की आवाज़ सुनाई ही ना दे रही हो| ‘विकास, विडियो क्लिप्स चेक करो’!
विकास ने विडियो क्लिप्स प्ले की|  हर जगह जहां रानी को होना चाहिए था वहां रैना का चेहरा था|
‘मुझे सिगरेट दे’| रैना की आवाज़ और हाथ काँप रहे थे|
उस घड़ी विकास ने प्रतिवाद करना मुनासिब नहीं समझा और अपनी जेब से सिगरेट का डब्बा निकाल कर रैना की तरफ बढ़ा दिया| रैना ने किसी बाज़ की तरह पूरा डब्बा उसके हाथ से झपट लिया|
‘य..ये क्या कर रही हो’!
‘तू तो सिगरेट पीता नहीं है| ये स्पेशल ब्रांड सिर्फ तू मेरे लिए लाता है और अपने पास इसलिए रखता है ताकि मेरी स्मोकिंग कण्ट्रोल में रहे लेकिन फायदा क्या होता है? मुझे जितनी पीनी है मैं पीती ही हूँ’! रैना बियर का घूँट भरते हुए बोली| विकास और प्रत्युष एक-दूसरे का मुंह देख रहे थे|
‘शशांक की मौत कैसे हुई ये एक राज़ है, ऐसा राज़ जो या तो शशांक जानता था या रानी| शशांक वापस जिंदा होकर हमें अपनी मौत का राज़ बताने आएगा नहीं और रानी ढूंढें नहीं मिल रही’| रैना पैकेट से सिगरेट निकाल कर सुलगा चुकी थी| उसके चेहरे पर गहन चिंता के भाव थे|
‘रानी तो वाकई हमें ढूंढें नहीं मिलेगी| शशांक की मौत का राज़ हमें कोई बता सकता है तो वो शशांक ही है’| प्रत्युष सोचपूर्ण ढंग से यूं बोला जैसे वो खुद से बात कर रहा हो|
विकास और रैना दोनों ही उसका मुंह देख रहे थे|
‘भाई बियर चढ़ गई है क्या’!! विकास ने उसका मुंह ताकते हुए कहा|
‘बिलकुल होश में हूँ और जो कह रहा हूँ वही हमारे पास आखरी रास्ता है आगे बढ़ने का’|
‘तो हम अब हॉस्पिटल के मॉर्ग में जाकर शशांक की डेड बॉडी से पूछताछ करने वाले हैं’? रैना की आवाज़ में उसकी खिजियाहट साफ़ झलक रही थी|
एक क्षण प्रत्युष विकास और रैना का चेहरा देखता रहा जैसे फैसला ना कर पा रहा हो कि जो बात ओ कहना चाहता है उसे किस तरह उनके सामने रखे|
‘हम शशांक की आत्मा को यहाँ बुलाएंगे| सिर्फ वही बता सकती है कि एक्चुअल में क्या हुआ था’|
‘एक्सलेंट आईडिया प्रत्युष! आय वंडर मुझे ये आईडिया क्यों नहीं आया’| रैना उठ कर खड़ी हो गई, उसकी आवाज़ में उपहास का पुट साफ़ झलक रहा था|
‘शशाक की आत्मा!! प्लीज यहाँ आ जाओ शशांक की आत्मा!! वी मिस यू टेरीब्ली’!! रैना नाटकीय अंदाज़ में अपने हाथ हवा में उठाते हुए बोली| उसपर नशे का सुरूर भी साफ़ झलक रहा था|
‘आय एम नॉट किडिंग रैना’!! प्रत्युष ने आहत भाव से कहा|
‘नीदर एम आय प्रत्युष| मैं वही करने की कोशिश कर रही हूँ जो तुम कह रहे हो| इसके बाद हम क्या करने वाले हैं? काला चोंगा पहन के, गले में माला डाल के, चेहरे पर भस्म पोत कर और हाथों में हड्डियां लेकर वैसे ही तांत्रिक बनने वाले हैं जिनका पर्दाफाश हम अपने वेबचैनल पर करते आए हैं’?
‘तुम गलत समझ रही हो रैना’!
‘तो फिर मुझे समझाओ ना प्रत्युष कि तुम क्यों उस अंधविश्वास के दलदल में धंसते जा रहे हो जिसने इशानी को हमसे छीन लिया! तुम कैसे भूल सकते हो कि इशानी की जान इसी अंधविश्वास के कारण गई थी’|
‘भूला मैं नहीं हूँ रैना, भूल तुम गई हो|’ प्रत्युष के मुंह से अनायास ही निकला|
‘क्या कहा तुमने? क्या भूल गई हूँ मैं’?
‘क...कुछ नहीं’| प्रत्युष ने खुद को संभाला, जैसे उसे एहसास हुआ हो कि वो कुछ ऐसा बोल गया है जो उसे नहीं बोलना चाहिए था|  
‘तुम कहना क्या चाहते हो? शशांक से सवाल कैसे करेंगे हम’? विकास ने संशयपूर्ण मुद्रा में पूछा|
‘मैं आता हूँ अभी’| प्रत्युष वहां से उठा और लॉज के अन्दर बढ़ गया|
विकास और रैना दोनों के ही दिमाग काम नहीं कर रहे थे| आखिर चल क्या रहा था प्रत्युष के मन में?
कुछ देर में प्रत्युष वापस बाहर आया, उसके हाथ में एक काला कपडा था जिसमे लकड़ी का एक आयताकार तख्ता लिपटा हुआ था| उस घड़ी प्रत्युष बेहद संजीदा नज़र आ रहा था| वो वापस अपनी जगह आकर रैना और विकास के बीच बैठ गया|
‘ये क्या है’? रैना ने सशंकित भाव से पूछा|
जवाब देने की जगह प्रत्युष ने कपडे में लिपटा तख्ता खोल कर उनके सामने रख दिया| रैना और विकास आवाक होकर उस लकड़ी के तख्ते को देख रहे थे|
‘औइजा बोर्ड! ये तो औइजा बोर्ड है’| विकास चौंकते हुए बोला|
लकड़ी का जो तख्ता प्रत्युष ने विकास और रैना के बीच रखा था वो वास्तव में एक औइजा बोर्ड था| उस बोर्ड पर ऊपर की तरफ दाहिने कोने में सूर्य का चिन्ह और बाएं कोने में चंद्रमा का चिन्ह बना हुआ था| इन दोनों चिन्हों के बीच ऊपरी पंक्ति में 0 से 9 तक अंक इंग्लिश में उकेरे हुए थे और नीचे की पंक्ति में इंग्लिश के A से लेकर Z तक एल्फाबेट उकेरे हुए थे|  सूर्य के कुछ नीचे की तरफ YES उकेरा हुआ था और चन्द्रमा के नीचे की तरफ NO उकेरा हुआ था| नंबर और एल्फाबेट की पंक्तियों के बीच, बोर्ड के बिलकुल मध्य में सिक्के के आकार का वृत्त था जिसपर एक सितारे का चिन्ह उकेरा हुआ था|  सबसे ऊपर बोर्ड के मध्य में HELLO और सबसे नीचे बोर्ड के मध्य में GOOD BYE उकेरा हुआ था| बोर्ड देखने में बहुत ही कलात्मक था और बहुत पुराना मालूम दे रहा था| रैना ने बोर्ड उठाकर उसपर अपना हाथ फिराया| ऐसा लग रहा था जैसे बोर्ड की खूबसूरती ने उसे मंत्रमुग्ध कर दिया है| बोर्ड काफी मोटा और भारी-भरकम था| रैना उसपर उकेरे चिन्हों, अंकों और आकृतियों पर हाथ फिराती रही ये उन बाज़ार में और ऑनलाइन मिलने वाले सस्ते औइजा बोर्ड्स जैसा नहीं था जिसका प्रयोग ज्यादातर युवा थ्रिल और टाईमपास करने के लिए करते हैं| ये औइजा बोर्ड उन सबसे अलग था|
‘रोज़वुड! ये रोज़वुड का बना हुआ औइजा बोर्ड है और ये काफ़ी पुराना लग रहा है| ये तुम्हे कहाँ मिला’? रैना ने प्रत्युष से सशंकित भाव से पूछा|
‘रानी के लॉज में| मैं रानी के पास्ट से जुड़ी किसी चीज़ की तलाश में लॉज खंगाल रहा था जिससे उसके रहस्य पर कुछ रौशनी डाली जा सके| वहां मुझे ये बोर्ड मिला|
‘ये आम औइजा बोर्ड्स से काफी अलग है’| रैना बोर्ड पर हाथ फिराते हुए बोली|
‘ये विक्टोरियन एरा का बना हुआ औइजा बोर्ड है रैना| इसे बनाने के लिए कॉफिन यानी ताबूत की लकड़ी का प्रयोग किया गया है| उस समय में ये औइजा बोर्ड्स और इनका प्रयोग वर्जित होता था क्योंकि इन औइजा बोर्ड्स का प्रयोग मृत आत्माओं को बुलाने के लिए डायनो द्वारा किया जाता था| उस समय आम इंसान इसका प्रयोग करना तो दूर इसे अपने घर में भी नहीं रखता था| जैसा कि तुम जानती ही हो कि विक्टोरियन एरा में विचक्राफ्ट यानी जादूटोना एक गंभीर अपराध था और इसमें लिपट डायनों को बीच चौराहों पर खम्भों से बाँध कर जिंदा जला दिया जाता था|’ 
‘तुम इतना यकीन से कैसे कह सकते हो कि ये बोर्ड विक्टोरियन एरा का है| आजकल कई इंटरनेशनल शॉपिंग साइट्स ऑथेंटिक औइजा बोर्ड्स के नाम पर नकली माल बना कर बेच रही हैं जो देखने में विंटेज लगते हैं लेकिन होते नहीं हैं’| विकास कंधे उचकाते हुए बोला|
‘ये कोकोबोलो रोज़वुड है| ध्यान से देखो इसपर जितनी भी माईन्यूट एनग्रेविंग है वो मशीन से की हुई नहीं है बल्कि हाथ से की हुई है| अब जितने भी औइजा बोर्ड्स बनते हैं वो एन्ग्रेव्ड नहीं प्रिंटेड होते हैं और अगर एनग्रेविंग हुई भी तो वो मशीन से होती है हाथ से इतना महीन काम अब नहीं होता’| प्रत्युष ने चिन्हों, एल्फाबेट्स और नंबर्स की तरफ इशारा किया| रैना और विकास ने ध्यान से एनग्रेविंग को बहुत ही करीब से, हाथ फिरा के देखा| बारीक एनग्रेविंग वाकई हाथ से की हुई थी|
‘दूसरी बात, इसको पलट कर देखो’|
रैना और विकास ने बोर्ड को पलटा| उसके पीछे निचले दाहिने कोने पर सन 1802 की तारीख खुदी हुई थी|
‘विश्व के सबसे पहले औइजा बोर्ड का पेटेंट सन 1891 में कराया गया था, जबकि इसपर सन 1802 की तारीख है| ये औइजा बोर्ड उस समय बनाया गया था जब ये दुनिया में स्पिरिट कॉलर, स्पीकिंग बोर्ड आदि के फैंसी नामो से नहीं जाना जाता था| इसके अलावा, इस औइजा बोर्ड और आम औइजा बोर्ड्स में जो सबसे बड़ा फर्क है वो है इसकी प्लेनचेट| इस बोर्ड के बीचोंबीच जो सर्किल है ज़रा उसपर हाथ फिराओ...ध्यान से’|
रैना ने सर्किल पर हाथ फिराया, लकड़ी के टेक्सचर के बीच उसे किसी उभरी हुई धातु का एहसास हुआ|
‘ताबूत की कील! इस बोर्ड के मध्य में, ठीक उस जगह पर जहां प्लेनचेट रखा जाता है वहां ताबूत की कील गाड़ी हुई है| और ये रहा इसका प्लेनचेट’| प्रत्युष अपनी जींस की पॉकेट से कुछ निकालते हुए बोला|
उसके हाथ में एक पुराना चांदी का सिक्का था| उस सिक्के के एक तरफ एक देवदूत यानी एंजेल बना हुआ था और दूसरी तरफ क्रिस्चियन क्रॉस|
‘आम प्लेनचेट लकड़ी के दिल के आकार के टुकड़ों से बने होते हैं लेकिन इसका प्लेनचेट शुद्ध चांदी का बना हुआ है’|
‘ऐसा क्यों’?
