दिसंबर के महीने में ऐसी मूसलाधार तूफानी बारिश कभी नहीं हुई थी जैसी उस रात हो रही थी।
वेदांत के लिए अब और ड्राइव कर पाना संभव नहीं था, तीखा पहाड़ी रास्ता उसपर से तूफानी बारिश और रात का समय।
उस पहाड़ी रास्ते के कटाव इतने तीखे थे कि कोई दक्ष ड्राइवर भी उसपर ड्राइव नहीं कर सकता था, बरसात की कीचड़ और फिसलन ने उस रास्ते को और दुर्गम बना दिया था।
उस पहाड़ी रास्ते के कटाव इतने तीखे थे कि कोई दक्ष ड्राइवर भी उसपर ड्राइव नहीं कर सकता था, बरसात की कीचड़ और फिसलन ने उस रास्ते को और दुर्गम बना दिया था।
वेदांत ने एक क्षण के लिए कलाई घड़ी पर नज़र डाली, रात के दस बज चुके थे। उसी समय इतनी घनघोर आवाज़ हुई जैसे पूरा आसमान फट पड़ा हो। एक पल के लिए वातावरण में दिन सा उजाला छा गया। आस-पास कहीं बिजली गिरी थी।
वेदांत के पल के सौवें हिस्से में ब्रेक दबाया, वो बिजली शायद उसकी जान बचाने के लिए ही गिरी थी। वेदांत की कार जिस रास्ते पर बढ़ रही थी उसके आगे एक तीखा मोड़ था जो अंधेरे के कारण नज़र नहीं आ रहा था। अगर बिजली गिरने का उजाला नहीं होता तो वेदांत की कार अभी सैकड़ों फुट गहरी खाई नाप रही होती।
कटाव से मात्र कुछ इंच की दूरी पर वेदांत की गाड़ी के टायर रगड़ खा कर रुके।
उसके माथे पर पसीने की बूंदें चुहचुहा आई थीं, सांस अभी भी बुरी तरह उखड़ी हुई थी।
नहीं, ऐसी स्थिति में ड्राइव करना अपनी मौत को न्योता देना था। तूफान रुकने तक रात बिताने के लिए वेदांत को कोई सुरक्षित स्थान चाहिए था। लेकिन वहां उसे भला ऐसी कोई जगह कहां नसीब होती। वेदान्त उस मूसलाधार बरसात में गाड़ी से बाहर निकला|
उसके माथे पर पसीने की बूंदें चुहचुहा आई थीं, सांस अभी भी बुरी तरह उखड़ी हुई थी।
नहीं, ऐसी स्थिति में ड्राइव करना अपनी मौत को न्योता देना था। तूफान रुकने तक रात बिताने के लिए वेदांत को कोई सुरक्षित स्थान चाहिए था। लेकिन वहां उसे भला ऐसी कोई जगह कहां नसीब होती। वेदान्त उस मूसलाधार बरसात में गाड़ी से बाहर निकला|
उसने आस-पास कोई सुरक्षित स्थान देखने के इरादे से नज़रें घुमाई, बारिश में वो बुरी तरह भीग रहा था| आखों में पानी की धार तीर की तरह घुस रही थी, कुछ भी देख पाना मुहाल था|
हार मान कर वेदांत कार की ओर वापस मुड़ा ही था कि उसे लगा जैसे उसने बारिश में पहाड़ी ढलान पर दूर एक जलती हुई रौशनी सी देखी है| एक पल को उसने सोचा कि ये उसके मन का वहम है लेकिन आखों को सिकोड़ कर उस दिशा में देखने पर उसे वाकई दूर जलती लाइट दिखाई दी| लाइट अपनी जगह स्थिर थी यानि कि वो कोई गुजरती हुई गाडी नहीं थी|
वेदांत अपने ज़हन पर जोर डालने की कोशिश कर रहा था की उस वीराने के बीच वो रौशनी कहाँ से आ रही थी| ‘शकुन्तला इन! ये तो शकुन्तला इन है!! लेकिन यहाँ आज रौशनी कैसे दिखाई दे रही है?’ वेदांत अपने आप में ही बुदबुदाया, जैसे फैसला नहीं कर पा रहा हो कि जो देख रहा था वो वाकई हकीकत थी या उसके मन का वहम|
अँधेरे और फिसलन में संभल कर आगे बढ़ते हुए उसने उस पहाड़ी ढलान का मुआयना किया जिसके छोर पर वो रौशनी नजर आ रही थी| वो एक कच्चा रास्ता था, जोकि अभी कीचड़ और फिसलन से लबरेज़ था|
वेदांत ने सावधानीपूर्वक चिकनी और दलदली पहाड़ी ढलान से अपनी गाडी उतार कर इमारत की ओर बढ़ाई| इमारत जोकि अब वेदांत को याद आ रहा था कि शायद कोई सराय थी लेकिन वेदांत ने हमेशा उसे बंद ही देखा था| आज किस्मत से वहां लाइट जलती हुई दिख गई जोकि उसके लिए राहत की बात थी कि शायद वो रात और तूफ़ान का बचा हुआ समय सुरक्षित गुज़ार सके|
बिल्डिंग की एंट्रेंस पर काफी भारी और विक्टोरियन स्टाइल की नक्काशी वाला आयरन गेट था जोकि खुला हुआ था और बारिश व् हवा के थपेड़ों से खुद में खोल-बंद हो रहा था| गेट के ऊपर एक बड़ा लेकिन जंग खाया आर्क था जिसपर बड़े शब्दों में 'Shakuntala Inn' लिखा हुआ था, यह आर्क भी उस इमारत जितना ही पुराना और खस्ताहाल था|
वेदांत की हौंडा सिविक हुंकार भरते हुए आयरन गेट के भीतर प्रविष्ट हो गई|
सराय की बिल्डिंग बहुत बड़े कंपाउंड के बीचों-बीच बनी थी, बिल्डिंग के आगे का हिस्सा जहां वेदांत की गाड़ी प्रविष्ट हुई थी किसी ज़माने में उस सराय के सामने का बड़ा और बेहद खूबसूरत बागीचा हुआ करता था जोकि अब उजाड़ झंखाड़ में तब्दील हो चुका था| आयरन गेट से प्रवेश करने पर पत्थरों का बना हुआ दो सौ मीटर का सीधा रास्ता था जिसके दोनों तरफ खाली और उजाड़ ज़मीन थी| वेदांत ने अपनी कार बाएं ओर घुमा दी| एक पल के लिए उसे लगा जैसे इमारत के पीछे कोई साया था जिसपर से हेडलाइट की रौशनी पल भर के लिए गुजरी|
बारिश और अँधेरे की वजह से वेदांत यह समझ नहीं पाया कि वो साया कोई मर्द था या औरत|
वेदांत ने देखा वहां पर पहले ही एक स्कॉर्पियो खड़ी हुई थी| उसने अपनी हौंडा सिविक स्कॉर्पियो के बगल में खड़ी कर दी और बाहर निकल कर कार लॉक करने के बाद उस दिशा में घूमा जिधर उसने साए को देखा था|
‘हेल्लो’!!
‘कोई है’!!
प्रत्युतर में उसे सिर्फ बारिश और हवा का शोर ही मिला|
खिड़की से आ रही रौशनी सिर्फ इमारत के सामने के भाग पर पड़ रही थी, उस जगह पर जहां वेदांत की कार और वो स्कॉर्पियो खड़े थे| इमारत के दोनों बगल के हिस्सों और पिछली तरह घुप्प अँधेरा था|
वेदांत सावधानीपूर्वक पिछले हिस्से की ओर बढ़ रहा था|
वेदांत अभी ईमारत के बगल से ही गुजर रहा था कि उसका ध्यान एक आवाज़ की ओर गया| यह आवाज़ हवा में खुली हुई खिड़की के खुल-बंद होने की थी| वेदांत ने देखा कि इमारत की पहली मंजिल के एक कमरे की खिड़की खुली हुई थी, कमरे में रौशनी थी| शायद कोई गलती से खिड़की खुली भूल गया था....या फिर एक संभावना यह भी थी कि जो साया वेदांत को नजर आया था वो उस खुली खिड़की के सहारे इमारत में प्रविष्ट हुआ हो|
वेदांत अब इमारत के पिछले हिस्से में पहुँच चुका था| सामने की तरह यहाँ भी काफी बड़ी ज़मीन थी| इमारत के अगले हिस्से की तरह यहाँ पत्थर नहीं बिछे हुए थे| यहाँ झंखाड़ इमारत के अगले हिस्से की तुलना में कदरन ज्यादा था| फेंसिंग के पास वेदांत को झाड़ियों का समूह कुछ अजीब सी आकृति बनाता हुआ दिखाई दिया|
आसमान में दोबारा भीषण घन गर्जना हुई| कौंधती हुई बिजली में वेदांत ने अपने सामने दैत्य की तरह मुंह फाड़े आकृति समूह को साफ़-साफ़ देखा|
वेदांत को ऐसा लगा जैसे वो गाड़ियों का कोई कब्रिस्तान देख रहा हो| यहाँ कई पुरानी और कबाड़ा हो चुकी गाड़ियां खड़ी हुई थीं|
इन्हें देख कर ही लगता था कि यह गाड़ियां यहाँ काफी वक्त से खड़ी हैं, जंगली बेलों और खर-पतवार ने इन गाड़ियों को जैसे प्रकृति का ही हिस्सा बना लिया था| गाड़ियों की सीट उधेड़ कर बाहर निकले स्प्रिंग, जंग लगे, टूट कर अपने कब्जों से लटकते दरवाज़े, चकनाचूर हुए विंड स्क्रीन पैनल, हर एक चीज़ को जंगली बेलों ने अपने आगोश में समेटा हुआ था, स्क्रैपयार्ड की तरह एक पर एक पड़ी उन गाड़ियों और उन्हें अपने में जज़्ब करती हुई जंगली वनस्पतियों ने मिलकर एक ऐसा इल्यूज़न, एक ऐसा दृष्टि भ्रम तैयार किया था जो किसी घात लगाए भयावह आकृति का आभास देता था, रही सही कसर बारिश और हवा के शोर ने पूरी कर दी थी| वेदांत ने कुछ चैन की सांस ली|
वेदांत वापस घूमा और लम्बे डग भरता हुआ इमारत के अगले हिस्से की ओर बढ़ गया|
मुख्य द्वार पर एक बड़ा सा घंटा लटक रहा था, वेदांत ने उससे लगी रस्सी खींची जिसका दूसरा सिरा इमारत के अंदर कहीं जाता था, अन्दर घंटा बजने की आवाज़ हुई|
एक मिनट बाद इमारत का दरवाज़ा खुला, वेदांत के सामने लगभग चौबीस साल की एक लडकी खड़ी थी|
वेदांत ने किसी लड़की द्वारा दरवाज़ा खोले जाने की कल्पना भी नहीं की थी, वो आवाक खड़ा उस लड़की को देख रहा था|
इतनी बला की खूबसूरत लड़की उसने आजतक नहीं देखी थी, बच्चों जैसी निश्छल मासूमियत थी उसके चेहरे पर|
उसकी आखें, उफ़! कैसी कशिश थी उन आखों में जिसने वेदांत के पूरे वजूद को जैसे सम्मोहन में जकड़ लिया था|
एक अजनबी को ऐसे भावों से अपनी ओर देखता देख कर लड़की सकपका गई|
उसकी असहजता उसके खूबसूरत चेहरे पर स्पष्ट उभरी| वेदांत को भी उसकी असहजता का एहसास हुआ|
‘आई एम एक्सट्रीमली सॉरी, तूफानी बारिश में फंस गया हूँ| रात बिताने के लिए जगह मिल जाती तो बहुत मेहरबानी होती'|
'कम इन माय बॉय!! बाहर खड़े क्यों भीग रहे हो?
