Monday, March 26, 2018

Where's the Werewolf - Conclusion.


  

NOTE: इस कहानी का क्लीमैक्स ब्लॉग और प्रतिलिपी से हटाया जा रहा है। यह नॉवेल अब फ्लाईड्रीम्स पब्लिकेशन्स द्वारा प्रकाशित की जा रही है। कहानी का अंत जानने के लिए आज ही अपनी प्रति बुक करें। लिंक नीचे और कमेंट सेक्शन में दिया गया है। आप सभी के सहियोग के लिए सादर धन्यवाद।

https://bit.ly/2MMuG56



आसमान में उस घड़ी चाँद के आपास से बादल छंट गए थे, पूर्णमासी का चाँद सीपी से निकले किसी

 चमकीले मोती की तरह अपनी चांदनी की अनुपम छटा चारों ओर बिखेर रहा था| ऐसा लग रहा था जैसे ब्लैक ऑर्किड वुड्स के हर एक पत्ते, हर एक ज़र्रे को चांदनी की चादर ने ढंक लिया हो|

ब्लैक ऑर्किड वुड्स के बीचोंबीच पड़ने वाली झील की सतह भी चांदनी से यूं चमचमा रही थी जैसे उसपर चांदी का वर्क चढ़ा दिया गया हो| झील की इस चांदी सी चमचमाहट में एक और रंग भी घुल रहा था...लहू का लाल रंग जोकि झील में डूबते अमित के कटे हुए सर से निकल रहा था| इसके अलावा अमित का निष्प्राण धड झील के पास ही गिरा हुआ था जिससे रिसता खून नाले की तरह बहता हुआ झील में गिर रहा था| 

'गुरुमंग!! किशोर!! केविन!!' 

इशिका गला फाड़-फाड़ कर चीख रही थी, ऐसा लग रहा था जैसे उसकी आवाज़ जंगल के ऊंचे देवदारों से टकराकर वापस गूँज रही हो|
उसकी इस करुण पुकार का कोई प्रत्युत्तर नहीं आया|

वेयरवोल्फ ठीक उसके सामने था, उसके चेहरे पर सिर्फ एक ही भाव थे...घोर निर्ममता के|

इशिका को समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे|

वेयरवोल्फ बहुत ही स्थिर क़दमों से इशिका की ओर बढ़ा, कभी वो नीचे गिरी हुई अमित की लाश को देख रहा था तो कभी भय से थर-थर कांपती इशिका को| 
वेयरवोल्फ इंसानों की भाँती अपने पिछले दोनों पैरों पर खड़ा होकर चल रहा था, अपने अगले दो पंजे इंसानी हाथों की तरह हवा में हिलाकर वो इशिका की तरफ कुछ इशारा कर रहा था|

लेकिन इशिका उस घड़ी कोई भी इशारा समझने के मूड में नहीं थी, उसे बस इतना समझ आ रहा था कि वेयरवोल्फ के रूप में एक भयंकर और दर्दनाक मौत आहिस्ता-आहिस्ता उसकी तरफ बढ़ रही थी और अगर उसने जल्द ही खुद को बचाने के लिए कुछ ना किया तो उसका सर भी अमित के सर के साथ झील की गहराई नाप रहा होगा|

वेयरवोल्फ स्थिर कदमों से इशिका की तरफ बढ़ा, इशिका पीछे मुड़ी और दौड़ पड़ी| वो जानती थी कि भाग कर खुद को उस वहशी से नहीं बचा सकती थी, लेकिन उसका ऐसा करने का कोई इरादा भी नहीं था| 
इशिका ने अपने सबसे करीब के देवदार तक पहुँचने के लिए दौड़ लगाई थी|

इशिका इस उम्मीद में पेड़ पर चढ़ रही थी कि शायद वो मानवभेड़िया उसके पीछे पेड़ के ऊपर ना आ पाए| अपनी जी-जान का हर कतरा लगाकर इशिका बेतहाशा उस पेड़ पर चढ़ रही थी| पेड़ पर काफी ऊपर तक चढ़ जाने के बाद उसने बड़ी मुश्किल से कंधे के ऊपर गर्दन उचकाकर पीछे देखा|
वेयरवोल्फ उसके पीछे पेड़ पर नहीं चढ़ रहा था, बल्कि वो इशिका का पीछा ही नहीं कर रहा था| वो अबतक उसी जगह खड़ा हुआ था जहां पहले खड़ा था, कभी वो अमित की सरविहीन लाश को देख रहा था तो कभी पेड़ के ऊपर चढ़ी हुई इशिका को|

हालांकि उसके चेहरे पर नाच रही हिंसकता यथावत थी लेकिन उसकी बॉडीलैंग्वेज में इशिका को एक असहजता, एक अनिश्चितता, एक असमंजस का भाव नजर आया|
कुछ देर तक यूं ही अनिश्चितता से वो वेयरवोल्फ कभी इशिका और कभी अमित की लाश को देखता रहा फिर एका-एक पलटा और लम्बी झाड़ियों के पीछे लोप हो गया|
इशिका ने चैन की सांस ली|, उसका दिल अभी भी इतनी जोर से धडक रहा था कि कभी भी उछल कर मुंह से बाहर निकल आएगा|

कुछ देर बाद इशिका की सासें स्थिर हुई, अब इशिका को एहसास हुआ  कि  वो पेड़ पर काफी ऊपर तक चढ़ गई है| इतना ऊपर कि उसे पेड़ की फुनगी तक नजर आ रही थी| इशिका की आखें अपने ऊपर से गुज़र रही मोटी डाल और उसपर पत्तों के झुरमुट के बीच किसी चीज़ पर अटक गईं| वहां कुछ ऐसा था जो वहां नहीं होना चाहिए था, कुछ ऐसा जिसके वहां होने की कल्पना भी इशिका ने नहीं की थी| इशिका इस कदर चौंकी कि एकपल को उसे लगा कहीं उसकी पकड़ पेड़ के तने से ना छूट जाए| उसने अपने दोनों पैर कैंची की तरह तने के गिर्द लपेटे हुए थे, बाएं हाथ से तना पकडे हुए थी और दायाँ हाथ सावधानीपूर्वक उसने ऊपर पत्तों के झुरमुट की ओर बढाया| 

इशिका की उंगलियाँ काँप रही थीं, उसका दिमाग सायं-सायं कर रहा था| क्या वाकई उन पत्तों के झुरमुट के पीछे वही था जो उसे लग रहा था या फिर उसका डरा हुआ दिमाग उससे खेल खेल रहा था! 
पत्तियों को पार करते हुए उसकी कांपती उंगलियाँ किसी चीज़ से टकराईं, नहीं, ये इशिका का वहम नहीं था| इशिका के दिमाग में विचारों की आंधियां कौंध रही थीं|


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