‘क्योंकि चांदी पवित्र धातु मानी जाती है जो दुष्ट आत्माओं को बाँध सकती है| किसी भी औइजा बोर्ड का सबसे अहम हिस्सा उसका प्लेनचेट होता है|उस प्लेनचेट को माध्यम बना कर कोई भी बुरी आत्मा दूसरी दुनिया से इस दुनिया में प्रवेश कर सकती है लेकिन ताबूत की कील और चांदी का प्लेनचेट बुरी आत्मा का मार्ग बाधित करके उसे ज़बरन इस दुनिया में प्रवेश करने से रोकते हैं’| प्रत्युष चांदी का सिक्का रैना और इकास को दिखाते हुए बोला|
‘तुमने रिसर्च काफी अच्छी की है प्रत्युष लेकिन फिर भी ये है सिर्फ रेव पार्टीज में जॉइंट लगा कर एक्स्ट्रा किक बूस्ट करने वाला एक सिली बोर्ड गेम| जिसे पहले लोगों को डराने और बेवकूफ बनाने के लिए यूज़ किया जाता था अब मज़े के लिए यूज़ किया जाता है’| रैना निर्विकार भाव से बोली| उसने बोर्ड वापस प्रत्युष को थमा दिया|
‘तुम अगर वाकई ये मानती हो तो फिर तुम्हारी इस थ्योरी को परखते हैं| सांच कंगन को आरसी क्या’| प्रत्युष रैना को चैलेंज करते हुए बोला|
‘मैं ऐसे किसी बेहूदा प्रयोग का हिस्सा बन कर शशांक और इशानी की आत्मा को ठेस नहीं पहुंचाना चाहती’| रैना आहत भाव से बोली|
‘तो ठीक है| लेट्स डू इट द वे वी डू इट| रैना एट मिडनाईट का एपिसोड हम अपने ऊपर शूट करते हैं| हम इस औइजा बोर्ड के ज़रिये शशांक की आत्मा को बुलाने की कोशिश करेंगे, या तो तुम्हारा विश्वास जीतेगा या मेरा भ्रम टूटेगा| क्या बोलती हो रैना’?
रैना सोच में पड़ गई|
‘इसकी बात में दम है रैना| प्रत्युष के साथ-साथ मेरा भी दिमाग हिल गया है पिछले कुछ दिनों की घटनाओं से| वाकई ये एक अच्छा प्रयोग होगा’| विकास प्रत्युष का समर्थन करते हुए बोला|
‘ठीक है| लेट्स डू इट’| रैना दृण भाव से बोली|

• • •
उस घड़ी लॉज के कमरे में रैना, प्रत्युष और विकास फर्श पर पालथी मारे बैठे थे| वो तीनो एक घेरा बना कर बैठे थे और बोर्ड उनके बीचों-बीच फर्श पर रखा था| कमरे के हर कोने पर मोटी मोमबत्तियां जल रही थीं| ये मोमबत्तियां प्रत्युष लॉज मैनेजर से लेकर आया था, बरसात में अक्सर पूरे एरिया का पॉवर ट्रिप होने के कारण लॉज में मोटी मोमबत्तियां भारी मात्रा में रखी जाती थीं| कमरे के दो कोनो पर ट्राईपॉड स्टैंड पर कैमरा माउंट किये हुए थे जिनकी रिकॉर्डिंग ऑन थी|
एक मोटी मोमबत्ती औइजा बोर्ड के ऊपर जल रही थी, बोर्ड के बीच के खांचे पर चांदी का सिक्का रखा हुआ था|
‘हम तीनो को एक-दूसरे का हाथ पकड़ कर एक ह्यूमन चेन बनाना होगा| ये हमारी सुरक्षा के लिए ज़रूरी है| जबतक हम एक-दूसरे का हाथ पकडे हुए हैं तबतक बुरी आत्माएं हमारा अहित नहीं कर सकतीं’|
‘एक मिनट! हमें अपना एक हाथ इस प्लेनचेट के ऊपर नहीं रखना होगा’? रैना ने संशय के भाव से पूछा|
‘नहीं| यही बात इसकी ऑथेंटिसिटी प्रूव करेगी| हममे से कोई भी इस प्लेनचेट को हाथ नहीं लगाएगा| हमारे दोनों हाथ ह्यूमन चेन के रूप में बंधे होंगे| आम प्लेनचेट पर प्लेयर्स अपनी उंगलियाँ रखते हैं, प्लेनचेट के हिलने पर ये नहीं कहा जा सकता कि प्लेनचेट किसी आत्मा ने हिलाया है या ऊँगली रखे किसी प्लेयर ने, जबकि यहाँ हम इस प्लेनचेट को स्पर्श ही नहीं कर रहे’| प्रत्युष रैना की तरफ देखते हुए बोला|
‘हुम्म| मुझे तो लगा था कि तुम इतने डेस्पेरेट हो चुके हो कि खुद ही प्लेनचेट को हिलाने लगोगे, आय एम ग्लैड डट आय वाज़ रॉंग’| रैना भावहीन स्वर में बोली|
‘बस ध्यान रखना, चाहे कुछ भी क्यों ना हो जाए, एकदूसरे का हाथ बिलकुल मत छोड़ना’| प्रत्युष गंभीर भाव से बोला|
तीनो ने एक-दूसरे का हाथ पकड़ कर एक घेरा बनाया| तीनो का दिल तेज़ी से धड़क रहा था|
‘दूसरी दुनिया के वासियों| क्या तुम हमें सुन सकते हो’| प्रत्युष की आवाज़ रात के सन्नाटे में कमरे में गूँज उठी| कोई जवाब ना आया|
‘क्या हमारे अलावा कोई और भी है यहाँ’? प्रत्युष ने दुबारा आवाज़ लगाईं| ऐसे ही अनगिनत बार कोशिश करने के बावजूद कोई परिणाम ना निकला|
‘शशांक! क्या तुम यहाँ हो शशांक’? प्रत्युष ने फिर कोशिश की|
‘क्या बेवकूफी है ये! अब तो प्रूव हो गया ना कि पैरानॉर्मल सिर्फ एक कपोल कल्पना है’| रैना झुंझला कर बोली| वो लगभग पिछले एक घंटे से शशांक की आत्मा को बुलाने की प्रक्रिया कर रहे थे, नतीजा सिफर ही था|
रैना ने प्रत्युष और विकास का हाथ छोड़ कर उठने की कोशिश की, दोनों ने ही उसका हाथ भींच कर पकड़ लिया|
‘नहीं रैना! चेन मत तोडना’!! विकास आंदोलित भाव से बोला| रैना ने उसकी तरफ देखा, विकास की आखें फटी हुई थीं, वो औइजा बोर्ड की तरफ आवाक होकर देख रहा था| रैना की नज़रों ने भी विकास की नज़रों का अनुसरण किया|
बोर्ड के बीचोंबीच रखा हुआ चांदी का सिक्का अपने स्थान से हिल रहा था| अपने आप! बिना किसी के हिलाए| रैना को अपनी आखों पर विश्वास नहीं हो रहा था|
‘कौन हो तुम! कौन है यहाँ हमारे अलावा’!! प्रत्युष चिल्लाया|
प्रत्युत्तर में चांदी का सिक्का अपने स्थान से निकला और पूरे बोर्ड के चारों कोनो पर फिरने लगा जैसे कैरम बोर्ड पर स्ट्राइकर एक कोने से टकराकर दूसरे कोने में घूम रहा हो|
‘य...ये...क्या हो रहा है’!! विकास की आवाज़ काँप रही थी|
‘शशांक! क्या ये तुम हो? जवाब दो’!! प्रत्युष पुनः चिल्लाया|
मशीनी अंदाज़ में पूरे बोर्ड पर घूमता हुआ सिक्का NO पर आकर थम गया| सिक्के के थमने के साथ ही जैसे उन तीनो की सासें भी थम गईं| चेहरे पर राख पूत गई| हाथ-पाँव में जैसे शक्ति ना रही|
‘क...कौन हो त...तुम...’!! प्रत्युष ने हिम्मत जुटा कर पूछा| उसका मुंह सूख रहा था, ज़बान जैसे तालू से चिपक रही थी|
चांदी का सिक्का आहिस्ता से NO के ऊपर बने हुए चंद्रमा के चिन्ह के ऊपर जा कर स्थिर हो गया| प्रत्युष का चेहरा जर्द पीला पड़ गया|
‘क..क्या हुआ प्रत्युष’! रैना ने पूछा|
‘औइजा बोर्ड पर सूर्य का चिन्ह सदात्माओं का स्थान होता है जबकि चन्द्रमा का चिन्ह किसी उत्पाती, उपद्रवी दुष्टात्मा का स्थान होता है’|
‘य...यानी हमारे साथ यहाँ कोई दुष्टात्मा मौजूद है’| विकास यूं पसीने से तर हो रहा था जैसे किसी ने उसपर घड़ों पानी डाल दिया हो|
‘क...कौन है वो दुष्टात्मा? र...रानी’? रैना हिम्मत जुटाते हुए बोली|
चांदी का सिक्का पहले चन्द्रमा से नीचे वापस NO पर आकर टिका| प्रत्युष, रैना और विकास तीनो एक-दूसरे का मुंह ताकने लगे| सिक्का फिर अपनी जगह से हिल्ला और नीचे की पंक्ति में एल्फाबेट्स पर एक एक करके फिरने लगा| I-S-H-A-A-N-I
ठीक उसी समय तेज़ हवा के झोंके से कमरे की खिड़की का पल्ला खुल गया और तेज़ हवा से बोर्ड के ऊपर जल रही मोमबत्ती बुझ गई| इसके बाद कमरे की बाकी मोमबत्तियां भी बुझ गईं| रैना की चीख निकल गई| अँधेरे में भी उसे फर्श पर हथेलियों और घुटनों के बल चल कर अपनी ओर बढती इशानी साफ़ नजर आ रही थी| रैना ने प्रत्युष और विकास का हाथ झटक दिया और अपनी जगह से उठ गई|
‘नहीं!! चेन मत तोड़ो’!! प्रत्युष चिल्लाया|
रैना ने स्विचबोर्ड की ओर दौड़ लगाई, इशानी उसके पीछे आ रही थी| कमरे में घुप्प अँधेरा था, फिर भी वो इशानी की सरसराहट महसूस कर सकती थी| रैना ने लाइट्स ऑन की| पूरा कमरा रौशनी से नहा गया| प्रत्युष और विकास अपनी जगह बैठे बुरी तरह हांफ रहे थे| कमरे में और कोई ना था| बोर्ड पर सिक्का GOOD BYE पर रखा हुआ था|
‘त...तुम दोनों ने देखा! तुम दोनों ने इ...इशानी को देखा’? रैना की आवाज़ काँप रही थी| प्रत्युष और विकास आवाक से उसे ही एकटक ताक रहे थे|
‘अँधेरा होने के बाद कुछ भी दिखाई नहीं दिया| स...सिर्फ तुम्हारे चीखने की आवाज़ आ रही थी’|
‘नहीं दिखी! इस बार भी मेरे अलावा इशानी किसी को नजर नहीं आई| अगर वो वाकई थी तो ऐसा क्यों हुआ’| रैना अपने आप से ही बडबडा रही थी|
‘ये तुमने क्या किया रैना! तुम्हे चेन नहीं तोडनी चाहिए थी’| विकास रुआंसे अंदाज़ में बोला|
‘फक यू...फक...योर चेन’!! रैना गुस्से में बिफरती हुई कैमरे की तरफ लपकी| उसने कैमरे की रिकॉर्डिंग प्ले-बैक की| दोनों ही कैमरों में उनके हाथ पकड़ कर आत्मा को बुलाने तक की रिकॉर्डिंग हुई थी लेकिन जिस समय सिक्का हिला था उस समय पर दोनों ही कैमरों की रिकॉर्डिंग बंद हो गई थी|
‘यहाँ जो कुछ भी हुआ तुम उसे नकार नहीं सकती रैना’| प्रत्युष अपने स्थान से उठा|
‘मैं नहीं जानती कि तुमने ये कैसे किया प्रत्युष, लेकिन मैं ये साबित कर के रहूंगी कि इसके पीछे तुम्हारा हाथ है’| रैना ने कैमरा प्रत्युष की तरफ उछाला और आंधी-तूफ़ान की तरह कमरे से बाहर निकल गई|   
‘अ...अब क्या करें’! विकास ने मरी हुई आवाज़ में पूछा|
‘रैना ने चेन तोड़कर ठीक नहीं किया| इससे बुरी आत्मा को हमारी दुनिया में प्रवेश करने का रास्ता मिल जाएगा’| प्रत्युष चिंतित भाव से बोला|
‘ये इशानी बुरी आत्मा कैसे बन गई’?