अंदर से एक रौबदर आवाज़ आई।
चेहरे पर तीव्र अनिच्छा के भाव लिए लड़की एक ओर हट गई।
वेदांत ने देखा सामने ही एक बड़ी गोल मेज़ लगी हुई थी जिसके आजू-बाजू छे कुर्सियां थीं। एक कुर्सी पर लगभग 55 साल का लेकिन शरीर से तगड़ा और चेहरे से सजग व्यक्ति बैठा था। उसके एक हाथ में सिगार थमा हुआ था और दूसरे हाथ मे कांच का ग्लास था जो आधा रम से भरा हुआ था, सामने टेबल पर ओल्ड मॉन्क रम की बॉटल रखी हुई थी।
'ये पहाड़ी बरसात है यंग मैन, सुबह से पहले इसके रुकने की उम्मीद मत करो। कम हैव ऐ सीट, लेट मी गेट यू ऐ ड्रिंक'। शख्स ने वेदांत को अंदर आने का इशारा किया।
'इट्स रियली काइंड ऑफ यू सर'। वेदांत कृतज्ञ भाव से कहते हुए अंदर आ गया। लड़की ने उसके पीछे दरवाज़ा बन्द कर दिया।
वेदांत ने देखा कि उस उम्रदराज़ शख्स और उस लड़की के अलावा भी कुछ लोग वहां मौजूद थे। उन दोनों के अलावा वहां दो लड़के और तीन लड़कियां मौजूद थे, ये पाँचों उस खूबसूरत लड़की के हमउम्र थे और एक साथ ही वहां आए प्रतीत होते थे।
वेदांत उस उम्रदराज़ शख़्स के सामने वाली कुर्सी पर बैठ गया। उसने अपना पानी से बुरी तरह भीग चुका लेदर जैकेट उतारा और उसे कुर्सी के पीछे टाँग दिया। उम्रदराज़ शख्स ने इशारों में उस खूबसूरत लड़की को आदेश दिया, लड़की कहीं से वैसा ही ग्लास बरामद कर लाई जैसी उस शख्स के हाथ मे था।
'सोडा या पानी'?
'नीट सर'।
'वेरी नाइस! रम में पानी या सोडा मिलाना रम की बेइज़्ज़ती है। लेकिन नीट रम पचाने के गुर्दा ज़्यादातर सिविलियन्स में नहीं होता'। उम्रदराज़ शख़्स ने प्रशंसात्मक अंदाज़ में वेदांत को देखा और अपनी खुशी का इज़हार करते हुए उसके सामने रखे ग्लास में आधे से ऊपर रम भर दी।
पूरी तरह भीगने से वेदांत को काफी ठंड लग रही थी, उसने ग्लास उठाया और एक ही झटके में रम हलक से नीचे उतार ली।
'वैसे इस तूफानी मौसम में तुम जा कहां रहे थे'?
'कल सुबह ग्यारह बजे मेरा शो है राजनगर में। उसके लिए ही निकला था, जब निकला था तब मौसम तूफ़ानी नहीं था...ये तूफान तो रास्ते मे मिल गया'।
वेदांत ने एक सरसरी निगाह उस जगह पर डाली, वहां सीलन और ऐसी दुर्गन्ध थी जैसी किसी जगह के सालों बन्द रहने पर होती है। ज़्यादातर चीज़ों पर भी धूल की मोटी परत पड़ी हुई थी यानी उन लोगों को भी वहां आए अधिक समय नहीं हुआ था|
'वेदांत कपूर! आप वेदांत कपूर हैं ना...द फेमस वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर'? वहां मौजूद दोनों लड़कों में से एक ने चौंकते हुए कहा|
'जी'| हलकी मुस्कान के साथ वेदांत ने सहज भाव से सर हिलाया|
'ओ माई गॉड! वी आर ह्यूज फैन ऑफ़ योर क्लिक्स'!! उस लड़के के साथ वाली लड़की चहकते हुए बोली|
'हाँ, आपकी पिक मैंने नेशनल जियोग्राफिक मैगज़ीन में देखी थी| बस अचानक आपको सामने देखकर पहचान नहीं पाया'|
वो चारों ही वेदांत से अब खासे प्रभावित दिख रहे थे, लेकिन वेदांत ने गौर किया कि जिस लड़की ने उसके लिए दरवाज़ा खोला था उसकी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आ रही थी|
'इफ यू डोंट माइंड मी अस्किंग, आपलोग यहाँ इस समय क्या कर रहे हैं'?
'मेरा नाम कर्नल धरमवीर थापर है, यहाँ से डेढ़ किलोमीटर दूर क्रिसेंट हिल पर मेरा कॉटेज है| इस पूरे इलाके से मैं भलीभांति वाकिफ हूँ इसलिए इन बच्चों के साथ गाइड के तौर पर यहाँ आया हूँ'|
उम्रदराज़ शख्स ने, जोकि कर्नल थापर था, अपने और वेदांत के लिए एक और लार्ज पेग तैयार किया, फिर उस खूबसूरत लड़की की तरफ इशारा करते हुए कहना शुरू किया|
'ये मेघना है, इस शकुन्तला इन की ओनर'|
'ओनर? ये जगह तो सालों से बंद पड़ी है ना'? वेदांत ने रम की चुस्की लेते हुए कहा|
'मुझे ठीक से पता नहीं, पर यहाँ कोई हादसा हुआ था शायद'? वेदांत ने अपनी जीन्स की बैक पॉकेट से अपना सिगरेट केस बरामद किया और एक सिगरेट निकाल कर होठों से लगा लिया|
'हादसा नहीं डूड, ये जगह इंडिया की बेट्स मोटेल है'| जिस लड़के ने वेदांत को पहचाना था उसने अपने लाइटर से वेदांत का सिगरेट सुलगाया|
'मतलब'?
'अरे! आप बेट्स मोटेल नहीं जानते? नॉर्मन बेट्स...एल्फ्रेड हिचकॉक की महानतम फिल्म साइको...'
'शट अप ऋषभ! कुछ भी बकवास करने लगता है तू'!! उस लड़के के साथ खड़ी लड़की भव्या ने उसकी बात बीच में ही काट दी|
'ऑब्वियसली, साइको के बारे में कौन नहीं जानता| लेकिन उसका और बेट्स मोटेल का इस शकुंतला इन से क्या कनेक्शन'? वेदांत ने कर्नल की तरफ देखते हुए कहा|
उसके सवाल का जवाब कर्नल के बजाए मेघना ने दिया|
'मेरे पिता रियल लाइफ साइको थे| इस जगह पर उन्होंने कम से कम बीस खून किए थे...या शायद उससे ज्यादा, जिसके बारे में पुलिस भी पता नहीं लगा पाई'|
कुछ पलों के लिए वहां बिलकुल सन्नाटा था, कोई कुछ ना बोला| सिर्फ बाहर होती मूसलाधार बारिश के थपेड़ों की आवाज़ आ रही थी|
'इस जगह का नाम मेरी माँ शकुंतला देवी के नाम पर रखा गया था| माँ-पापा दोनों मिलकर इस जगह को चलाते थे, शुरू में सबकुछ ठीक था| फिर धीरे-धीरे पापा काफी परेशान रहने लगे, वो दिन भर अपने आप से बातें किया करते, खुद में ही बडबडाया करते थे| उनकी इस हालत को देखते हुए माँ ने मुझे मेरी नानी के यहाँ राजनगर भेज दिया| उस समय मैं सिर्फ नौ साल की थी, माँ को लगता था कि वो पापा को और इस जगह को संभाल लेंगी लेकिन वो गलत थीं'|
मेघना की आवाज़ भर्रा गई, उसकी बेस्ट फ्रेंड रेवा ने मिनरल वॉटर की बोतल उसकी तरफ बढ़ाई| मेघना ने पानी के दो घूँट भरे, और आखों से उमड़ पड़ने को तैयार आंसुओं को भी जैसे घोंट गई|
'पापा की दिमागी हालत ठीक नहीं थी ये तो माँ जानती थीं लेकिन वो एक साइको किलर होंगे इसका अंदेशा माँ को भी नहीं था| माँ को शक तब हुआ जब यहाँ ठहरने वाले गेस्ट्स गायब होने लगे| तबतक पुलिस को भी शक हो चुका था| जब पुलिस यहाँ आई उस समय पापा चाकुओं से गोद-गोद कर मेरी माँ की जान ले रहे थे'|
इस बार मेघना अपने आसुओं को नहीं रोक पाई| रेवा उसे शांत कराने की कोशिश कर रही थी|
'अ...आई एम सॉरी'| वेदांत को वाकई मेघना के लिए अफ़सोस हो रहा था|
'मेघना का पिता रमेश तेहिल्यानी मेरा पुराना दोस्त था, उसके एंगर इश्यूज से मैं वाकिफ था| अपने गुस्से पर काबू नहीं रख पाता था वो| जवानी के दिनों में हम फ़ौज में एकसाथ थे, उसके गुस्से और अफसरों से हुक्मउदूली व बदसलूकी के कारण ही उसे फ़ौज से निकाल दिया गया था'| कर्नल थापर बोला|
'एंड यू नो द क्रीपिएस्ट पार्ट, मेघना के फादर कभी पकड़े नहीं गए'| ऋषभ ने यूं चहकते हुए कहा जैसे किसी बहुत बड़े राज़ का खुलासा कर रहा हो|
'ऋषभ यू एसहोल, शट-अप ऑर आए एम गॉना पंच योर फेस!!' भव्या चिढ़ते हुए बोली, ऋषभ चुप हो गया|
'इट्स ट्रू! मेरे पापा को माँ का कत्ल करते हुए पुलिस ने रंगे हाथों पकड़ लिया था, फिर इस कॉटेज की तलाशी में बेसमेंट, एटिक और अलग-अलग जगहों से पुलिस ने बीस डेड बॉडीज बरामद कीं, सभी डीकम्पोजीशन की अलग-अलग स्टेजेज़ पर थीं| पापा को फ़ौरन अरेस्ट कर लिया गया| जिस रात पापा अरेस्ट हुए थे उस रात भी ऐसी ही तूफानी बारिश हो रही थी'|
मेघना बोलते-बोलते खिड़की के पास पहुंची| खिड़की के बंद कांच पर बारिश की बूँदें सैकड़ों-हज़ारों तीरों की तरह बरस रही थीं|
'इन पहाड़ी रास्तों से पुलिस पापा को राजनगर ले जा रही थी लेकिन पापा पुलिस वालों को चकमा देकर रात और तूफानी बारिश में गायब हो गए| उस दिन से आजतक उन्हें किसी ने नहीं देखा...लेकिन हर दिन मैं भगवान् से यही मनाती हूँ कि उस रात पापा पहाड़ी से गिर कर मर गए हों'|
मेघना के आखरी शब्द मानो विष से भरे हुए थे| भावावेश को काबू कर पाने का इससे अधिक सामर्थ्य नहीं था उसमे|
जिन आंसुओं को रोकने का भरसक प्रयास कर रही थी वो अंततः फूट निकले| रेवा उसे चुप कराने की कोशिश करने लगी, मेघना ने लगभग फ़ौरन ही खुद को संभाला|
वेदांत उस लड़की को एकटक देख रहा था| पहले तो उसकी खूबसूरती ने ही उसे प्रभावित किया था लेकिन अब उसके बारे में जानने के बाद उसके प्रति वेदांत के दिल में प्रशंसा के भाव उठ रहे थे| अपने अतीत रुपी दानव का इतनी परिपक्वता और दृणतापूर्वक सामना करना हर किसी के वश की बात नहीं थी|
'शकुंतला इन मेरी माँ का सपना था और अब यह मेरा भी सपना है| मैं इस जगह को एक रेसॉर्ट में तब्दील करना चाहती हूँ| इस कॉटेज की बिल्डिंग अभी भी अच्छी स्थिति में है बस इसे रेनोवेशन और रीडिजाइनिंग की ज़रुरत है'| मेघना ने कहा|
'इसी काम के लिए हमलोग मेघना के साथ यहाँ आए हैं'| अबतक शांत बैठे कपल रोहित और रैना में से रोहित बोला|
'रोहित और रैना आर्किटेक्ट हैं, ऋषभ इंटीरियर डिज़ाइनर है, रेवा वास्तु एक्सपर्ट है और भव्या होटल मैनेजमेंट एक्सपर्ट है'| मेघना ने सबके बारे में बताते हुए कहा|
'इस बिल्डिंग में ही कहीं ना कहीं यहाँ का ब्लूप्रिंट मैप होगा, अगर हम उसे ढूंढ लें तो काम आसान हो जायेगा'|
'मैंने यहाँ बेसमेंट में ब्लूप्रिंट्स दूंधने की कोशिश की थी लेकिन कुछ नहीं मिला, कल दिन में हमलोग फिर कोशिश करेंगे'| मेघना अर्थपूर्ण लहजे में बोली|
'इस जगह के खूनी अतीत के बारे में जानने के बाद क्या लोग यहाँ आना और ठहरना पसंद करेंगे'? वेदांत सोचपूर्ण मुद्रा में बोला|
'वेदांत कपूर! आप वेदांत कपूर हैं ना...द फेमस वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर'? वहां मौजूद दोनों लड़कों में से एक ने चौंकते हुए कहा|
'जी'| हलकी मुस्कान के साथ वेदांत ने सहज भाव से सर हिलाया|
'ओ माई गॉड! वी आर ह्यूज फैन ऑफ़ योर क्लिक्स'!! उस लड़के के साथ वाली लड़की चहकते हुए बोली|
'हाँ, आपकी पिक मैंने नेशनल जियोग्राफिक मैगज़ीन में देखी थी| बस अचानक आपको सामने देखकर पहचान नहीं पाया'|
वो चारों ही वेदांत से अब खासे प्रभावित दिख रहे थे, लेकिन वेदांत ने गौर किया कि जिस लड़की ने उसके लिए दरवाज़ा खोला था उसकी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आ रही थी|
'इफ यू डोंट माइंड मी अस्किंग, आपलोग यहाँ इस समय क्या कर रहे हैं'?
'मेरा नाम कर्नल धरमवीर थापर है, यहाँ से डेढ़ किलोमीटर दूर क्रिसेंट हिल पर मेरा कॉटेज है| इस पूरे इलाके से मैं भलीभांति वाकिफ हूँ इसलिए इन बच्चों के साथ गाइड के तौर पर यहाँ आया हूँ'|
उम्रदराज़ शख्स ने, जोकि कर्नल थापर था, अपने और वेदांत के लिए एक और लार्ज पेग तैयार किया, फिर उस खूबसूरत लड़की की तरफ इशारा करते हुए कहना शुरू किया|
'ये मेघना है, इस शकुन्तला इन की ओनर'|
'ओनर? ये जगह तो सालों से बंद पड़ी है ना'? वेदांत ने रम की चुस्की लेते हुए कहा|
'मुझे ठीक से पता नहीं, पर यहाँ कोई हादसा हुआ था शायद'? वेदांत ने अपनी जीन्स की बैक पॉकेट से अपना सिगरेट केस बरामद किया और एक सिगरेट निकाल कर होठों से लगा लिया|
'हादसा नहीं डूड, ये जगह इंडिया की बेट्स मोटेल है'| जिस लड़के ने वेदांत को पहचाना था उसने अपने लाइटर से वेदांत का सिगरेट सुलगाया|
'मतलब'?
'अरे! आप बेट्स मोटेल नहीं जानते? नॉर्मन बेट्स...एल्फ्रेड हिचकॉक की महानतम फिल्म साइको...'
'शट अप ऋषभ! कुछ भी बकवास करने लगता है तू'!! उस लड़के के साथ खड़ी लड़की भव्या ने उसकी बात बीच में ही काट दी|
'ऑब्वियसली, साइको के बारे में कौन नहीं जानता| लेकिन उसका और बेट्स मोटेल का इस शकुंतला इन से क्या कनेक्शन'? वेदांत ने कर्नल की तरफ देखते हुए कहा|
उसके सवाल का जवाब कर्नल के बजाए मेघना ने दिया|
'मेरे पिता रियल लाइफ साइको थे| इस जगह पर उन्होंने कम से कम बीस खून किए थे...या शायद उससे ज्यादा, जिसके बारे में पुलिस भी पता नहीं लगा पाई'|
कुछ पलों के लिए वहां बिलकुल सन्नाटा था, कोई कुछ ना बोला| सिर्फ बाहर होती मूसलाधार बारिश के थपेड़ों की आवाज़ आ रही थी|
'इस जगह का नाम मेरी माँ शकुंतला देवी के नाम पर रखा गया था| माँ-पापा दोनों मिलकर इस जगह को चलाते थे, शुरू में सबकुछ ठीक था| फिर धीरे-धीरे पापा काफी परेशान रहने लगे, वो दिन भर अपने आप से बातें किया करते, खुद में ही बडबडाया करते थे| उनकी इस हालत को देखते हुए माँ ने मुझे मेरी नानी के यहाँ राजनगर भेज दिया| उस समय मैं सिर्फ नौ साल की थी, माँ को लगता था कि वो पापा को और इस जगह को संभाल लेंगी लेकिन वो गलत थीं'|
मेघना की आवाज़ भर्रा गई, उसकी बेस्ट फ्रेंड रेवा ने मिनरल वॉटर की बोतल उसकी तरफ बढ़ाई| मेघना ने पानी के दो घूँट भरे, और आखों से उमड़ पड़ने को तैयार आंसुओं को भी जैसे घोंट गई|
'पापा की दिमागी हालत ठीक नहीं थी ये तो माँ जानती थीं लेकिन वो एक साइको किलर होंगे इसका अंदेशा माँ को भी नहीं था| माँ को शक तब हुआ जब यहाँ ठहरने वाले गेस्ट्स गायब होने लगे| तबतक पुलिस को भी शक हो चुका था| जब पुलिस यहाँ आई उस समय पापा चाकुओं से गोद-गोद कर मेरी माँ की जान ले रहे थे'|
इस बार मेघना अपने आसुओं को नहीं रोक पाई| रेवा उसे शांत कराने की कोशिश कर रही थी|
'अ...आई एम सॉरी'| वेदांत को वाकई मेघना के लिए अफ़सोस हो रहा था|
'मेघना का पिता रमेश तेहिल्यानी मेरा पुराना दोस्त था, उसके एंगर इश्यूज से मैं वाकिफ था| अपने गुस्से पर काबू नहीं रख पाता था वो| जवानी के दिनों में हम फ़ौज में एकसाथ थे, उसके गुस्से और अफसरों से हुक्मउदूली व बदसलूकी के कारण ही उसे फ़ौज से निकाल दिया गया था'| कर्नल थापर बोला|
'एंड यू नो द क्रीपिएस्ट पार्ट, मेघना के फादर कभी पकड़े नहीं गए'| ऋषभ ने यूं चहकते हुए कहा जैसे किसी बहुत बड़े राज़ का खुलासा कर रहा हो|