‘ज़रूरी नहीं कि जो खुद को इशानी बता रही है वो वाकई इशानी ही हो’|
‘फिर हम क्या करेंगे? शशांक के बाद हमारा भी नम्बर लगेगा क्या’! विकास अपना सर पकड़ते हुए बोला|
‘कुछ नहीं होगा|...कुछ भी नहीं होगा’| प्रत्युष का चेहरा भावहीन था लेकिन उसके दिलोदिमाग में भयानक उथल-पुथल मची हुई थी|
 रात के लगभग तीन बज रहे थे| प्रत्युष और विकास लॉज में एक ही रूम शेयर कर रहे थे, वही रूम जिसमे उन्होंने कुछ घंटों पहले आत्मा बुलाने की कोशिश की थी| रैना उनके बगल वाले कमरे में थी| प्रत्युष और विकास दोनों ने ही आखों-आखों में रात काट दी थी, नींद उनकी आखों से कोसों दूर थी| हर पल ये डर उन्हें सता रहा था कि जाने कौन सी प्रेतात्मा किस दिशा से उनपर धावा बोल दे| विकास ने पानी की बोतल उठाई|
‘पानी खत्म हो गया है’| विकास मरी हुई आवाज़ में बोला|
‘लॉज के रिसेप्शन के पास ही वॉटर कूलर है, वहां से भर ला’| प्रत्युष बोला|
विकास अपनी जगह से उठा, फिर वापस बैठ गया|
‘रहने दो| प्यास मर गई है’|
‘साले प्यास नहीं, डर से तेरी नानी मर गई है! कल तक हमलोग दुनिया को बताते फिरते थे कि भूत-प्रेत जादू-टोना सब अंधविश्वास है आज खुद हमारी ही लगी पड़ी है’!! प्रत्युष झुंझला कर बोला|
‘ये सब तेरी गलती है! तू ही लाया था वो मनहूस औइजा बोर्ड’!!
प्रत्युष चुप हो गया| उसे वाकई समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या बोले| ख़ैर इस बहस ने विकास के अन्दर के पौरुष को ललकार दिया था| उसने खाली बोतल उठाई और दनदनाते हुए कमरे से बाहर निकल गया|
पूरा गलियारा खाली था| वहां के सन्नाटे को सिर्फ विकास के पदचापों की आवाज़ भंग कर रही थी| विकास को अपना कलेजा मुंह को आता प्रतीत हुआ| फिर भी हिम्मत करके वो वाटर कूलर तक पहुंचा| रिसेप्शन भी खाली पड़ा था|
विकास पानी भर ही रहा था कि उसे किसी के आने की आहट मिली| उसके हाथ-पैर कांपने लगे|
उसे पलट कर देखा तो लॉज की बाहरी एंट्रेंस पर उसे एक साया नज़र आया| विकास लपककर रिसेप्शन काउंटर के पीछे छुप गया|
वो साया जो किसी लड़की का था धीरे-धीरे करीब आ रहा था| वो रैना थी|
‘रैना!! रैना इतनी रात गए इस अनजान जगह पर कहाँ गई थी और क्यों’? विकास का दिमाग काम नहीं कर रहा था|
उसने देखा कि रैना अपने आप में ही खोई हुई कुछ यूं चली जा रही थी जैसे नींद में चल रही हो|...रानी की तरह! विकास के जिस्म ने ये ख्याल आते ही एक ज़बरदस्त झुरझुरी ली|
रैना उसी तरह मशीनी चाल से चलते हुए अपने कमरे में प्रवेश कर गई|
विकास भी असमंजस में चलता हुआ कमरे में लौट आया| उसे समझ नहीं आ रहा था कि इस बाबत वो प्रत्युष को बताये या नहीं| उन दोनों की हिम्मत नहीं हुई कि उस औइजा बोर्ड को हाथ भी लगाए| बोर्ड कमरे में फर्श पर यथावत पड़ा हुआ था, लेकिन सुबह वो बोर्ड अपने स्थान से गायब हो गया| लाख दूंधने पर भी उन्हें वो बोर्ड कहीं ना मिला|

अगली सुबह एक और घटना घटी, हर पोर्न वेबसाइट पर एक विडियो क्लिप वायरल हो चुका था| ‘रैना एम एम एस’| किसी ने रानी और शशांक के अन्तरंग क्षणों की चोरी से विडियो बना ली थी| अँधेरे और चेहरे की समानता के कारण ये कहना मुश्किल था कि उस विडियो में रानी है या रैना| पूरी दुनिया के लिए वो रैना ही थी|
दुनिया के सामने एक ही सच आया| रैना और शशांक ने उस रात जम कर नशा किया फिर अपना सेक्स विडियो बनाया जोकि किसी तरह लीक हो गया| ड्रग्स और अल्कोहल के नशे और सेक्स के उन्माद ने शशांक की जान ले ली|
रैना एम एम एस ने रैना को कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ा| उस विडियो में वो नहीं रानी है उसकी ये दलील कोई सुनने या मानने वाला नहीं था|
रैना एट मिडनाईट वेबसाईट शट-डाउन हो गई| रैना ने खुद को एकबार फिर सबसे कटऑफ कर लिया| प्रत्युष और विकास से भी|
वो अंडरग्राउंड होकर एक गुमनाम जिंदगी बिताने लगी| रैना जानती थी कि इस दुनिया को हमेशा नए तमाशे की दरकार रहती है, पुराने खेल जल्द ही ज़माना अपने ज़हन से मिटा देता है| एक दिन लोग रैना एम एम एस को भी भूल जाएँगे...उसके बाद रैना एट मिडनाईट अपना आखरी और फाइनल एपिसोड पेश करेगा|
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DATE: 30th SEPTEMBER 2017

 पिछले लगभग दो महीनो से रैना दुनिया की नज़रों से दूर थी| प्रत्युष और विकास ने उससे मिलने और बात करने की अनगिनत कोशिशें की लेकिन सब नाकाम हुई, यहाँ तक कि डॉक्टर पोद्दार ने भी अपनी तरफ से रैना से बात करने के भरसक प्रयास किये लेकिन कोई नतीजा ना निकला|

इस पूरे समय रैना ने अपने घर, अपने रूम, अपने आप से जुड़ी एक-एक चीज़ को उथल-पुथल कर डाला| वो कुछ ढूंढ रही थी| वो खुद भी नहीं जानती थी कि वो क्या ढूंढ रही है और वो चीज़ उसे कहाँ मिलेगी| नवमी का दिन था| हर कोई दुर्गा पूजा की तैयारियों में लगा हुआ था| पूरा शहर दुल्हन की तरह सजा था| लोग सड़कों पर निकल कर उल्लास कर रहे थे लेकिन रैना अपने कमरे में कैद थी| कुछ था जो छूट गया था, कुछ ऐसा था जो उसे याद नहीं था|

पिछले दो महीनो में अपने ऊपर लगे लांछन से त्रस्त आकर रैना ने खुद को दुनिया से तो काट लिया था लेकिन मुन्नार में हुई घटनाएं अब भी उसके ज़हन में ताज़ा थीं| संसार में कुछ भी बेवजह नहीं होता| एक छोटी घटना, अनगिनत बड़ी घटनाओं को जन्म देती है| इशानी की मौत वो घटना थी जिसने इन सभी घटनाओं को जन्म दिया था| लेकिन वो कौन सी घटना थी जो इशानी की मौत की कारक बनी|
सोचते हुए रैना का सर दर्द करने लगा| वो एक कुर्सी पर बैठ गई और छत को निहारने लगी| छत की फॉल्स सीलिंग!! रैना ने पूरा कमरा तलाशा था लेकिन उसने छत की फॉल्स सीलिंग नहीं तलाशी!  रैना को याद आया कि उसे जब भी अपनी कोई चीज़ घर वालों से छुपानी होती थी तो वो उसे अपने रूम की फॉल्स सीलिंग में छुपाती थी पर जाने कैसे रैना ये बात भूल गई थी|
उसने स्टडी टेबल खींच कर फॉल्स सीलिंग के नीचे एक ख़ास स्थान पर लगाईं और उसपर चढ़ गई| रैना ने फॉल्स सीलिंग का एक चौकोर खाना खींचा तो वो आसानी से अपनी जगह से अलग हो गया| उसने अपना हाथ खाली जगह पर डाला और इधर-उधर कुछ टटोलने लगी|
उसका हाथ किसी चीज़ पर पड़ा|
वहां एक पोलिथीन रैपर में लिपटी हुई कोई चीज़ थी| रैना ने रैपर बाहर निकाला और उसपर से धूल झाडी| आखिर क्या था उस रैपर में?
रैना को कुछ भी याद नहीं आ रहा था कि उसने वो रैपर वहां कब और क्यों रखा था|
उसने आहिस्ता से वो रैपर खोला| उसके अंदर एक टूटा हुआ आईफोन था|
वो फोन रैना के पास क्या कर रहा था? और वो टूटा हुआ क्यों था? और उसने उस फोन को वहां क्यों रखा था?