'ऋषभ यू एसहोल, शट-अप ऑर आए एम गॉना पंच योर फेस!!' भव्या चिढ़ते हुए बोली, ऋषभ चुप हो गया|
'इट्स ट्रू! मेरे पापा को माँ का कत्ल करते हुए पुलिस ने रंगे हाथों पकड़ लिया था, फिर इस कॉटेज की तलाशी में बेसमेंट, एटिक और अलग-अलग जगहों से पुलिस ने बीस डेड बॉडीज बरामद कीं, सभी डीकम्पोजीशन की अलग-अलग स्टेजेज़ पर थीं| पापा को फ़ौरन अरेस्ट कर लिया गया| जिस रात पापा अरेस्ट हुए थे उस रात भी ऐसी ही तूफानी बारिश हो रही थी'|
मेघना बोलते-बोलते खिड़की के पास पहुंची| खिड़की के बंद कांच पर बारिश की बूँदें सैकड़ों-हज़ारों तीरों की तरह बरस रही थीं|
'इन पहाड़ी रास्तों से पुलिस पापा को राजनगर ले जा रही थी लेकिन पापा पुलिस वालों को चकमा देकर रात और तूफानी बारिश में गायब हो गए| उस दिन से आजतक उन्हें किसी ने नहीं देखा...लेकिन हर दिन मैं भगवान् से यही मनाती हूँ कि उस रात पापा पहाड़ी से गिर कर मर गए हों'|
मेघना के आखरी शब्द मानो विष से भरे हुए थे| भावावेश को काबू कर पाने का इससे अधिक सामर्थ्य नहीं था उसमे|
जिन आंसुओं को रोकने का भरसक प्रयास कर रही थी वो अंततः फूट निकले| रेवा उसे चुप कराने की कोशिश करने लगी, मेघना ने लगभग फ़ौरन ही खुद को संभाला|
वेदांत उस लड़की को एकटक देख रहा था| पहले तो उसकी खूबसूरती ने ही उसे प्रभावित किया था लेकिन अब उसके बारे में जानने के बाद उसके प्रति वेदांत के दिल में प्रशंसा के भाव उठ रहे थे| अपने अतीत रुपी दानव का इतनी परिपक्वता और दृणतापूर्वक सामना करना हर किसी के वश की बात नहीं थी|
'शकुंतला इन मेरी माँ का सपना था और अब यह मेरा भी सपना है| मैं इस जगह को एक रेसॉर्ट में तब्दील करना चाहती हूँ| इस कॉटेज की बिल्डिंग अभी भी अच्छी स्थिति में है बस इसे रेनोवेशन और रीडिजाइनिंग की ज़रुरत है'| मेघना ने कहा|
'इसी काम के लिए हमलोग मेघना के साथ यहाँ आए हैं'| अबतक शांत बैठे कपल रोहित और रैना में से रोहित बोला|
'रोहित और रैना आर्किटेक्ट हैं, ऋषभ इंटीरियर डिज़ाइनर है, रेवा वास्तु एक्सपर्ट है और भव्या होटल मैनेजमेंट एक्सपर्ट है'| मेघना ने सबके बारे में बताते हुए कहा|
'इस बिल्डिंग में ही कहीं ना कहीं यहाँ का ब्लूप्रिंट मैप होगा, अगर हम उसे ढूंढ लें तो काम आसान हो जायेगा'|
'मैंने यहाँ बेसमेंट में ब्लूप्रिंट्स दूंधने की कोशिश की थी लेकिन कुछ नहीं मिला, कल दिन में हमलोग फिर कोशिश करेंगे'| मेघना अर्थपूर्ण लहजे में बोली|
'इस जगह के खूनी अतीत के बारे में जानने के बाद क्या लोग यहाँ आना और ठहरना पसंद करेंगे'? वेदांत सोचपूर्ण मुद्रा में बोला|
'खून के धब्बे कितने ही गहरे क्यों ना हों समय की धूल उन्हें दबा ही देती है। भूल जाना इंसानी तासीर है बरखुर्दार'। कर्नल थापर बोला। उसकी आवाज़ में तरन्नुम थी, रम अपना असर दिखा रही थी। हालांकि कर्नल जितना पी चुका था उतने में उसे ज़मीन लोट जाना चाहिए था।
अपनी तरन्नुम में कर्नल ने अपना और वेदांत का ग्लास भरा। वेदांत ने कलाई घड़ी पर नज़र डाली, रात के बारह बज रहे थे। बारिश वाकई एक छंटाक भी कम नही हुई थी।
'रात काफी हो चुकी है, मेरे ख्याल में हम सबको खाना खा कर आराम करना चाहिए। होपफुली सुबह तक बारिश रुक जाएगी तब वेदांत राजनगर के लिए निकल सकते हैं और हमलोग काम पर लग सकते हैं'। मेघना ने निर्देशात्मक अंदाज़ में कहा, सभी ने सहमति में सर हिलाया।
'तुमलोग खाना खा लो, मैं बहुत थक गई हूँ और इस जगह का वास्तु भी मुझे सूट नहीं कर रहा। मैं ऊपर रेस्ट करने जा रही हूँ, सुबह मिलते हैं'। रेवा ने कहा और सीढ़ियों से ऊपर की ओर बढ़ गई।
वेदांत ने ध्यान दिया कि वो लोग जहां थे वो जगह सराय की मेन लॉबी और रिसेप्शन रही होगी, वहां से लगी सीढियां ऊपर पहली और दूसरी मंजिल को जाती थीं जिनपर सीढ़ियों के दोनों तरफ़ कतार में चार-चार कमरे बने हुए थे। लॉबी से लगा हुआ मुख्य प्रवेश द्वार था जिससे वेदांत अंदर आया था, इसके अलावा वहां दो दरवाज़े और थे जिनमें से एक वहां के किचेन का था और दूसरा दरवाज़ा बंद था जोकि वेदांत ने अंदाज़ा लगाया कि वहां के बेसमेंट का था।
वेदांत और कर्नल जिस टेबल पर बैठे थे उसपर बैटरी से चलने वाली बड़ी टॉर्च जल रही थी, वैसी ही टॉर्च लॉबी के दो कोनों में जल रही थी, एक किचेन में और दूसरी उस बन्द दरवाज़े के पास। इन तीनो लाइट्स से वहां पर पर्याप्त उजाला था। ऊपर पहली मंजिल के चार कमरों से वैसी ही रौशनी आ रही थी जबकि दूसरी मंज़िल पर घुप्प अंधेरा था।
रोहित, रेैना और भव्या किचेन से रेडी टू ईट मील्स के पैकेट्स ला रहे थे, मेघना और ऋषभ ने टेबल पर खाना व्यवस्थित किया।
रोहित, रेैना और भव्या किचेन से रेडी टू ईट मील्स के पैकेट्स ला रहे थे, मेघना और ऋषभ ने टेबल पर खाना व्यवस्थित किया।
खाने में चिकेन सॉसेजेज़, ड्रमस्टिक्स, हॉटडॉग, सेलेमी सैंडविच जैसी चीजें ही थीं लेकिन वेदांत भूख से इस कदर व्याकुल था कि बिना एक पल की भी देरी किए खाने पर टूट पड़ा।
खाना खत्म होते-होते रात के पौने एक बजे गए।
'पीने का पानी खत्म है' मेघना ने लॉबी के एक तरफ बने काउंटर पर खाली मिनरल वॉटर की बोतलों का ढेर देखते हुए कहा।
'अरे स्कोर्पियो में पानी के दो कार्टन रखे हुए हैं'। ऋषभ बोला।
'ऋषभ यू इडियट, उन्हें निकाल लेना चाहिए था ना! अब इस समय इतनी बारिश में कौन जाएगा कार्टन निकालने'! भव्या झुंझला कर बोली।
'यही जाएगा। जा ऋषभ दोनो कार्टन निकाल कर ले आ'। मेघना ने कहा।
'लेकिन मैं अकेले कैसे जाऊं'?
'क्यों? तुझे अंधेरे में अकेले डर लगता है'?
'अरे नहीं वो बात नहीं है, अंधेरे और बारिश में कोई लाइट दिखाने वाला तो चाहिए ना'।
'ठहरो मैं चलता हूँ तुम्हारे साथ'। वेदांत बोला।
'ठीक है। मैं तबतक रेवा को कुछ खिला देती हूँ'। मेघना ने खाने का थोड़ा सामान लिया और सीढ़ियों की तरफ बढ़ गई।
वेदांत और ऋषभ बाहर निकले। वेदांत ने बैटरी लाइट संभाली हुई थी जिससे वो ऋषभ को रास्ता दिखा रहा था, ऋषभ स्कोर्पियो की चाभियाँ लिए हुए आगे चल रहा था।
बारिश के थपेड़े अभी भी ऐसे ही पड़ रहे थे जैसे ओलावृष्टी हो रही हो। ठंड और सिहरन से हाल बुरा था।
'अंदर जा कर मुझे भी कर्नल अंकल की रम टिकानी पड़ेगी' ऋषभ बोला, वो चाभी लॉक में लगाने की कोशिश कर रहा था लेकिन ठंड से उसके हाथ कांप रहे थे।
'हाँ बस फटाफट कार्टन निकालते हैं और...' बोलते-बोलते वेदांत ठिठक गया। वो ऋषभ के ठीक पीछे खड़ा था और उसे लाइट दिखा रहा था, स्कोर्पियो की पोजीशन ऐसी थी जिससे सराय की बिल्डिंग ठीक सामने पड़ रही थी। वेदांत को लगा कि उसने फिर किसी साए को बिल्डिंग के पीछे की ओर भागते देखा, जहां उसने कारों का कब्रिस्तान देखा था।
'ऋषभ!! यहाँ कोई है'!