रैना ने फोन अलट-पलट के देखा, वो बिलकुल ही चल पाने की स्थिति में नहीं था लेकिन उसका दिल कह रहा था कि उसकी सोच में जो कड़ी मिसिंग है वो इस टूटे हुए फोन में ही है|
प्रत्युष! सिर्फ प्रत्युष ही वो इंसान था जो उसकी मदद कर सकता था| टेक और गैजेट्स के मामले में उसका कोई सानी ना था, अगर इस टूटे और जाने कबसे बंद पड़े फोन से कोई डेटा रिकवर कर सकता था तो वो प्रत्युष ही था| लेकिन क्या उसे प्रत्युष के पास जाना चाहिए? रैना के लिए वो बहुत ही असमंजस की स्थिति थी|
अंततः उसने फोन अपने बैग के हवाले किया और प्रत्युष के घर जाने को निकल पड़ी|
शहर नाचते गाते, उल्लास करते लोगों के हुजूम से उमड़ रहा था| पूरे वातावरण में अबीर फैला हुआ था,  शंख और मृदंग के साथ जयकारे के शोर से पूरा शहर गुंजायमान था| भव्य पंडालों में मनोरम झांकियां सजी हुई थीं और दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ खचाखच ठंसी हुई थी|
रैना बड़ी मुश्किल से प्रत्युष के अपार्टमेंट बिल्डिंग के पास पहुंची| वो अपार्टमेंट की तरह बढने ही वाली थी कि अचानक ठिठक गई| उसे ऐसा लगा जैसे उसने भीड़ में कोई जाना पहचाना चेहरा देखा है| रैना स्वतः ही भीड़ की तरफ मुड़ गई| उसकी नज़रें किसी को खोज रही थीं|
उसकी नज़रों को जिसकी दरकार थी वो साया भीड़ में गम होने की कोशिश कर रहा था| एक लडकी जिसकी कद-काठी रैना जैसी ही थी वो तेज़ी से भीड़ को चीरते हुए वहां से निकलने की कोशिश कर रही थी| जाने क्यों रैना उसकी तरफ लपकी| उस लड़की को भी इस बात का इल्म था कि कोई उसके पीछे है, वो भरसक प्रयास कर रही थी कि भीड़ का हिस्सा बन कर भीड़ में ही गम हो जाए लेकिन रैना की नज़रें उसका पीछा नहीं छोड़ रही थीं|
लोगों को धक्का देती हुई, भीड़ को काटती हुई रैना उस लड़की के करीब पहुंची| उसी समय वातावरण में अबीर छा गया| रैना को उस लड़की की अबीर में पुती हुई सिर्फ एक झलक मिली...वो रानी थी| ऐसा लग रहा था जैसे उसने रक्त-स्नान किया हो| उसे देखकर रैना के मस्तिष्क में एक बिजली सी कौंधी| आरती शुरू हो चुकी थी, ढोल, मृदंग, शंख की स्वरलहरियों से वातावरण गुंजायमा था| रैना बुत बनी वहीं खड़ी रही, इसके बाद वो भीड़ में कहाँ गायब हो गई कुछ पता नहीं|

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DATE: 11TH DECEMBER 2017
विकास और प्रत्युष दोनों ही दंग रह गए जब इतने महीनो बाद कुछ दिन पहले अचानक ही रैना का उनके पास फ़ोन आया| रैना उन दोनों को मुन्नार बुलाना चाहती थी| उसने कहा कि ये उनके जीवन का आखरी गेट-टुगेदर होगा| औइजा बोर्ड वाली घटना अब भी उनके ज़हन में ताज़ी थी, वो दोनों ही वापस उस जगह का रुख नहीं करना चाहते थे| लेकिन उनके लाख समझाने पर भी जब रैना अपनी जिद छोड़ने को तैयार ना हुई तो अंततः दोनों ने ही उसकी बात मानकर मुन्नार जाने का फैसला किया|
मुन्नार में रैना ने तीनो के लिए लॉज में वही कमरे बुक किये थे जहां वो उस रात रुके थे|
‘ये सब क्या है रैना! हमलोग यहाँ वापस क्यों आए हैं? आखिर तुम करना क्या चाहती हो’? प्रत्युष ने रैना से पूछा|
‘उस रात जो अधूरा छोड़ दिया था वो पूरा करना है’| रैना सहज भाव से बोली|
‘पर हमें नहीं करना! जो हुआ सो हुआ, लेट्स फॉरगेट अबाउट इट’!! विकास उसकी बात काटते हुए बोला|
‘आय कांट! होर, सल्ट, बिच! इन नामों से मुझे नवाज़ा गया था तुम्हे नहीं’!! रैना लगभग फुफकारते हुए बोली| विकास खामोश हो गया|
‘हम जानते हैं रैना कि उस रात शशांक के साथ तुम नहीं रानी थी| ये तुम्हारे बदकिस्मती है कि तुम हमेशा गलत वक्त पर गलत जगह होती हो’| प्रत्युष संजीदा भाव से बोला|
‘इसीलिए जो गलत है उसे सही करना चाहती हूँ’|
‘कैसे’?
‘ऐसे’| रैना औइजा बोर्ड निकालते हुए बोली| उसके पास वही बोर्ड था जिसका प्रयोग उन लोगों ने उस रात किया था|
‘ये तुम्हारे पास कैसे आया’!! प्रत्युष और विकास दोनों के मुंह खुले हुए थे|
‘उस रात भोर के आस-पास थोड़ी देर के लिए तुम दोनों की आँख लगी थी| तब मैंने चुपके से आकर ये बोर्ड उठा लिया था’|
‘तुम ये जांचना चाहती थी कि हमने इसे चलाने के लिए इसमें कोई सर्किट या मैकेनिज्म तो नहीं लगाया’| प्रत्युष निर्विकार भाव से बोला|
‘बिलकुल! लेकिन अफ़सोस, इसमें कोई भी सर्किट या मैकेनिज्म नहीं था जिससे इसे बिना हाथ लगाए, कमांड देके चलाया जा सके’| रैना उसकी बात का प्रत्युत्तर देते हुए बोली|
‘उस रात जब तुमने मुझपर कैमरा फेंक कर ये कहा था कि तुम प्रूव कर दोगी कि इस सबके पीछे मेरा हाथ है तभी मैं तुम्हारे इरादे समझ गया था’|
‘सच को स्वीकार करने में मुझे इतने महीने लग गए गाइस| पर अब मैं मान चुकी हूँ कि इस संसार में परालौकिक शक्तियां हैं और उनकी शक्ति असीमित है| इसीलिए उस समय अधूरे छोड़े गए काम को अब हमें पूरा कर देना चाहिए’|
‘करना क्या चाहती हो तुम’? विकास ने पूछा|
‘वही जो उस समय कर रहे थे| हम शशांक की आत्मा को बुलाएंगे, उससे पूछेंगे कि आखिर उस रात क्या हुआ था’|
कुछ देर ना-नुकुर करने के बाद आखिरकार विकास और प्रत्युष रैना की बात मानने के लिए राज़ी हो गए|
उसी रात की भाँती तीनो कमरे के फर्श पर औइजा बोर्ड के इर्दगिर्द घेरा बना कर बैठे| पूरे कमरे में मोमबत्तियां जला दी गईं| सारा माहौल वैसा ही बनाया गया जैस उस रात था| विकास इस बार भी पूरे कैमरा सेटअप के साथ आया था| उनपर फोकस करके कैमरे ट्राईपॉड पर माउंट कर दिए गए|
‘शशांक! क्या तुम हमारी आवाज़ सुन सकते हो’! रैना ने पुकारा| कोई प्रत्युत्तर ना मिला|
‘शशांक, हमारे पास आओ’!! प्रत्युष चिल्लाया| लेकिन कोई जवाब ना मिला|
वो लोग घंटों कोशिश करते रहे लेकिन कुछ हांसिल ना हुआ| लगभग अर्धरात्रि होने को थी|
‘लगता है आज कोई आत्मा आने के मूड में नहीं है’| रैना कंधे उचकाते हुए बोली|
प्रत्युष सशंकित भाव से रैना को देख रहा था| आखिर करना क्या चाहती थी ये लड़की?
रैना एकबार फिर अपनी जगह से उठी|
‘त...तुम फिर से चेन तोड़ रही हो रैना’! विकास बोला|
‘रिलैक्स विकास| चेन नहीं तोड़ने का प्रोटोकॉल सिर्फ तब के लिए है जब कोई आत्मा हमारे बीच मौजूद हो| है ना प्रत्युष’?
प्रत्युष खामोश रहा|
‘ख़ैर| इससे ये साबित हो गया कि औइजा बोर्ड से आत्माओं को नहीं बुलाया जा सकता, या फिर ये सिर्फ वन टाइम यूज़ एंड थ्रो बोर्ड है’| इशानी प्रत्युष को आँख मारते हुए बोली| प्रत्युष ने अभी भी उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया|
‘चलो गाइस! रात बहुत हो रही है, आत्मा तो कोई आई नहीं लेकिन नींद बहुत आ रही है| सुबह मिलते हैं’| बोलते हुए रैना रूम से निकल गई|
‘आखिर करना क्या चाहती है ये लड़की’| विकास ने असमंजस के भाव से पूछा|
‘यही तो मैं भी जानना चाहता हूँ’| प्रत्युष लगभग खुद में ही बडबडाते हुए बोला|
‘ओये पानी फिर से ख़त्म है’! विकास रूम में पानी की खाली बोतल देखते हुए बोला|
‘मैं ले के आता हूँ’| प्रत्युष बोतल की तरफ बढ़ा|
‘नहीं, तू रुक| मैं ही लेकर आता हूँ’| विकास ने बोतल उठा ली और कमरे से बाहर निकल गया|
लॉज का गलियारा उस रात की तरह ही सन्नाटा सुनसान था| विकास स्थिर कदमों से चलते हुए वाटर कूलर तक पहुंचा| रिसेप्शन काउंटर आज भी खाली था|
‘साला ये जगह ही मनहूस है’! विकास खुद में ही बडबडाया और झुक कर पानी भरने लगा|
ठीक उसी समय उसे किसी के कदमों की आहट मिली| कोई चल रहा था! इस वक्त! इस सर्द रात में!
विकास चौंक कर सीधा हुआ| उसकी चौकन्नी आखें चारों तरफ देख रही थीं| रिसेप्शन लॉबी के बाहर लॉज का एंट्रेंस था जोकि घुप्प अँधेरे और घने कोहरे से घिरा हुआ था| फिर भी उस एंट्रेंस की तरफ बढ़ता एक साया विकास को साफ़ नजर आया और उस साए की अवस्था ने विकास के होश उड़ा दिए| उसके हाथ से बोतल छूट कर फर्श पर जा गिरी|
‘प्रत्युष’!! वो बेतहाशा भागते हुए कमरे तक पहुंचा| उसकी सासें उखड़ी हुई थीं|
‘क्या हुआ विकास’!! प्रत्युष उसकी अवस्था देखकर आवाक था|
‘ब..बताने का समय नहीं है| मेरे साथ चल, फ़ौरन’! विकास ने लपक के अपना कैमरा उठाया और वापस बाहर को भागा| प्रत्युष भी उसके पीछे हो लिया|
Date: 12th December 2017
Time: 12:00 a.m.
घडी के कांटे रात के ठीक बारह बजा रहे थे|
रैना! रैना!!
विकास बेतहाशा चिल्ला रहा था लेकिन उसकी आवाज़ जैसे किसी पत्थर से टकराई|
रैना को देखकर उसके मुंह से सिसकारी निकल गई|
उसके तन पर एक भी कपड़ा नहीं थाआखें सूजी हुई और जैसे शून्य में टिकी हुई थींमाथे पर चाकू से गोद कर डायन लिखा हुआ था|
रैना के माथे से बहता खून आखों के पोर से निकलते आसुओं के साथ गाल पर ढलक रहा था|
विकास के तिरपन काँप गए|
रैना अब रैना नहीं रह गई थीवो रानी बन चुकी थीजिन परालौकिक शक्तियों के अस्तित्व को वो नकारती आ रही थी वो अब उसके अस्तित्व पर हावी हो रही थी|
विकास ने कैमरे का नाईट विज़न मोड ऑन कियारैना जैसे किसी सम्मोहन के वशीभूत कहीं खिची चली जा रही थीउसे ना अपनी नग्नावस्था का ख्याल था ना इस बात का कि विकास उसे रिकॉर्ड कर रहा है|
दिसम्बर की सर्द रात में ठंड और गलन से विकास के हाथ काँप रहे थे जबकि वो टर्टलनैक और उसके ऊपर लेदर जैकेट पहने था,उसके हाथों में भी लेदर ग्लव्स थेबहुत कोशिश करके वो कैमरे को शेक होने से रोक पा रहा था लेकिन रैना पर तो जैसे नश्तर की भाँती जिस्म को बींधने पर उतारू शीतलहरी का कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा था|  
खाली सुनसान सड़क के बीचोंबीच रैना बेसुध सी चली जा रही थीजैसे-जैसे वो आगे बढ़ रही थी शीतलहरी के साथ उड़ कर आता हुआ कोहरा मानो किसी दोशाला की तरह उसे आवृत कर रहा था|
विकास जो रैना से कुछ कदम पीछे था उसने अपनी चाल तेज़ की लेकिन रैना जैसे अचानक ही घने कोहरे के आवरण में कहीं गुम हो गई|
रैना! रैना!!’ विकास ने चारों ओर घूम-घूमकर उसे आवाज़ लगाईंलेकिन वो कहीं भी नहीं थी|
रैना गायब हो चुकी थी|
प्रत्युष भी आवाक था| उसके मुंह से बोल नहीं फूट रहे थे|
दोनों ने चारों तरफ नज़रें घुमाई| उन्हें एहसास हुआ कि रैना के पीछे आते-आते वो रानी के लॉज तक पहुँच गए हैं| लॉज के मुख्य द्वार पर मोटी सींकड़ में लगा ताला झूल रहा था| उस लॉज के चारों तरफ दिवार के नाम पर फेंसिंग थी जिसे आसानी से फंदा जा सकता था इसलिए ताले का कोई ख़ास मतलब नहीं था|
रैना उन्हें लॉज के सामने के लॉन से होते हुए बिल्डिंग की तरफ बढती नजर आई|
‘रैना’!! प्रत्युष ने आवाज़ लगाई लेकिन कोई प्रतिक्रया ना हुई|
विकास और प्रत्युष ने एक छलांग में फेंसिंग लांघ ली|
बाहरी दरवाज़े जैसी ही मोटी सींकड़ और ताला लॉज बिल्डिंग के एंट्रेंस डोर पर भी लटक रहा था लेकिन रैना उस ओर नहीं बढ़ी बल्कि बिल्डिंग के साइड में उगे बड़े-बड़े पेड़ों और  झंखाड़ की ओर बढ़ गई| प्रत्युष और विकास भी उस ओर लपके लेकिन जबतक वे झंखाड़ के उस पार पहुंचे रैना एकबार फिर गायब हो चुकी थी|
‘अब कहाँ गई वो’? विकास सर पकड़ते हुए बोला|
प्रत्युष| ने कोई जवाब ना दिया| वो इधर-उधर देख रहा था| उसने दिवार पर हाथ रखकर फिराना शुरू किया, एक जगह उसका हाथ आकर रुक गया| उसने जोर से धक्का दिया तो दिवार में एक चोर दरवाज़ा खुल गया जिससे कि सीढियां ऊपर पहली मंजिल को जा रही थीं| प्रत्युष और विकास उन सीढ़ियों से होते हुए ऊपर पहुंचे| अब वो लॉज की पहली मंजिल के पिछले हिस्से में थे| लॉज में घुप्प अँधेरा था और कोहरा भरा हुआ था| सिर्फ एक कमरा ऐसा था जहां से हल्की रौशनी आ रही थी| रानी का कमरा|
दोनों का दिल मुंह को आ रहा था, कंपट्टियां सनसना रही थीं, हाथ-पैर फूल रहे थे| अपनी हिम्मत और पूरी इच्छाशक्ति लगाते हुए दोनों कमरे की ओर बढ़े| वातावरण में कोहरे की गंध के साथ कुछ और भी था| सिगरेट का धुंआ|  उसी स्पेशल ब्रांड के सिगरेट का धुंआ जो रैना पीती थी|
कमरे की चौखट पर पहुँचते ही प्रत्युष के मुंह से सिसकारी निकल गई|रैना इत्मीनान से एक रॉकिंग चेयर पर बैठी झूल रही थी| उसके होठों पर एक विषैली मुस्कान थी जिसके बीच सिगरेट दबी हुई थी और हल्का धुंआ वो नथुनों से छोड़ रही थी| उसकी आखों में एक ख़ास चमक थी, ऐसी चमक जो रैना की आखों में तब होती थी जब वो अपने मन की चीज़ हांसिल कर लेती थी| उस घड़ी वो निर्वस्त्र नहीं थी, उसने एक मोटा गाउन पहना हुआ था|
‘मुझे यकीन था कि तुम चोर दरवाज़ा भूले नहीं होगे प्रत्युष| आखिर तुम्हारे प्लान का अहम् हिस्सा था ये| काफी मुश्किल हुई होगी ना पूरे मुन्नार में ऐसा लॉज ढूँढने में जो बरसों से बंद पड़ा हो और जिसमे एक ट्रैपडोर हो’| रैना भावहीन स्वर में बोली| उसने अपने माथे पर हाथ फिराया तो खून से लिखा हुआ डायन पुंछ गया|
‘इस पूरे सेटअप को करने में कितनी मुश्किलों का सामना करना पड़ा इसका तुम्हे कोई अंदाजा नहीं है रैना| लेकिन अपनी इशानी के लिए मैं कुछ भी कर सकता हूँ...किसी भी हद तक जा सकता हूँ’!! प्रत्युष का चेहरा एकाएक विकृत हो उठा|
‘मानना पड़ेगा क्या गज़ब का प्लान बनाया था तुमने| एकबार को तो मैंने भी सचमुच विश्वास कर लिया था परालौकिक शक्तियों पर’| रैना मुस्कुराते हुए बोली| उसके नथुनों ने ढेर सारा धुंआ उगला|
‘चिंता मत करो| मेरा स्किज़ोफ्रेनिया आउट ऑफ़ कण्ट्रोल नहीं होगा, इन सिगरेट्स में अम्फेटेमाइन्स नहीं हैं’| रैना सख्त भाव से बोली|
‘कोई मुझे बतायेगा यहाँ हो क्या रहा है!! मेरी कुछ समझ नहीं आ रहा’!! विकास झुंझला कर बोला|
‘तुम शुरू करोगी या मैं शुरू करूं’? प्रत्युष व्यंगात्मक लहजे में बोला|
‘इस कहानी का कुछ हिस्सा तुम जानते हो, कुछ हिस्सा मैं जानती हूँ| दोनों मिलकर सुनाते हैं, कहानी तभी मुकम्मल होगी’| रैना मुस्कुराते हुए बोली|
‘बैठ जा विकास, कहानी जरा लम्बी चलने वाली है’| प्रत्युष कमरे में रखे बेड पर आधा लेटते हुए बोला| विकास एक टेबल के सहारे टिक गया| शुरुआत प्रत्युष ने की|
‘इस कहानी की शुरुआत हमारे कॉलेज के पहले दिन से हुई| जब हम सभी दोस्त एक-दूसरे से मिले| इशानी, रैना, तुम, मैं और शशांक| जल्द ही हम पाँचों में गहरी बॉन्डिंग हो गई लेकिन सबसे गहरी बॉन्डिंग हुई इशानी और रैना के बीच| इशानी और रैना इनसैपेरेबल थीं| अपने ट्रॉमैटिक पास्ट  के कारण इशानी को जिस इमोशनल सपोर्ट की ज़रूरत थी उसे रैना ने पूरा किया| इशानी की सिम्प्लिसिटी, उसकी सादगी ने ही मुझे भी उसकी ओर आकर्षित किया, मैं धीरे-धीरे इशानी से प्यार करने लगा| और साड़ी गडबड यहीं से शुरू हुई’| प्रत्युष जैसे अतीत की यादों में खोते हुए बोला|
‘तुम्हारी लव स्टोरी से इस पूरे प्रकरण का क्या लेना-देना’? विकास अभी भी असमंजस में था|
‘क्योंकि हर लव स्टोरी की तरह हमारी लव स्टोरी में भी एक विलेन था...या कह लो थी’| प्रत्युष रैना की ओर देखते हुए बोला|
रैना के चेहरे पर एक विषैली मुस्कान उभरी| उसने सिगरेट का एक गहरा कश खींचा|
‘उस वक्त मैं नहीं जानता था कि रैना भी मुझसे प्यार करती है| मल्टी-मिलियनेयर टायकून मिस्टर प्रधान की बेटी रैना प्रधान ये कैसे बर्दाश्त कर पाती कि कोई चीज़ उसे पसंद आ जाए और वो किसी दूसरे को मिल जाए...भले ही वो दूसरा उसकी बेस्ट फ्रेंड ही क्यों ना हो’! प्रत्युष दांत भींचते हुए बोला|
‘Awww...तुम चीज़ नहीं हो प्रत्युष| बॉय-टॉय हो सकते हो बट चीज़ नहीं’| रैना व्यंगात्मक लहजे में बोली| वो कुर्सी पर और इत्मीनान से बैठ गई, उसने अपनी एक जाँघ बड़े ही मादक अंदाज़ में कुर्सी के हत्थे से टिका ली जिससे उसका गाउन जाँघ पर से ढलक गया| विकास उसका यह रूप देखकर आवाक था, उसने रैना को कभी ऐसे नहीं देखा था|
‘हैरान मत हो विकास, ये स्किज़ोफ्रेनिक है’| प्रत्युष विकास के मनोभाव समझते हुए बोला|
‘स..स्किज़ोफ्रेनिक! लेकिन इसकी स्प्लिट पर्सनालिटी नहीं है’! विकास दुविधा में भरा हुआ बोला|
‘स्किज़ोफ्रेनिक होने का मतलब ये नहीं है कि इंसान हमेशा स्प्लिट पर्सनालिटी डिसऑर्डर का ही शिकार होगा| स्किज़ोफ्रेनिया के बहुत से अलग-अलग रूप और प्रभाव होते हैं| जो सबसे कॉमन है वो है बी.पी.डी. यानी बॉर्डरलाइन पर्सनालिटी डिसऑर्डर| इसमें इंसान का व्यक्तित्व अलग-अलग हिस्सों में नहीं बंटता, वो रहता एक ही व्यक्तित्व है लेकिन बहुत ही ज्यादा अनस्टेबल और इम्पल्सिव होता है| एक्सट्रीम इमोशनल फ़्ल्क्चुएशन, एंग्जाईटी और रेज का शिकार होता है| इंसान कभी बहुत ही खुशमिजाज़, मिलनसार और सहृदयी होता है तो कभी ईर्ष्या, द्वेष और घृणा से भरा हुआ| ऐसे लोग हमारे इर्द-गिर्द बहुसंख्या में होते हैं और आम जिंदगी बिता रहे होते हैं| उनके परिवारवाले और वो खुद भी इस बात से अनजान होते हैं कि वो किसी गंभीर मानसिक रोग से पीड़ित हैं| लोगों को लगता है कि उस व्यक्ति विशेष का नेचर ही ऐसा है’|
‘लेकिन रैना की मेंटल कंडीशन का इशानी से क्या कनेक्शन है’?
‘रैना और इशानी में आए दिन मुझे ले कर झगड़े होने लगे| रैना कभी इशानी को भला-बुरा बोलती तो कभी रो-रो कर उससे माफ़ी मांगती थी| इशानी ने इसके बारे में मुझे बताया तो मैंने कहा कि उसे रैना से इत्मीनान से इस विषय में बात करनी चाहिए| अगर उस समय मुझे इस बात का एहसास होता कि रैना दिमागी रूप से बीमार है तो मैं ऐसा कभी ना करता| तुम्हे रैना और इशानी का आखरी बड़ा झगड़ा याद है’?