'यार वेदांत क्यों डरा रहे हो आप! एक तो ठंड से वैसे ही फ़टी पड़ी है अब आप और चौड़ी कर दो'। ऋषभ क्योंकि लॉक खोलने के लिए झुक हुआ था इसलिए उसका ध्यान उस तरफ नहीं गया था।
'मैं मज़ाक नहीं कर रहा। जब मैं यहाँ आया था उस समय भी मुझे ऐसा लगा था कि इस कंपाउंड में कोई मौजूद है, मैंने किसी को पीछे की तरफ भागते देखा था'।
'लेकिन हम सबलोग तो आने के बाद से बिल्डिंग के अंदर ही हैं'।
'यानी तुमलोगों के अलावा यहाँ कोई और भी है'।
'कहीं मेघना का साइको बाप वापस तो नहीं आ गया'! ऋषभ के चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगीं।
'पता नहीं, लेकिन जो भी है हमें चलकर देखना होगा। आओ ऋषभ'। वेदांत लाइट लेकर बिल्डिंग के पिछले हिस्से की तरफ बढ़ने लगा। ऋषभ वहां से फौरन अंदर भाग जाना चाहता था लेकिन तबतक वेदांत आगे बढ़ चुका था। अनिच्छा से ऋषभ वेदांत के पीछे आया लेकिन दोनों के पीछे पहुंच पाने से पहले ही बिल्डिंग की पहली मंजिल से एक लड़की की चीख़ गूंजी। चीख़ इतनी तीव्र थी कि मूसलाधार बारिश के शोर के बावजूद भी साफ सुनाई दी थी।
'य..ये तो मेघना की आवाज़ है'। ऋषभ की आवाज़ में घबराहट साफ झलक रही थी।
ऋषभ और वेदांत दोनो बगूलों की तरह उछलते हुए वापस अंदर पहुंचे। रोहित, रैना और भव्या सीढ़ियों से ऊपर की तरफ भाग रहे थे। कर्नल थापर लड़खड़ाते कदमों से उठकर अभी सीढ़ियों की तरफ बढ़ ही रह था। वेदांत भी सीढ़ियों की तरफ लपका, ऋषभ उसके पीछे आ रहा था।
वेदांत जबतक ऊपर पहुंचा तबतक रोहित और रैना उस कमरे तक पहुंच गए थे जिसमें रेवा थी। वो दोनों दरवाज़े पर खड़े होकर पागलों की तरह चिल्ला रहे थे। वेदांत ने दोनों को परे ढकेला और भीतर दाखिल हुआ। सामने जो मंज़र था उसे देखकर एक पल के लिए वेदांत के होश भी उड़ गए।
मेघना उसके आगे खड़ी जूड़ी के मरीज़ की तरह थर-थर कांप रही थी, उसका लाया खाने का सामान उसके पैरों के पास फर्श पर बिखरा पड़ा था लेकिन उसके साथ फर्श पर चारों ओर कुछ और भी बिखरा था...ढेर सारा खून। मेघना की बैक वेदांत की तरफ थी। उसके ठीक सामने बेड पर रेवा की लाश थी। उसका पूरा शरीर चाकुओं से गोदा गया था रेवा के खून से सफ़ेद बेडशीट लाल हो गई थी। मेघना अब भी पागलों की तरह चीख़ रही थी।
वेदांत ने हौले से उसके कंधे पर हाथ रखा, मेघना उसकी तरफ पलटी। वेदांत ने ध्यान दिया कि मेघना वहां फर्श पर बिखरे खून पर फिसली थी, फर्श पर खून पर फिसलने के निशान थे और मेघना के कपड़ों पर खून लग गया था।
वेदांत मेघना को चुप कराने की कोशिश करने लगा, डर से कांपती मेघना उससे यूं लिपट गई जैसे कोई बच्चा डर कर अपने बड़े से लिपट जाता है।
ऋषभ और कर्नल भी उसी वक्त वहां पहुंचे।
'ओ माई गॉड! ये..ये क्या हो गया'! कर्नल का सारा नशा एक झटके में हिरन हो गया।
'म..मैं यहां रेवा को खाना देने आई त.. तो मेरा पैर किसी चीज़ पर फिसला... ज..जब मैं उठी तो सामने...र..रेवा..' इससे आगे मेघना ना बोल पाई, उसने डर कर वेदांत के सीने में अपना मुंह छुपा लिया।
वेदांत ने देखा कि कमरे की खिड़की खुली हुई थी, ये वही खिड़की थी जो उसने पीछे गाड़ियों के कब्रिस्तान की तरफ जाते समय देखी थी।
'कर्नल साहब! मेरी बात ध्यान से सुनिए। हमलोगों के अलावा भी यहां कोई और है। जब मैं यहां आया था तब कार पार्क करते समय मेरी गाड़ी की हेडलाइट्स एक साए पर पड़ी। उसका चेहरा मैं नहीं देख पाया लेकिन मैं जानता हूँ कि मुझे कोई वहम नहीं हुआ था। अभी भी जब ऋषभ के साथ मैं बाहर गया था तब भी मैंने उस साए को देखा लेकिन हम उसके पीछे जा पाते उससे पहले ही मेघना की चीख़ सुनाई दी'।
वेदांत ने गंभीर भाव से कहा, कुछ पल के लिए वहां सन्नाटा छा गया।
'कातिल जो भी है वो उसी समय इस खुली खिड़की से अंदर आ गया होगा और घात लगाए बैठा होगा। जैसे ही उसे मौका मिला उसने रेवा का कत्ल कर दिया और फिर इसी खिड़की से निकल कर वापस भाग रहा होगा जब मैंने और ऋषभ ने उसे देखा'।
'म...मेरे फ़ोन में नेटवर्क नहीं आ रहा, क...कोई पुलिस को कॉल करो...क.. कॉल फ़ॉर हेल्प'!! भव्या ने कांपती आवाज़ में कहा, उसके एक हाथ मे मोबाइल थी जिसे वो पागलों की तरह हवा में नचा रही थी।
बाकियों ने भी अपने मोबाइल निकाल कर चेक किए, किसी के फ़ोन में नेटवर्क नहीं था।
'इस पहाड़ी पर वो भी ऐसे तूफानी मौसम में मोबाइल नेटवर्क आने का सवाल ही पैदा नही होता'। कर्नल गंभीर भाव से बोला।
'हमें फौरन यहां से निकल जाना चाहिए, ये जगह सेफ नहीं है'। रोहित बोला।
'लेकिन इस तूफानी बारिश में जाएंगे कैसे'? भव्या ने लगभग रुआंसे होकर कहा।
'कैसे भी जाएं लेकिन जाना पड़ेगा। यहां रहेंगे तो हम सब मरेंगे'।
'जाने की कोशिश करोगे तो भी सब मरोगे। इस मौसम में पहाड़ी रास्ते पर ड्राइव करना अपनी मौत को खुद बुलाना है'। कर्नल सोचपूर्ण मुद्रा में बोल।
'अब एक ही रास्ता है, यहां के सभी खिड़की दरवाज़े अच्छी तरह लॉक करो और सभी लोग सुबह होने तक एक जगह इकट्ठा रहो'।
कर्नल ने फौजी अंदाज़ में फरमान सुनाते हुए कहा।
'कोई भी चीज़ जिसे हथियार की तरह इस्तेमाल कर सको इसे अपने साथ ले लो। किचेन नाइफ, वुड लॉग, आयरन रॉड, कुछ भी...जिसे सेल्फ डिफेंस के लिए यूज़ किया जा सके'।
'एक पागल हत्यारे का सामना इन चीजों से कैसे करेंगे हम'? रैना ने कहा।
'परेशान मत हो, मेरे पास ये है'। कर्नल ने अपने ओवरकोट की भीतरी जेब से एक पॉइंट 32 स्मिथ एंड वेसन रिवॉल्वर निकाल कर दिखाया और फिर दोबारा वापस रख लिया।
'वन्स एन आर्मी मैन, ऑलवेज एन आर्मी मैन'!! कर्नल अब पूरी तरह चौकन्ना नज़र आ रहा था, उसे देखकर कोई कह नहीं सकता था कि बुड्ढे ने एक फुल ओल्ड मॉन्क डकारी हुई है वो भी नीट।
मेघना अब तक वेदांत से अलग हो चुकी थी लेकिन वेदांत का दिल कर रहा था कि वो उसे यूं ही खुद से लगाए रखे, तबतक जबतक वो उसे सुरक्षित उस मनहूस जगह से निकाल नहीं लेता।
'हम लोगों को नीचे लॉबी में ही एकसाथ रहना चाहिए। वहां से इस पूरी इमारत में हो रही कोई भी गतिविधि हमारी नज़र में आ जाएगी और हम बाहरी कंपाउंड पर भी नज़र रख पाएंगे'। वेदांत बोला।
'हाँ, ये सही रहेगा। तबतक मैं और ऋषभ हथियारों के लिए यूज़ होने लायक सामान बटोरते हैं, आप और कर्नल अंकल लड़कियों को लेकर नीचे लॉबी में रहिए'। रोहित ने कहा।
सभी उसकी बात से सहमत हुए, कर्नल और वेदांत के साथ मेघना, रैना और भव्या नीचे लॉबी में आ गए। ऋषभ और रोहित इमारत से संभावित हथियार एकत्र करने लगे।
'मुझे वॉशरूम जाना है' रैना हिचकते हुए बोली।
'यहां नीचे कोई वॉशरूम नहीं है, वॉशरूम के लिए ऊपर जाना पड़ेगा। ऊपर रूम्स में ही अटैच्ड बाथरूम हैं'। मेघना ने चिंतित भाव से कहा।
'कर्नल साहब आप मेघना और भव्या का ध्यान रखिए मैं रैना के साथ जाता हूँ'। वेदांत ने वहां काउंटर के पास पड़े लकड़ी के कुछ लट्ठों में से एक अपने कब्जे में किया, एक बैटरी लाइट ली और रैना के साथ ऊपर कमरों की तरफ बढ़ गया।
कर्नल बिल्कुल चौकन्ना था, उसने रिवॉल्वर निकालकर अपने हाथ मे ले लिया था, मेघना और भव्या उसके पास ही टेबल पर बैठी थीं।
रैना और वेदांत सीढ़ियों से ऊपर पहुंचे।
'र..रुकिए वेदांत...उस तरफ नहीं दूसरे तरफ के कमरे में चलते हैं'। सीढ़ियों से ऊपर जाकर रैना के शरीर ने डर से झुरझुरी ली, वो उस तरफ नही जाना चाहती थी जिधर के कमरे में रेवा की लाश थी। दोनों दूसरे तरफ के एक कमरे में पहुंचे। वहां उनलोगों का सामान वगैरह रखा हुआ था। उस रूम में भी वैसी ही बैटरी लाइट जल रही थी जैसी वेदांत साथ लेकर आया था। रैना वो बैटरी लाइट लेकर कमरे से लगे हुए बाथरूम में चली गयी, वेदांत कमरे में ही रुक रहा।
वेदांत ने ध्यान दिया कि उसके हाथ मे जो बैटरी लाइट थी उसकी रोशनी काफी धीमी हो गयी थी। बैटरी लाइट धीरे-धीरे फुकफुकाने लगी।
'रैना एक बात बताओ, क्या यहां आने के बाद तुमलोगों ने सारे बैटरी लाइट्स एकसाथ जलाई थी'? वेदांत ने सशंकित भाव से पूछा।
'ह..हाँ' बाथरूम के अंदर से रैना की डरी हुई आवाज़ आई।
वेदांत ने फुर्ती से अपनी जेब से मोबाइल निकाला, तबतक बैटरी लाइट डिसचार्ज होकर बन्द हो चुकी थी।
सिर्फ वेदांत की ही नहीं, नीचे लॉबी में मौजूद दोनों बैटरी लाइट्स भी बंद हो गई थीं। कुछ पलों के लिए पूरी इमारत में घुप्प अंधेरा छा गया। उसके बाद लॉबी में खिड़की के काँच टूटने की तीखी आवाज़ हुई, उसके फौरन बाद भव्या की हृदयविदारक चीख़ गूंजी। कर्नल की रिवॉल्वर से तीन गोलियां चलीं।
'रैना बाथरूम का दरवाजा अंदर से बंद रखना और जबतक मैं लौट के ना आऊं बाहर मत निकलना'। वेदांत ने रैना को निर्देश दिया।
वेदांत सीढ़ियों से नीचे की तरफ लपका, वो अपने मोबाइल की टॉर्च जला चुका था। नीचे लॉबी में कर्नल टेबल के पास खड़ा था, उसके हाथ मे थमी रिवॉल्वर की नाल से धुआं उठ रहा था। उसके सामने भव्या की लाश थी, भव्या का गला एक कान से दूसरे कान तक कटा हुआ था। सर धड़ से अलग होने में ज़रा ही कसर बाकी थी। लॉबी के दाहिने तरफ की खिड़की के कांच टूट कर फर्श पर बिखरा था। बाहर से बारिश का पानी हवा के वेग से अंदर आ रहा था और फर्श पर बिखरे भव्या के खून के साथ मिलकर नदी की तरह बह रहा था। रोहित और ऋषभ भी वहां पहुंच चुके थे। लॉबी में जो रौशनी थी वो उन दोनों के मोबाइल टॉर्च की थी, वहां मौजूद दोनो बैटरी लाइट्स बुझ चुकी थीं।
'अंधेरा होते ही वो काँच तोड़कर अंदर आया'। कर्नल की आवाज़ में थर्राहट थी।
'अंधेरे और पानी की बौछार में कुछ समझ नहीं आया कि क्या हुआ। मेरे संभल पाने से पहले ही अंधेरे में अपना काम कर गया बास्टर्ड'!!