‘हाँ! हम लोगों को लगा कि ये तो इन लोगों के बीच चलता ही रहता है’|
‘दरअसल इशानी रैना से मेरे बारे में बात करने गई थी| रैना ने उसे इतना भला-बुरा सुनाया कि इशानी डिप्रेशन में चली गई| एक तरफ वो अपनी बेस्ट फ्रेंड और अपने प्यार में से किसी एक को खोने का प्रेशर बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी दूसरी तरफ इसकी माँ और भाई ने उसका जीना हराम कर रखा था| उस वहशी गुरुजी के आश्रम जाने के लिए वो दोनों दिन-रात उसपर प्रेशर बना रहे थे, नतीजतन इशानी का मेंटल ब्रेकडाउन हो गया| वो खुद से ही बातें करने लगी, रातों को उठकर नींद में चलने लगी| इसके आगे का किस्सा खुद बयान करोगी’? प्रत्युष ने रैना की ओर देखते हुए कहा|
‘मुझे इशानी से झगड़ा करने के बाद एहसास हुआ कि मैं उसे कुछ ज्यादा ही बुरा-भला बोल गई| मैंने उससे माफ़ी मांगने की कोशिश की लेकिन वो मेल्स, मैसेज, सोशल मीडिया कुछ भी एक्सेस नहीं कर रही थी और ना ही कॉलेज आ रही थी| फिर एक रात मैंने फैसला किया कि मैं खुद इशानी के घर जाकर उससे बात करुँगी| रात के लगभग बारह बजने को थे लेकिन फिर भी मैं खुद को रोक नहीं पाई| मैं उसके अपार्टमेंट जाने के लिए निकली, लेकिन इशानी मुझे अपने अपार्टमेंट से कुछ दूरी पर ही दिखाई दे गई...नींद में चलती हुई| वो किसी तरह नींद में चलते हुए अपने अपार्टमेंट से बाहर आ गई थी| इससे पहले कि मैं उसतक पहुँचती या उसे आवाज़ लगाती एक बाइक उसके पास आकर रुकी| बाइक चलाने वाला लड़का बुरी तरह पिए हुए था, उसने इशानी को छेड़ने की कोशिश की| जल्द ही उसे एहसास हो गया कि इशानी नींद में चल रही है| वो नींद में चल रही इशानी को घसीट कर एक अँधेरी गली में ले गया’| रैना एक पल के लिए शांत हुई|
प्रत्युष दर्द से काँप रहा था| उसकी आखें सुर्ख लाल हो रही थीं| रैना ने कहानी जारी रखी|
‘मुझे चिल्लाना चाहिए था, शोर मचा कर उस लड़के को भगाने की कोशिश करनी चाहिए थी| लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया, उस घड़ी मेरे दिमाग में एक आईडिया आया| मैंने इशानी और उस लड़के की अवस्था की विडियो क्लिप बना ली| लड़का इशानी को उसी अवस्था में छोड़ कर वहां से भाग गया| इशानी नींद में चलते हुए वापस अपार्टमेंट की ओर बढ़ गई| मेरे पास ये गोल्डन ऑपरच्युनिटी थी इशानी को अपने और प्रत्युष के बीच से हटाने की| मैंने एक प्रॉक्सी आई.डी. से वो क्लिप इशानी के भाई केवल को सेंड कर दी| मैं जानती थी कि उस क्लिप को देखने के बाद केवल और उसकी माँ इशानी का जीना हराम कर देंगे| उसे हाउस अरेस्ट कर दिया जाएगा और वैसा ही हुआ’|
‘यू बिच! यू सिक बिच’!! प्रत्युष दर्द और क्रोध से कांपते हुए बोला| उसकी आवाज़ थर्रा रही थी|
‘तुम्हे ये बात कब और कैसे पता चली मैं नहीं जानती’| रैना प्रत्युष की बात को नज़रंदाज़ करते हुए बोली|
‘तुम अपनी कहानी जारी रखो| जब समय आएगा तब मैं सब बताऊंगा’| प्रत्युष खुद पर काबू पाते हुए बोला|
‘एज़ यू विश’! रैना ने कंधे उचकाए और आगे बोलना शुरू किया| ‘उस रात केवल को मैसेज करने के बाद मैं वापस घर लौट रही थी| मेरे दिमाग में विचारों की आंधियां चल रही थीं| मेरा दिमाग अपने वश में नहीं था| मेरा ध्यान ड्राइविंग पर नहीं रहा और मेरी गाडी एक इलेक्ट्रिक पोल से टकराई| इस एक्सीडेंट में मेरा फ़ोन टूट कर कबाड़ा हो गया|हालांकि मुझे कोई ऊपरी चोट नहीं आई लेकिन इस शॉक के कारण मेरा दिमाग सलेक्टिव एमनेशिया की स्टेट में चला गया’|
‘सेलेक्टिव एमनेशिया’?
‘सेलेक्टिव एमनेशिया ऐसी स्टेट है जिसमे किसी शॉक या ट्रॉमा की वजह से इंसान कोई ख़ास घटना या चीज़ भूल जाता है’| प्रत्युष बोला|
‘मैंने जो किया था उसके लिए मेरा गिल्टी कॉनशिय्स मुझे पल-पल धिक्कार रहा था| उस समय अपने इम्पल्सिव अटैक में मैं अपनी बेस्ट फ्रेंड के साथ वो घृणित काम कर गई लेकिन अब मेरा ज़मीर मुझे हर सेकेंड धिक्कार रहा था| मेरा ध्यान ड्राइविंग पर नहीं रहा, गाडी पोल से टकराई| शॉक से कुछ पलों के लिए मेरी आखों के आगे अँधेरा छा गया| दिमाग शून्य में चला गया| इस शॉक ने मेरे दिमाग से इशानी वाली घटना की याद मिटा दी| जब मैं होश में आई तो मुझे इतना ही याद आया कि मैं इशानी से मिलने निकली थी और शायद उससे मिले बिना ही वापस लौट रही थी| मैंने जो किया था या इशानी के साथ जो हुआ था वो सब मैं भूल गई| जिस फोन में क्लिप था वो बर्बाद हो गया, उस घटना, उस क्लिप और उसे केवल को भेजने के बारे में मैं सबकुछ भूल गई’|
‘अ...आय कांट बिलीव दिस रैना| तुम ऐसा कैसे कर सकती हो...ऐसी कैसे हो सकती हो तुम’!! विकास आवाक सा उसे देख रहा था|
रैना ने निर्विकार भाव से कंधे उचकाए और सिगरेट का एक कश लगाया फिर नज़रें प्रत्युष की तरफ घुमाई, ‘योर टर्न’|
‘इशानी की मौत तक मुझे इस बारे में कुछ भी नहीं पता था| मुझे पूरा यकीन था कि केवल और उसकी माँ ने इशानी को ऊपर से नीचे फेंक कर उसकी जान ले ली पर लाख कोशिशों के बाद भी मैं कुछ साबित नहीं कर पाया|  केवल और उसकी माँ शहर छोड़कर भाग चुके थे जोकि इस बात का प्रूफ था कि वो कोई बड़ी बात छुपा रहे हैं| मैंने अपने तरीके से इन्वेस्टिगेशन शुरू की,  मैंने केवल का पता लगाने के लिए उसके मेल एकाउंट्स, उसके सोशल आई.डी. और उसका क्लाउड स्पेस हैक किया जिसके ट्रैश फोल्डर से मैंने एक विडिओ क्लिप रेट्राईव् की...इशानी के रेप की विडियो| मेरा पूरा वजूद हिल गया था, दिमाग काम नहीं कर रहा था, होश ठिकाने नहीं थे| कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर वो क्लिप वजूद में कैसे आई और केवल के पास कैसे पहुंची| क्लिप से सिर्फ एक बात पता चल रही थी कि बनाने वाले ने उसे चोरी से छुप के शूट किया था लेकिन मैं नहीं जानता था कि वो ज़लील इंसान कौन है’| प्रत्युष दो पल के लिए शांत हुआ|
वातावरण में घुप्प सन्नाटा छा गया जिसे सिर्फ रैना की रॉकिंग चेयर हिलने की आवाज़ तोड़ रही थी|
‘इस दौरान तुम एक्यूट डिप्रेशन में चली गई| मुझे वाकई लगा कि इशानी की मौत ने तुम्हे अन्दर से तोड़ दिया है लेकिन सच ये था कि उस घटना की याद भूल जाने के बाद भी तुम्हारा इनर कॉनशिय्स तुम्हे इशानी की मौत का ज़िम्मेदार ठहरा रहा था, तुम्हारा स्किज़ोफ्रेनिया बढ़ रहा था| मैं तुम्हे डॉक्टर पोद्दार के पास ले गया जिन्होंने तुम्हे हिप्नोटाइज करके तुम्हारी रिग्रेशन थेरेपी शुरू की’
प्रत्युष ने रैना की तरफ देखा, प्रत्युष की आखों में नमी और चेहरे पर गहन वेदना के भाव थे| ‘मैं यही समझता रहा कि इशानी के जाने का गम तुम बर्दाश्त नहीं कर पा रही हो| उस थोड़े से समय के लिए मैं वाकई तुम्हारे करीब आ गया था रैना प्रधान! अपनी इशानी को खो चुका था मैं, अब तुमको खोना नहीं चाहता था| डॉक्टर पोद्दार से मैं तुम्हारे हर सेशन के डिटेल्स लेता था| हर एक चीज़, हर एक बात उनसे जानता था मैं ताकि तुम्हे डिप्रेशन से निकाल सकूं’|
रैना एकटक प्रत्युष को देख रही थी| कुछ पल के लिए उसके चेहरे पर भी दर्द और वेदना के भाव उजागर हुए...लेकिन सिर्फ कुछ पल के लिए|
‘फिर एक दिन डॉक्टर पोद्दार ने मुझे बहुत ही अजीब बातें बताईं| पहली ये कि तुम स्किज़ोफ्रेनिक हो, दूसरी कि हिप्नोसिस के दौरान उन्हें पता चला कि तुम्हारी मेमोरी में कहीं कोई ब्लॉकेज है| उनके मुताबिक़ ऐसा तब संभव था जब किसी शॉक के कारण तुम किसी ख़ास घटना के बारे में भूल गई हो और तीसरी  बात ये थी कि जब तुम रिग्रेशन थेरेपी के दौरान हिप्नोटिक स्टेट में थी तब तुमने एकबार कहा था कि तुम इशानी का रेप होने से रोक सकती थी’|
‘पर मैं तो उस घटना को भूल चुकी थी फिर...’
‘तुम्हारा कॉनशिय्स माइंड उस घटना को भूल चुका था लेकिन तुम्हारे सबकॉनशिय्स माइंड में वो बात दफन थी| डॉक्टर पोद्दार ने हिप्नोसिस के दौरान तुमसे इस बाबत पूछने की बहुत कोशिश की कि तुम्हें क्यों लगता है कि इशानी का रेप हुआ था लेकिन तुमने उसका कभी जवाब नहीं दिया| डॉक्टर पोद्दार इसका निष्कर्ष ये निकाला कि तुम्हारा दिमाग ऐसी कहानियां गढ़ रहा है जिसमे इशानी का अहित हुआ हो और उसके लिए रैना ज़िम्मेदार हो, लेकिन हकीकत मैं जान गया था| इशानी के रेप के बारे में रेपिस्ट और केवल के अलावा सिर्फ एक और शख्स जान सकता था, वो जिसने वो विडियो क्लिप बनाई थी|  मैं समझ गया कि तुम ही वो शख्स हो जिसने उस रात इशानी के रेप की विडियो क्लिप चोरी छुपे बनाई और फिर किसी वजह से तुम उस पूरे इंसिडेंट को भूल गई’|
‘तुम्हारा दिमाग वाकई एक डिटेक्टिव की तरह चलता है प्रत्युष’| रैना प्रत्युष की प्रशंसा किये बिना ना रह पाई लेकिन उसका कोई भी प्रभाव प्रत्युष पर नहीं पड़ा| प्रत्युष की आखों में अपने लिए घृणित भाव उसे साफ़ नजर आ रहे थे|
‘कितनी नफरत करते हो मुझसे प्रत्युष’|
‘उतनी ही जितनी इशानी से मोहब्बत करता था| तुम इंसानियत के नाम पर धब्बा हो रैना, तुमने अपनी आखों के सामने अपनी बेस्ट फ्रेंड को रेप होने दिया| उसे बचाने की जगह उसका विडियो बनाया और उसके ही भाई को भेज दिया| तुम्हारी इस घिनौनी सोच के लिए ही तुमसे जितनी नफरत की जाए वो कम है रैना प्रधान’!! प्रत्युष गुस्से में फुंफकारते हुए बोला|
‘अगर इतनी ही नफरत थी तो मुझे डिप्रेशन में मर जाने देते| क्यों मुझे एक नई जिंदगी दे रहे थे तुम’!!
‘यकीन जानो अगर तुम डिप्रेशन में आत्महत्या कर लेती तो वो तुम्हारे लिए सबसे आसान मौत होती, तुम्हारी उस मौत से मेरी इशानी का बदला पूरा नहीं होता| तुमने इशानी के साथ जो किया उसके लिए तुम वही डिजर्व करती थी जो मैंने तुम्हारे साथ किया| मैं सस्पेंस में मरा जा रहा था कि आखिर उस रात वाकई क्या हुआ था लेकिन मेरे पास जानने का कोई जरिया नहीं था| रिग्रेशन थेरेपी से तुम धीरे-धीरे अपने डिप्रेशन से बाहर आने लगी लेकिन तुम्हारे सेलेक्टिव एमनिज़िया के कारण उस रात की घटना के बारे में तुम्हे कुछ भी याद नहीं आया| मैं तुम्हे झंकझोरना चाहता था, तुमसे पूछना चाहता था कि बताओ रैना तुमने मेरी इशानी के साथ ऐसा क्यों किया लेकिन इसका कोई फायदा नहीं होता, तुम्हे तो याद ही नहीं था कि तुमने किया क्या है| तुम्हे तुम्हारे घिनौने कृत्य की सज़ा देना चाहता था मैं लेकिन तब जब तुम्हे अपने किये की याद हो और अपने जीवन के अंतिम क्षणों में तुम भी उसी दर्द उसी तड़प से गुजर सको जिससे इशानी गुजरी थी’|
‘इसीलिए तुमने मुझे रैना एट मिडनाईट शुरू करने को एनकरेज किया’!
‘हाँ! तुम्हारी भूली हुई याद को वापस लाने का एक ही तरीका था, तुम्हारे दिमाग पर दबाव डाला जाए| रैना एट मिडनाईट इसका सबसे बेहतरीन ज़रिया था’|
‘ऐसा क्यों’?
‘क्योंकि तुम्हारा गिल्टी कॉनशिय्स तुम्हे इस कदर ट्रिगर कर रहा था कि तुम्हारा स्किज़ोफ्रेनिक माइंड तुम्हे हर जगह इशानी की उपस्थिति दिखाने लगा| इशानी जो सिर्फ तुम्हे नजर आती थी और किसी को भी नहीं’|
‘तुम ये भी जानते हो’!
‘शुरू में नहीं जानता था, फिर धीरे-धीरे मुझे एहसास हुआ जब तुम किसी ख़ास दिशा में डर से देखती थी और तुम्हारी नज़रें वहीं टिक जाती थीं, तुम्हारा चेहरा यूं सफ़ेद पड़ जाता था जैसे तुमने भूत देख लिया हो, तुम्हारी बॉडी लैंग्वेज स्टिफ हो जाती थी| धीरे-धीरे मैं समझ गया कि तुम इशानी को देख रही हो| जानती हो रैना, स्किज़ोफ्रेनिया में लोग अक्सर मरे हुए लोगों को देखते हैं| उन्हें लगता है कि वो भूत या आत्मा को देख रहे हैं जबकि उनका दिमाग उन्हें वो सब दिखा रहा होता है| बस दिक्कत ये थी कि तुम भूत-प्रेत में विशवास नहीं करती थी, तुम जानती थी कि तुम्हारा दिमाग तुम्हारे साथ खेल खेल रहा है| तुम ये मानने को तैयार नहीं थी कि इशानी की आत्मा तुम्हारे पीछे लगी हुई है| रैना एट मिडनाईट के ज़रिये तुम्हारा दिमाग तुम्हारे लिए एक विरोधाभास पैदा कर रहा था और उस विरोधाभास को बढाने का काम किया तुम्हारी स्मोकिंग हैबिट ने’| प्रत्युष के चेहरे पर तीखी मुस्कान उभरी|
‘क्योंकि मेरी स्मोकिंग हैबिट का फायदा उठाकर तुमने सिगरेट्स में अम्फेटेमाइन्स मिला दिए’|
‘अम्फेटेमाइन्स स्किज़ोफ्रेनिया को बढाने का काम करती है| रौनकपुर में जब महाजन सिंह ने तुम्हे अपना सेक्स विडियो शूट करने की बात कही तब तुम्हारा स्केज़ोफ्रेनिक माइंड ट्रिगर हो गया| तुमने विकास से सिगरेट मांगे, वो सिगरेट जिनमे मैं पहले से ही अम्फेटेमाइन्स मिला चुका था| मैं जिस मौके का इंतज़ार कर रहा था आखिरकार वो मेरे हाथ लग चुका था| बस अब उस प्रेशर को और बढ़ाना था| अम्फेटेमाइन्स ने मेरा वो काम कर दिया| ये विडियो देखो’| प्रत्युष ने अपनी जेब से मोबाइल निकाला और उसपर एक विडियो प्ले करके रैना की तरफ बढ़ा दिया|
रैना ने मोबाइल उसके हाथ से लेकर विडियो देखा| उसकी आखें अविश्वास से फैल गईं| विकास भी उसके पास वो विडियो देखने आ गया था|
उस विडियो में रैना महाजन सिंह को फांसी पर लटकाती नजर आ रही थी|
‘स्केज़ोफ्रेनिक पेशेंट में अमानवीय शक्ति आ जाना बड़ी बात हैं है| आम हालात में रैना जैसी छुई-मुई लड़की महाजन सिंह जैसे पहाड़ को नहीं उठा सकती थी लेकिन स्केज़ोफ्रेनिक अटैक के दौरान उसके बल का मुकाबला करना महाजन सिंह के वश में नहीं था’|
‘म..मुझे याद नहीं कि म..मैंने महाजन सिंह को मारा’|
‘बेशक तुम्हे याद नहीं| तुम्हारा दिमाग इस कदर ट्विस्टेड हो चुका था| तुम्हे वो हॉर्नी हिमांशु याद है ना? उसने ना तुमसे इशानी के बारे में कुछ कहा ना ही उसने अपनी जान ली| उसने तुमपर अटैक ज़रूर किया था लेकिन स्केज़ोफ्रेनिया अटैक से ग्रस्त होकर तुमने ही उसकी गर्दन काटी थी’|
‘हिमांशु के पीछे जाने से कुछ पल पहले ही मैंने सिगरेट पिया था’|
‘बिलकुल! और अम्फेटेमाइन्स ने अपना काम कर दिया| लेकिन मुश्किल ये थी कि अब भी तुम्हारा दिमाग इशानी वाले इंसिडेंट को रीकॉल नहीं कर रहा था’|
‘इसलिए तुमने मुन्नार ट्रिप का सेट-अप प्लान किया| मानना पड़ेगा, काफी मेहनत की होगी तुमने मेरे जैसी शक्ल-सूरत, कद-काठी वाली लड़की ढूँढने में’|
‘तुम्हे अंदाजा भी नहीं है कि कितनी मुश्किल हुई मुझे इस काम में| रानी वास्तव में मुंबई की एक हाई-प्रोफाइल एस्कॉर्ट थी...बहुत ही महंगी एस्कॉर्ट जिसे मुंह मांगी कीमत देकर मैंने इस काम के लिए राज़ी किया था| उसे यही पता था कि ये एक प्रैंक, एक प्रैक्टिकल जोक है| क्योंकि वो एस्कॉर्ट थी इसलिए कपडे उतारने में भी उसे कोई ख़ास एतराज़ नहीं हुआ’|
‘तुमने रानी के ज़रिये इशानी के साथ घटी उस रात वाली घटना को रीक्रिएट करने की कोशिश की ताकि उससे मेरे दिमाग पर प्रेशर पड़े और मेरा मेंटल ब्लॉकेज हट जाए| क्या ज़बरदस्त प्लानिंग थी’| रैना प्रशंसात्मक लहजे में बोली|
‘प्रॉब्लम तब हुई जब उसकी न्यूड स्लीपवॉक के दौरान शशांक ने उसे लॉज के मेन डोर से निकल कर साइड के ट्रैपडोर से एंटर करके अपने कमरे में जाते देख लिया’|
‘और इसीलिए तुम्हारे लिए शशांक को रास्ते से हटाना ज़रूरी हो गया था’?
‘तुम अब भी गलत हो रैना| तुम्हे खुद अंदाजा नहीं है कि तुम कितनी खतरनाक हो| शशांक को मैंने या रानी ने नहीं खुद तुमने मारा था’|
‘व्हॉट’?! रैना के साथ-साथ विकास भी चौंका|
‘रानी ने देख लिया था कि शशांक ने उसे ट्रैपडोर से एंटर करते देख लिया है, उसने ये बात मुझे बताई| शशांक के मन में संशय जन्म ले चुका था लेकिन मेरे कहने पर रानी ने शशांक से यही कहा कि डॉक्टर पोद्दार के कहने पर वो और मैं एक एक्सपेरिमेंट कर रहे हैं रैना को ठीक करने के लिए’|
‘और शशांक मान गया’?
‘आसानी से तो नहीं! उसे मनाने के लिए रानी को अपने आपको उसके सामने परोसना पड़ा...जिसके लिए उसने मुझसे एक्स्ट्रा फीस वसूली’|
‘उस रात क्या हुआ था जब शशांक की डेथ हुई’? विकास अधीरता से बोला|
‘रैना ने रानी और शशांक को लेक-साइड पर इंटिमेट होते देखा था| उसका स्केज़ोफ्रेनिक माइंड इस बात को बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था कि उसके पीछे-पीछे पूंछ बन कर घूमने वाला शशांक रानी के पहलु में पनाह पा रहा था| उस रात मेरे रूम में आने से पहले रैना स्केज़ोफ्रेनिया के अटैक में शशांक के रूम में पहुंची| उसने  शशांक के ड्रिंक में एफिड्रीन मिला कर उसे पिलाया फिर उसके साथ पागलों की तरह सेक्स किया...तब तक जबतक शशांक का कार्डियक अरेस्ट नहीं हो गया’|
विकास के शरीर ने जोर की झुरझुरी ली|
‘जिसका की तुमने एम.एम.एस. बनाया और पोर्न साइट्स पर अपलोड कर दिया’| रैना नागिन की तरह फुफकारते हुए बोली|
‘टिट फॉर टेट बेबी’| प्रत्युष बेपरवाही से कंधे उचकाते हुए बोला|
‘वैसे रानी की बैकग्राउंड स्टोरी और सारे एविडेंस काफी अच्छी तरह प्लान किये थे तुमने|लेकिन मुझे शुरू से ही इस पूरी प्लानिंग में एक बहुत बड़ा झोल नजर आ गया था’|
‘वो क्या’?
‘रानी का एक्सेंट...यानी भाषाशैली| रानी भूत हो चाहे ना हो वो कम से कम मुन्नार की नेटिव नहीं थी| उसकी बैकग्राउंड स्टोरी के मुताबिक़ रानी जन्म से जवानी तक मुन्नार में रही थी फिरभी उसकी भाषाशैली मुम्बईया थी| उसके बात करने का लहज़ा, भाव-भंगिमाएं साफ़-साफ़ उसके मुम्बईया होने की चुगली कर रही थीं| लेकिन तुम्हारे यक्षिणी वाले पॉइंट ने कुछ समय के लिए मुझे असमंजस में डाल दिया था| उस रात औइजा बोर्ड वाली घटना के बाद मैं वापस रानी के लॉज गई थी| वहां काफी देर कोशिश करने के बाद मुझे आखिरकार वो ट्रैपडोर मिल गया जिसने रानी के सामने से निकलने के बाद भी जादुई अंदाज़ में अपने कमरे में पहुचने के करतब की कलई खोल दी’|
‘तो जब मैंने तुम्हे वाटर कूलर के पास देखा था तब तुम रानी के लॉज से लौट रही थी’? विकास ने पूछा|
‘हाँ! मेरे दिमाग में उधेड़बन चल रही थी| उस समय तक मैं श्योर नहीं थी कि ये सब तुम कर रहे हो या प्रत्युष, या फिर इसमें तुम दोनों मिले हुए हो’| रैना विकास से बोली|
‘मैं इसके बारे में कुछ नहीं जानता था’| विकास निर्विकार भाव से बोला|
‘हाँ, अब मैं ये बात जानती हूँ| मुझे अम्फेटेमाइन्स मिले हुए सिगरेट क्योंकि तुमसे मिलते थे इसलिए मेरा पहला शक तुमपर ही था’|
‘इसीलिए तुमने मुझसे सिगरेट का पैकेट छीन लिया था’?