'आपने गोलियां चलाई थीं'। वेदांत बोला।
'हाँ, अंधेरे में मैंने तीन फायर किए थे। मुझे यकीन है कि कम से कम एक गोली उसे डेफिनेटली लगी है'।
'मेघना कहां है'? रोहित आतंकित भाव से बोला।
सबका ध्यान मेघना की अनुपस्थिति पर गया उसके बाद लॉबी के मेन डोर पर गया जोकि खुला हुआ था और हवा के थपेड़े से झूल रहा था।
'मेघना उसका पीछा करते हुए बाहर गई है'। कर्नल बोलते हुए बाहर की तरफ लपका। रोहित, ऋषभ और वेदांत भी उसके पीछे लपके।
उसी समय पहली मंजिल पर रैना की चीत्कार गूंजी।
'रैना कहाँ है'? रोहित आतंकित स्वर में चिल्लाया।
'ऊपर बाथरूम में। मैंने उसे मेरे वापस आने तक बाहर निकलने को मना किया था'। वेदांत बोला। सभी सीढ़ियों से ऊपर को लपके।
'दरवाज़ा अंदर से बंद है'। रोहित ने बाथरूम का दरवाजा खोलने की कोशिश की लेकिन दरवाज़ा नही खुला।
'रैना! रैना'!!
अंदर से कोई जवाब नहीं आया।
'दरवाज़ा तोड़ो लड़कों'! कर्नल बोला।
वेदांत, ऋषभ और रोहित ने मिलकर दरवाज़ा तोड़ा। मोबाइल की रौशनी अंदर के मंज़र पर पड़ी। बाथरूम के बाथटब में रैना की रक्तरंजित लाश थी।
'रैना'!! रोहित उस दृश्य को देखकर अपने होशोहवास खो बैठा। उसने पागलों की तरह रैना की लाश को सीने से लगा लिया और दहाड़े मार कर रोने लगा।
कर्नल और वेदांत की नज़र बाथरूम की खुली हुई खिड़की की ओर थी। पहली मंजिल की इस खिड़की का रुख पीछे कारों के कब्रिस्तान की तरफ था।
'वो यहां इस पाइप से चढ़कर इस खिड़की के रास्ते भीतर आया होगा'। वेदांत खिड़की से बाहर झांक रहा था, उसकी मोबाइल की रौशनी खिड़की के पास से गुजरते मोटे पाइप पर थी। उसके पीछे खड़े कर्नल ने सहमति में सर हिलाया।
उसी समय आसमान में जोरदार बिजली कड़की, वातावरण में एक बार फिर दिन से उजाला छा गया। इस उजाले में कारों के कब्रिस्तान के पास खड़ा साया उन्हें साफ दिखाई दिया। उसे देखकर कर्नल की सिसकारी निकल गई।
'य..यह तो रमेश तेहिल्यानी है'!!
उस शख्स के बाल, दाढ़ी-मूंछ बढ़े हुए थे, शरीर पर मैले और फटे कपड़े थे जिनपर ढेर सारा खून लगा हुआ था। इस वक्त वो वाकई एक पागल हत्यारा लग रहा था।
वेदांत और कर्नल का ध्यान रमेश तेहिल्यानी के पीछे मेघना पर गया जोकि हाथ में एक क्रो बार पकड़े हुए थी और घात लगाकर उसपर वार करने बढ़ रही थी।
मेघना की क्रो बार का वार रमेश तेहिल्यानी पर हुआ उसी समय आकाशीय बिजली बंद हो गई, वातावरण में घटाटोप अंधेरा और मूसलाधार बारिश रह गए, जिनके बीच मेघना की दर्द में दोहरी हुई आवाज़ गूंजी।
'उसने मेघना पर वार किया है'। वेदांत बदहवास सा बाथरूम से बाहर भगा, कर्नल और ऋषभ भी उसके साथ आए जबकि रोहित वहीं पागलों की तरह रैना की लाश को सीने से लगाए हुए रुदन कर रहा था।
'इस हरामज़ादे को छोडूंगा नहीं मैं। सबकी मौत का बदला अपनी जान से चुकाएगा ये पागल हत्यारा'। ऋषभ गुस्से में पागल हुआ जा रहा था।
तीनो पीछे कंपाउंड में पहुंचे। वहां कोई नहीं था। ऋषभ ने अपने फोन की लाइट चारों ओर घुमाई।
'शिट!! मेरा मोबाइल काम नहीं कर रहा, शायद मोबाइल में पानी चला गया है'। ऋषभ का मोबाइल ऑफ हो गया।
'कर्नल साहब मोबाइल मत निकालिएगा वर्ना अगर हम दोनों के मोबाइल भी खराब हो गए तो हमारी हालात शेर की मांद में निहत्थे बकरे जैसी हो जाएगी'। वेदांत बोला। तीनों अंधेरे और बरसात में देखने की कोशिश कर रहे थे।
'इस अंधेरे में हम उसे नहीं ढूंढ सकते। वी आर सिटिंग डक्स फ़ॉर हिम'। कर्नल ने चिंतित भाव से कहा।
'लाइट की व्यवस्था हो सकती है! ऋषभ!! भाग कर स्कॉर्पियो यहां लेकर आ'! वेदांत ने कहा।
'अरे हाँ! उसकी हेडलाइट्स'! ऋषभ कंपाउंड के पिछले हिस्से से आगे की तरफ भागा जहां स्कॉर्पियो खड़ी थी।
वेदांत और कर्नल बैक टू बैक खड़े थे, ज़रा सी आहट पर भी अटैक करने को तैयार और पूरी तरह चौकन्ने। कर्नल के हाथ मे उसका रिवॉल्वर था और वेदांत के हाथ मे वुड लॉग।
ऋषभ स्कॉर्पियो तक पहुंचा तब उसे ध्यान आया कि पहली बार हड़बड़ी में वो गाड़ी की चाभियाँ दरवाजे में ही लगी भूल गया था।
'कहीं अंदर ही तो नहीं छुपा बैठा कमीना'।
ऋषभ ने मन ही मन सोचा, उसके हाथ में एक आयरन रॉड थी, उसने मजबूती से उसे पकड़ लिया और सावधानीपूर्वक दरवाज़ा खोला| भीतर कोई भी नहीं था, ऋषभ ने चैन की सांस ली और लपक कर ड्राइविंग सीट पर सवार हुआ| उसने चाभी इग्निशन में लगा कर गाड़ी स्टार्ट की और अपना पाँव एक्सिलरेटर पर पूरा दबा दिया, गाड़ी किसी दानव की तरह हुंकार भरती हुई आगे बढ़ी|
रोहित अभी भी रैना की लाश को सीने से लगाए हुए था और जार-जार रो रहा था|
बाथरूम के बाहर कमरे में किसी के आने की आहट हुई|
'गाइस, वो कमीना पकड़ में आ गया क्या? उसे अपने हाथों से मारूंगा मैं! चाकुओं से गोद-गोद कर, ठीक वैसे ही जैसे उसने मेरी रैना को मारा है'|
रोहित की बात का कोई उत्तर नहीं आया|
'गाइस'?
इस बार भी कोई जवाब ना आया| रोहित अपनी जगह से उठा, उसने हाथ में मोबाइल लिया और उसकी रौशनी में बाथरूम से कमरे की तरफ बढ़ा|
अभी वो बाथरूम की चौखट तक ही पहुंचा था कि एक सनसनाता हाथ उसपर आया, चाक़ू का मोटा फल उसकी गर्दन में पैवस्त हो गया| हत्यारे ने पूरी बेरहमी से फल उसकी गर्दन से बाहर निकाला, खून का फौवारा उसकी गर्दन से छूट निकला|
किसी कटे पेड़ के मानिंद रोहित नीचे गिरा, आखों के आगे अँधेरा छाने से पहले आखरी बार उसने अपने मोबाइल की रौशनी में हत्यारे का चेहरा देखा| हत्यारा उसके सीने पर सवार था और चाक़ू से उसे गोद रहा था|
कर्नल और वेदांत किसी भी आहट के लिए चौकन्ने थे, बारिश के शोर के बावजूद उनके कान छोटी से छोटी आवाज़ पर खड़े हो जाते|
वातावरण में बारिश के शोर के साथ-साथ स्कॉर्पियो के इंजन की हुंकार भी गूँज उठी|
'ऋषभ स्कॉर्पियो लेकर आ गया'| वेदांत और कर्नल के उस दिशा में देखा|
'लेकिन ये गाड़ी की रफ़्तार कम क्यों नहीं कर रहा'?
'गाड़ी हमारी तरफ ही आ रही है, सामने से हट जाइए कर्नल साहब'!! वेदांत चिल्लाया, कर्नल और वेदांत दोनों ने अलग-अलग दिशा में छलांग लगा दी| स्कॉर्पियो उनके बीच से हुंकार भरती हुई पीछे गाड़ियों के कब्रिस्तान की तरफ पूरे वेग से बढ़ गई|
उन्हें सिर्फ ऋषभ के आखरी शब्द सुनाई दिए, 'कमीने ने गाड़ी के ब्रेक फेल कर दिए'!!
इसके बाद एक ज़ोरदार धमाका हुआ, कुछ पल के लिए वेदांत और कर्नल की चेतना लोप हो गई|
वेदांत की आँख खुली तब वो ज़मीन पर कीचड़ में लसड़ा पड़ा था| उसने बड़ी मुश्किल से खुद को उठाया, सामने स्कॉर्पियो टूटी हुई गाड़ियों के साथ धूं-धूं करके जल रही थी| उसके अंदर ऋषभ की लाश भी जल रही थी|
रोहित अभी भी रैना की लाश को सीने से लगाए हुए था और जार-जार रो रहा था|
बाथरूम के बाहर कमरे में किसी के आने की आहट हुई|
'गाइस, वो कमीना पकड़ में आ गया क्या? उसे अपने हाथों से मारूंगा मैं! चाकुओं से गोद-गोद कर, ठीक वैसे ही जैसे उसने मेरी रैना को मारा है'|
रोहित की बात का कोई उत्तर नहीं आया|
'गाइस'?
इस बार भी कोई जवाब ना आया| रोहित अपनी जगह से उठा, उसने हाथ में मोबाइल लिया और उसकी रौशनी में बाथरूम से कमरे की तरफ बढ़ा|
अभी वो बाथरूम की चौखट तक ही पहुंचा था कि एक सनसनाता हाथ उसपर आया, चाक़ू का मोटा फल उसकी गर्दन में पैवस्त हो गया| हत्यारे ने पूरी बेरहमी से फल उसकी गर्दन से बाहर निकाला, खून का फौवारा उसकी गर्दन से छूट निकला|
किसी कटे पेड़ के मानिंद रोहित नीचे गिरा, आखों के आगे अँधेरा छाने से पहले आखरी बार उसने अपने मोबाइल की रौशनी में हत्यारे का चेहरा देखा| हत्यारा उसके सीने पर सवार था और चाक़ू से उसे गोद रहा था|
कर्नल और वेदांत किसी भी आहट के लिए चौकन्ने थे, बारिश के शोर के बावजूद उनके कान छोटी से छोटी आवाज़ पर खड़े हो जाते|
वातावरण में बारिश के शोर के साथ-साथ स्कॉर्पियो के इंजन की हुंकार भी गूँज उठी|
'ऋषभ स्कॉर्पियो लेकर आ गया'| वेदांत और कर्नल के उस दिशा में देखा|
'लेकिन ये गाड़ी की रफ़्तार कम क्यों नहीं कर रहा'?
'गाड़ी हमारी तरफ ही आ रही है, सामने से हट जाइए कर्नल साहब'!! वेदांत चिल्लाया, कर्नल और वेदांत दोनों ने अलग-अलग दिशा में छलांग लगा दी| स्कॉर्पियो उनके बीच से हुंकार भरती हुई पीछे गाड़ियों के कब्रिस्तान की तरफ पूरे वेग से बढ़ गई|
उन्हें सिर्फ ऋषभ के आखरी शब्द सुनाई दिए, 'कमीने ने गाड़ी के ब्रेक फेल कर दिए'!!
इसके बाद एक ज़ोरदार धमाका हुआ, कुछ पल के लिए वेदांत और कर्नल की चेतना लोप हो गई|
वेदांत की आँख खुली तब वो ज़मीन पर कीचड़ में लसड़ा पड़ा था| उसने बड़ी मुश्किल से खुद को उठाया, सामने स्कॉर्पियो टूटी हुई गाड़ियों के साथ धूं-धूं करके जल रही थी| उसके अंदर ऋषभ की लाश भी जल रही थी|
वेदांत का सर दर्द से फट रहा था, उसने नजर घुमाई| उसकी रीढ़ में सिहरन दौड़ गई|
कर्नल उससे कुछ दूरी पर बेहोश पड़ा था, उसके पास ही एक शख्स खड़ा था जोकि रमेश तेहिल्यानी था| स्कॉर्पियो के जलने से वातावरण में ठीक-ठाक उजाला हो गया था जिसमें सबकुछ साफ़ नज़र आ रहा था|
वुड लॉग वेदांत के पास ही पड़ा था, उसने पूरी हिम्मत बटोर कर वुड लॉग रमेश के ऊपर फेंका| लट्ठा उसके सर से टकराया| रमेश पछाड़ खाकर पीछे गिरा, कर्नल को उसी समय होश आ गया|
रमेश के उठने की कोशिश करते ही कर्नल ने दो गोलियां उसपर दाग दीं|
वेदांत भागते हुए उसके पास आया|
'आप ठीक तो हैं कर्नल'?
'मैं ठीक हूँ, आखिरकार ये पागल हत्यारा हमारे हाथ आ ही गया'| कर्नल अपनी उखड़ी सांस पर काबू पाते हुए बोला|
कर्नल उससे कुछ दूरी पर बेहोश पड़ा था, उसके पास ही एक शख्स खड़ा था जोकि रमेश तेहिल्यानी था| स्कॉर्पियो के जलने से वातावरण में ठीक-ठाक उजाला हो गया था जिसमें सबकुछ साफ़ नज़र आ रहा था|
वुड लॉग वेदांत के पास ही पड़ा था, उसने पूरी हिम्मत बटोर कर वुड लॉग रमेश के ऊपर फेंका| लट्ठा उसके सर से टकराया| रमेश पछाड़ खाकर पीछे गिरा, कर्नल को उसी समय होश आ गया|
रमेश के उठने की कोशिश करते ही कर्नल ने दो गोलियां उसपर दाग दीं|
वेदांत भागते हुए उसके पास आया|
'आप ठीक तो हैं कर्नल'?
'मैं ठीक हूँ, आखिरकार ये पागल हत्यारा हमारे हाथ आ ही गया'| कर्नल अपनी उखड़ी सांस पर काबू पाते हुए बोला|
'म..मेरी बात स...सुनो...म...मैं पागल हत्यारा नहीं हूँ'!! नीचे गिरे रमेश ने तड़पते हुए कहा|
'शटअप यू सिक सन ऑफ़ ए बिच! तूने तो खुद अपनी बीवी और बेटी को भी नहीं बक्शा'!! कर्नल क्रोध में फुफकारते हुए बोला|
'म..मेरा यकीन करो थापर, म..मैंने अपनी जिंदगी में सिर्फ एक ही खून किया है...अ...अपनी बीवी शकुंतला देवी का'|
'और जो बीस लोगों की लाशें यहाँ शकुंतला इन से बरामद हुई थीं...'
कर्नल की बात रमेश ने बीच में ही काट दी, 'उनका कत्ल मेरी बीवी शकुंतला ने किया था'!!
दो पल के लिए वेदांत और कर्नल आवाक रह गए|
'म..मेरा यकीन करो थापर...म...मैं मर रहा हूँ...मरता हुआ इंसान कभी झ...झूठ नहीं बोलता'|
'शकुंतला की मानसिक हालत ठीक नहीं थी लेकिन वो इस हद तक बीमार है इसका अंदेशा मुझे नहीं था| जब यहाँ शकुंतला इन से एक-एक करके लोग गायब होने लगे तब मुझे शक हुआ...म..मैंने सबसे पहले अ...अपनी बेटी को यहाँ से सुरक्षित उसकी नानी के प..पास भेज दिया| फिर मैं शकुंतला से इस विषय पर ब...बात करने गया लेकिन वो ग...गुस्से में पागल हो उठी और मुझे ही मारने की कोशिश करने लगी| उस समय खुद को बचाने का सिर्फ एक ही तरीका था...श...शकुंतला की जान लेना'|
'जब मैं उसे मार रहा था ठीक उ...उसी समय पुलिस यहाँ आ गई और मुझे गिरफ्तार कर लिया'|
'लेकिन तुम पुलिस से भागे क्यों और तुमने कभी सामने आकर यह सच्चाई दुनिया को और अपनी बेटी को क्यों नहीं बताई'? कर्नल बोला|
'क्योंकि कोई इस बात पर यकीन नहीं करता| मैं रंगे हाथों खून करता पकड़ा गया था, मेरी खुद की बेटी मुझसे नफरत करती थी| भला मेरी बात कौन मानता'|
'म..मैं काफी समय तक पहाड़ी जंगलों में भटकता रहा, फ..फिर हर कोई इस जगह को भूल गया| मैं यहाँ वापस आकर एक मौत से भी बद्तर गुमनाम जिंदगी बिताने लगा'|
'अगर तुमने जो कुछ भी कहा वो सच है तो तुमने मेघना और उसके दोस्तों को क्यों मारा'? वेदांत बोला|
'म...मैंने उन्हें नहीं मारा, म..मैं तो उन्हें बच...बचाने की कोशिश कर रहा था'|
'बचाने की कोशिश? लेकिन किससे'?