‘हाँ, और वापस आकर मैंने अपने सोर्सेज से उन सिगरेट्स का लैब टेस्ट करवाया जिससे ये बात साफ़ हो गई कि उनमे अम्फेटेमाइन्स है’|
‘मैंने जानबूझकर तुम्हारे सिगरेट विकास के पास रखवाए थे, ताकि तुम्हे अगर कभी गलती से शक हो भी तो विकास पर हो’| प्रत्युष मुस्कुराते हुए बोला|
‘भगवान् तुम दोनों जैसे दोस्तों से बचाए’| विकास ने आहत भाव से कहा|
‘लेकिन तुम्हारी दिमाग की बत्ती कैसे जल गई’? प्रत्युष ने विकास की बात नज़रंदाज़ करते हुए रैना से पूछा|
‘मुझे किसी कांस्पीरेसी में फंसाया जा रहा है ये मुझे शुरू से ही लग रहा था| एम एम एस स्कैंडल होने के बाद मेरे पास दुनिया से छुपने के अलावा कोई आप्शन नहीं था| उस दौरान मैंने साड़ी घटनाओं, सभी कड़ीयों को इंट्रोस्पेक्ट करते-करते मैं अपने टूटे फोन तक पहुंची| उस समय तक मेरा शक क्योंकि विकास पर था और फोन के बारे में मुझे कुछ भी याद नहीं था मैं उस फोन से डेटा रिकवर कराने के लिए तुम्हारे पास आ रही थी| लेकिन तुम्हारे अपार्टमेंट के बाहर मुझे रानी दिख गई’|
‘मैंने उस बेवकूफ से कहा था मेरे अपार्टमेंट ना आया करे| शशांक की डेथ के बाद मैंने उसे रातों-रात मुन्नार से गायब करवा दिया था लेकिन वो मेरे पीछे ही पड़ी हुई थी’| प्रत्युष ने बेचैनी से पहलु बदला|
‘उस दिन एक चमत्कार हुआ, सुर्ख लाल रंग से पुती हुई रानी को उस अवस्था, उस माहाल में देखते ही मेरे दिमाग में जैसे कोई बिजली कौंधी| मेरे दिमाग का ब्लॉकेज हट गया| मुझे याद आ गया कि उस रात इशानी का विडियो मैंने ही बनाया था| स्केज़ोफ्रेनिया के अटैक में महाजन सिंह, हिमांशु और शशांक को मारने के बारे में मुझे कुछ नहीं पता था लेकिन अब पता चल गया है’|
‘फिर तुमने आज का ड्रामा स्टेज किया| रानी वाला सीन इनएक्ट किया, तुम जानती थी कि मैं समझ जाऊँगा फिर भी किया’?
‘उसकी एक ख़ास वजह है, थोड़ी देर में बताउंगी| वैसे भी ज़्यादातर सस्पेंस क्लियर हो चुके हैं| जो छोटे-मोटे बच गए हैं वो कुछ ख़ास नहीं हैं लेकिन एक बहुत बड़ा ट्विस्ट इन टेल बाकी है| वो औइजा बोर्ड| उस रात मैंने औइजा बोर्ड को अच्छे से चेक किया था| उसमे कोई मैकेनिज्म नहीं था| इशानी तो चलो मेरे पागलपन के कारण मुझे नज़र आई लेकिन औइजा बोर्ड पर प्लेनचेट कैसे घूम रहा था’? रैना ने उत्सुक भाव से पूछा|
प्रत्युष संजीदा हुआ| कुछ पल यूं खामोशी छायी रही जैसे वो निर्णय नहीं कर पा रहा हो कि कहाँ से शुरुआत करे|
‘इस पूरे किस्से में वो औइजा बोर्ड ही एकमात्र ऐसी कड़ी है जिसे मैं एक्सप्लेन नहीं कर सकता’| प्रत्युष गंभीर भाव से बोला|
‘व्हॉट’??
‘वो औइजा बोर्ड मैंने एक इंग्लैंड ट्रिप में किसी एंटिक शॉप से खरीदा था| उसे यूज़ करने का मेरा मकसद सिर्फ तुम्हारे दिमाग को प्रेशराइज़ करना था| मैं खुद नहीं जानता था कि उसपर वो चांदी का सिक्का चलने कैसे लगा था’|
प्रत्युष के इस खुलासे के बाद भी कमरे में सन्नाटा छा गया| तीनो को अपनी धड़कने कानो में बजती सुनाई दे रही थीं|
‘जानते हो प्रत्युष, मैंने मुन्नार से लौटने के बाद औइजा बोर्ड्स पर काफी रिसर्च की है| इस खेल के कुछ ख़ास नियम होते हैं, जिनमे से एक यही है कि खेलने वाले किसी भी हाल में एक-दूसरे का हाथ ना छोड़ें| दूसरा और सबसे अहम् नियम ये होता है कि ये खेल कभी भी किसी ऐसे खिलाड़ी के साथ नहीं खेलना चाहिए जिसे इस खेल या परालौकिक शक्तियों पर विश्वास ना हो क्योंकि ऐसा व्यक्ति आत्माओं के लिए दूसरी दुनिया से इस दुनिया में आने का सबसे बड़ा माध्यम वही व्यक्ति बनता है’|
प्रत्युष प्रश्नवाचक नज़रों से रैना को देख रहा था|
‘उस रात प्लेनचेट हम तीनो में से किसी ने नहीं हिलाया| यानी कोई ऐसी अदृश्य शक्ति वहां मौजूद थी जिसने दूसरी दुनिया से हमारी दुनिया में प्रवेश किया और जिसका माध्यम मैं बनी’|
‘ल...लेकिन रैना...तुम तो परामानवीय शक्तियों में विश्वास नहीं करती थी’!!
‘हाहाहा’!! रैना पागलों की तरह ठहाके लगा कर हंसने लगी|
‘अब भी नहीं करती हूँ| मैं सिर्फ इंसान और दिमाग की शक्ति में विश्वास करती हूँ| सोचा थोडा मैं भी तुम्हारे साथ खेल लूं’|
‘तुम क्या बोल रही हो मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा है’| प्रत्युष का दिमाग काम करना बंद कर चुका था|
रैना ने अपने गाउन के अंदर से औइजा बोर्ड निकाल कर उसे फर्श पर रखा, उसके बीचों बीच सिल्वर कॉइन रखा|
विकास और प्रत्युष साँसे थामे औइजा बोर्ड को देख रहे थे|
रैना की नज़रें कॉइन पर टिकी हुई थीं| कुछ देर में सिक्का अपनी जगह से हिला| पहले सिक्का पूरे बोर्ड पर फिर इंग्लिश के एल्फाबेट्स पर फिरने लगा|
F-U-C-K-Y-O-U
प्रत्युष और विकास मुंह बाए रैना को देख रहे थे|
‘इंसान की प्रोब्लम ये है कि जो उसके पास है वो उसकी शक्तियों में यकीन नहीं करता, लेकिन जो उसे दिखता नहीं, जिसका कोई वजूद नहीं उससे वो डरता है| तुमने साइकोकिनेसिस या टेलीकिनेसिस के बारे में सुना है’? रैना मुस्कुराते हुए बोली|
 ‘दिमाग की शक्ति से किसी भी वस्तु को बिना स्पर्श किये उसे उठाना या चलाना’!! प्रत्युष के मुंह से स्वतः ही निकला|
‘बिलकुल सही| टेलीकिनेसिस में इंसान का दिमाग मानसिक तरंगों को टेलीकाइनेटिक ऊर्जा में परिवर्तित करता है| इंसान की सोच, उसकी मानसिक तरंगे मैग्नेटिक वेव्स यानी चुम्बकीय शक्ति में ट्रांसफॉर्म होती हैं और बिना स्पर्श किये किसी भी वस्तु को अपनी जगह से उठा सकती हैं| साइंटिस्ट्स ने भी इस बात की पुष्टि की है कि टेलीकाइनेटिक एनर्जी द्वारा चीज़ों को स्पर्श किये बिना उन्हें अपनी मानसिक तरंगों से कण्ट्रोल करना संभव है’| रैना बोली|
‘ये असंभव है’!! प्रत्युष चिल्लाया|
‘कमाल है, अगर मैं बोलती कि सिक्का किसी आत्मा ने हिलाया है तो तुम आसानी से मान लेते लेकिन सिक्का मैने तुम्हारी नज़रों के सामने अपनी मानसिक तरंगों से हिलाया तो तुम उससे इनकार कर रहे हो’?
‘अपने दिमाग की टेलीकाइनेटिक एनर्जी को चार्ज करने और उससे किसी ऑब्जेक्ट को बिना स्पर्श किये उठाने में इंसान को सालों की कठिन मेहनत लगती है, उसके बाद भी लाखों-करोड़ों में कोई एक होता है जो ऐसा कर पाता है| तुमने रातों-रात ऐसा कैसे कर लिया’!!
‘इंसान का दिमाग अपने-आप में एक भूल-भुलैया है प्रत्युष| हम खुद अपनी शक्तियों को नहीं पहचानते| आम इंसान अपने दिमाग के बहुत ही कम प्रतिशत हिस्से का प्रयोग करता है, पागलों के दिमाग का सक्रीय प्रतिशत आम इंसान के प्रतिशत से कहीं अधिक होता है ये प्रूव हो चुका है| मेरे स्केज़ोफ्रेनिया ने मुझे विक्षिप्त बना दिया लेकिन मुझे टेलीकिनेसिस की शक्ति भी दे दी| शुरू में तो मुझे खुद भी यकीन नहीं हुआ कि मैं उस सिक्के को अपने दिमाग से चला रही हूँ| इसीलिए मैंने उसे चोरी से उठा के उसका प्रॉपर एग्जामिन किया’|
‘अब तुम करना क्या चाहती हो’? प्रत्युष सशंकित भाव में बोला|
रैना मुस्कुराते हुए अपनी जगह से उठी|
मेरा दिमाग विभास्ताओं की उन वर्जनाओं को पार कर चुका है जहां तक इंसानी परिधि है| इंसान से बुरी कोई परालौकिक शक्ति नहीं होती और मेरे जैसा इंसान को जो चाहिए उसे पाने के लिए वो कुछ भी कर सकता है|
रैना ने अपने जिस्म से गाउन परे ढलक जाने दिया, वो एक बार फिर निर्वस्त्र थी| विकास और प्रत्युष आवाक थे| आखिर करना क्या चाहती थी रैना?
उनके कुछ समझ पाने से पहले ही रैना उनपर भूखे भेड़िये की तरह टूट पड़ी| सर्द रात के सन्नाटे में उनकी चीख पहाड़ों में गूँज उठी|
अगले दिन उस बंद लॉज से विकास और प्रत्युष की लाशें बरामद हुई| पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के अनुसार दोनों की मौत कार्डियक अरेस्ट से हुई थी और मरने से ठीक पहले दोनों ने किसी के साथ शारीरिक सम्बन्ध बनाए थे|
उस घटना के बाद रैना कभी किसी को नहीं दिखी| बस उस क्षेत्र में यक्षिणी के नए किस्सों ने जन्म ले लिया| यक्षिणी जो अपने शिकार से शारीरिक सम्बन्ध बना कर उसे मार डालती है|
समाप्त.
    
    


Raina@Midnight-Conclusion

Prologue इशानी ने अपने जीवन में खुशियों का मुंह बहुत कम ही देखा था | जिस समय उसके पिता की मृत्यु हुई इशानी महज पांच साल की थी | पिता...