वेदांत के आखरी सवाल का कोई जवाब नहीं मिला, रमेश के प्राण पखेरू उड़ चुके थे|
कर्नल और वेदांत एक-दूसरे को देख रहे थे|
'अगर ये हत्यारा नहीं है तो...रोहित की जान खतरे में है'!! वेदांत सोचपूर्ण भाव से बोला|
कर्नल और वेदांत इमारत के अंदर की ओर भागे| इमारत की लॉबी में घुप्प अन्धकार था, तभी हवा में कुछ सनसनाने की आवाज़ हुई| एक उड़ता हुआ चाक़ू सीधे आकर कर्नल के माथे में घुस गया| कर्नल कटे वृक्ष सा धराशाई हुआ|
उसी समय आसमान में एकबार फिर बिजली चमकी, वेदांत ने अपने सामने खड़े कातिल का चेहरा साफ़-साफ़ देखा|
मेघना उसे पहली बार जितनी खूबसूरत दिखाई दी थी अभी उतनी ही बदसूरत और भयावह नजर आ रही थी|
'मेघना तुम...तुम...' वेदांत के गले में आवाज़ फंस रही थी|
'मैंने कहा था ना मुझे अपनी माँ का सपना पूरा करना है...वही कर रही हूँ मैं| यही तो है मेरी माँ का सपना...हीहीही'!! उसकी आवाज़ से पागलपन साफ़ झलक रहा था|
'मैं यहाँ आई तो इसी उद्देश्य से थी कि इस जगह को एक रेसॉर्ट बनाउंगी| लेकिन यहाँ आकर बेसमेंट में यहाँ का ब्लूप्रिंट मैप ढूंढते हुए मुझे माँ की लिखी एक डायरी मिली| उस डायरी से ही मुझे पता चला कि यहाँ हुए सारे खून उन्होंने किए थे'|
'बेवकूफ लड़की, तुम्हारे पास ये एक मौका था कि अपने माँ के किए अपराधों को पीछे छोड़कर एक नया भविष्य बनाओ, लेकिन तुमने उसके ही नक्शेकदम पर चलने का फैसला किया'| वेदांत चिल्लाया| उसने अपने हाथ में मोबाइल ले लिया था और उसकी टॉर्च लाइट मेघना की ओर किए हुए था|
'तुम नहीं जानते वेदांत, बचपन से ही मुझे खून कितना आकर्षित करता था| मैं हमेशा लोगों को जानवरों की तरह भगा-भगा कर उनका शिकार करने के सपने देखती थी| लेकिन मुझे लगता था कि मुझे ये पागलपन अपने बाप से विरासत में मिला है और मैं अपने बाप से नफरत करती थी, मुझे अपनी माँ जैसा बनना था इसलिए अपनी इन इच्छाओं को मैंने अपने अंतर्मन में दफन कर लिया| पर माँ की डायरी पढ़कर मुझे सच का पता चला कि मैं अपने वजूद के जिस हिस्से को दबा रही थी वही तो मुझे मेरी माँ जैसा बनाता था| बस मैंने उसी समय फैसला कर लिया कि माँ के अधूरे काम को अब मैं पूरा करुँगी| इन सबका मरना तो तय था, तुझे शायद तेरी मौत ही यहाँ खींच लाई'| फुफकारती हुई मेघना बोली|
'तुम्हारा पागलपन तुम्हारे पूरे वजूद पर हावी है मेघना, खुद को संभालने की कोशिश करो'!! वेदांत ने उसकी इंसानियत को जगाने की आखरी कोशिश की|
'मेरा पागलपन ही मेरा वजूद है, मेरी माँ की धरोहर है! बस यहाँ अपने मनहूस बाप के होने की अपेक्षा नहीं थी मुझे| वो जल्द ही समझ गया था कि मैं अपनी माँ का काम पूरा कर रही हूँ, बेचारा हर बार तुमलोगों को आगाह करने की कोशिश करता लेकिन तुमलोग उसे ही हत्यारा समझते रहे'|
'अब तुम्हे मारकर मैं इन सारी मौतों का इलज़ाम अपने बाप पर लगा दूँगी| दुनिया के लिए मैं एक बेचारी, अबला लड़की ही रहूंगी'| अपने आखरी वाक्य के साथ मेघना ने वेदांत पर छलांग लगा दी|
वेदांत फ़ौरन ज़मीन पर गिरा, उसके बगल में ही कर्नल की लाश थी जिसके हाथ में अब भी रिवॉल्वर था| रिवॉल्वर की आखरी गोली उसने मेघना पर चला दी| मेघना का शरीर वेदांत के ऊपर आकर गिरा|
मेघना एकबार फिर वेदांत के जिस्म से लगी हुई थी, लेकिन इस बार उसके दिल में मेघना के लिए वो भाव नहीं थे जो पिछली बार थे| उसने मेघना की लाश अपने से परे धकेल दी|
सुबह हो रही थी, तूफ़ान और बारिश भी थम रहे थे|
समाप्त.
'शटअप यू सिक सन ऑफ़ ए बिच! तूने तो खुद अपनी बीवी और बेटी को भी नहीं बक्शा'!! कर्नल क्रोध में फुफकारते हुए बोला|
'म..मेरा यकीन करो थापर, म..मैंने अपनी जिंदगी में सिर्फ एक ही खून किया है...अ...अपनी बीवी शकुंतला देवी का'|
'और जो बीस लोगों की लाशें यहाँ शकुंतला इन से बरामद हुई थीं...'
कर्नल की बात रमेश ने बीच में ही काट दी, 'उनका कत्ल मेरी बीवी शकुंतला ने किया था'!!
दो पल के लिए वेदांत और कर्नल आवाक रह गए|
'म..मेरा यकीन करो थापर...म...मैं मर रहा हूँ...मरता हुआ इंसान कभी झ...झूठ नहीं बोलता'|
'शकुंतला की मानसिक हालत ठीक नहीं थी लेकिन वो इस हद तक बीमार है इसका अंदेशा मुझे नहीं था| जब यहाँ शकुंतला इन से एक-एक करके लोग गायब होने लगे तब मुझे शक हुआ...म..मैंने सबसे पहले अ...अपनी बेटी को यहाँ से सुरक्षित उसकी नानी के प..पास भेज दिया| फिर मैं शकुंतला से इस विषय पर ब...बात करने गया लेकिन वो ग...गुस्से में पागल हो उठी और मुझे ही मारने की कोशिश करने लगी| उस समय खुद को बचाने का सिर्फ एक ही तरीका था...श...शकुंतला की जान लेना'|
'जब मैं उसे मार रहा था ठीक उ...उसी समय पुलिस यहाँ आ गई और मुझे गिरफ्तार कर लिया'|
'लेकिन तुम पुलिस से भागे क्यों और तुमने कभी सामने आकर यह सच्चाई दुनिया को और अपनी बेटी को क्यों नहीं बताई'? कर्नल बोला|
'क्योंकि कोई इस बात पर यकीन नहीं करता| मैं रंगे हाथों खून करता पकड़ा गया था, मेरी खुद की बेटी मुझसे नफरत करती थी| भला मेरी बात कौन मानता'|
'म..मैं काफी समय तक पहाड़ी जंगलों में भटकता रहा, फ..फिर हर कोई इस जगह को भूल गया| मैं यहाँ वापस आकर एक मौत से भी बद्तर गुमनाम जिंदगी बिताने लगा'|
'अगर तुमने जो कुछ भी कहा वो सच है तो तुमने मेघना और उसके दोस्तों को क्यों मारा'? वेदांत बोला|
'म...मैंने उन्हें नहीं मारा, म..मैं तो उन्हें बच...बचाने की कोशिश कर रहा था'|
'बचाने की कोशिश? लेकिन किससे'?
वेदांत के आखरी सवाल का कोई जवाब नहीं मिला, रमेश के प्राण पखेरू उड़ चुके थे|
कर्नल और वेदांत एक-दूसरे को देख रहे थे|
'अगर ये हत्यारा नहीं है तो...रोहित की जान खतरे में है'!! वेदांत सोचपूर्ण भाव से बोला|
कर्नल और वेदांत इमारत के अंदर की ओर भागे| इमारत की लॉबी में घुप्प अन्धकार था, तभी हवा में कुछ सनसनाने की आवाज़ हुई| एक उड़ता हुआ चाक़ू सीधे आकर कर्नल के माथे में घुस गया| कर्नल कटे वृक्ष सा धराशाई हुआ|
उसी समय आसमान में एकबार फिर बिजली चमकी, वेदांत ने अपने सामने खड़े कातिल का चेहरा साफ़-साफ़ देखा|
मेघना उसे पहली बार जितनी खूबसूरत दिखाई दी थी अभी उतनी ही बदसूरत और भयावह नजर आ रही थी|
'मेघना तुम...तुम...' वेदांत के गले में आवाज़ फंस रही थी|
'मैंने कहा था ना मुझे अपनी माँ का सपना पूरा करना है...वही कर रही हूँ मैं| यही तो है मेरी माँ का सपना...हीहीही'!! उसकी आवाज़ से पागलपन साफ़ झलक रहा था|
'मैं यहाँ आई तो इसी उद्देश्य से थी कि इस जगह को एक रेसॉर्ट बनाउंगी| लेकिन यहाँ आकर बेसमेंट में यहाँ का ब्लूप्रिंट मैप ढूंढते हुए मुझे माँ की लिखी एक डायरी मिली| उस डायरी से ही मुझे पता चला कि यहाँ हुए सारे खून उन्होंने किए थे'|
'बेवकूफ लड़की, तुम्हारे पास ये एक मौका था कि अपने माँ के किए अपराधों को पीछे छोड़कर एक नया भविष्य बनाओ, लेकिन तुमने उसके ही नक्शेकदम पर चलने का फैसला किया'| वेदांत चिल्लाया| उसने अपने हाथ में मोबाइल ले लिया था और उसकी टॉर्च लाइट मेघना की ओर किए हुए था|
'तुम नहीं जानते वेदांत, बचपन से ही मुझे खून कितना आकर्षित करता था| मैं हमेशा लोगों को जानवरों की तरह भगा-भगा कर उनका शिकार करने के सपने देखती थी| लेकिन मुझे लगता था कि मुझे ये पागलपन अपने बाप से विरासत में मिला है और मैं अपने बाप से नफरत करती थी, मुझे अपनी माँ जैसा बनना था इसलिए अपनी इन इच्छाओं को मैंने अपने अंतर्मन में दफन कर लिया| पर माँ की डायरी पढ़कर मुझे सच का पता चला कि मैं अपने वजूद के जिस हिस्से को दबा रही थी वही तो मुझे मेरी माँ जैसा बनाता था| बस मैंने उसी समय फैसला कर लिया कि माँ के अधूरे काम को अब मैं पूरा करुँगी| इन सबका मरना तो तय था, तुझे शायद तेरी मौत ही यहाँ खींच लाई'| फुफकारती हुई मेघना बोली|
'तुम्हारा पागलपन तुम्हारे पूरे वजूद पर हावी है मेघना, खुद को संभालने की कोशिश करो'!! वेदांत ने उसकी इंसानियत को जगाने की आखरी कोशिश की|
'मेरा पागलपन ही मेरा वजूद है, मेरी माँ की धरोहर है! बस यहाँ अपने मनहूस बाप के होने की अपेक्षा नहीं थी मुझे| वो जल्द ही समझ गया था कि मैं अपनी माँ का काम पूरा कर रही हूँ, बेचारा हर बार तुमलोगों को आगाह करने की कोशिश करता लेकिन तुमलोग उसे ही हत्यारा समझते रहे'|
'अब तुम्हे मारकर मैं इन सारी मौतों का इलज़ाम अपने बाप पर लगा दूँगी| दुनिया के लिए मैं एक बेचारी, अबला लड़की ही रहूंगी'| अपने आखरी वाक्य के साथ मेघना ने वेदांत पर छलांग लगा दी|
वेदांत फ़ौरन ज़मीन पर गिरा, उसके बगल में ही कर्नल की लाश थी जिसके हाथ में अब भी रिवॉल्वर था| रिवॉल्वर की आखरी गोली उसने मेघना पर चला दी| मेघना का शरीर वेदांत के ऊपर आकर गिरा|
मेघना एकबार फिर वेदांत के जिस्म से लगी हुई थी, लेकिन इस बार उसके दिल में मेघना के लिए वो भाव नहीं थे जो पिछली बार थे| उसने मेघना की लाश अपने से परे धकेल दी|
सुबह हो रही थी, तूफ़ान और बारिश भी थम रहे थे|
समाप्त.
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