मोक्ष के जीवन का एक ही उद्देश्य था, माया को अपना बनाना किन्तु माया किसी पुरुष के प्रेमपाश में बंध कर रहने वाली लड़की नहीं थी।
मोक्ष जितनी बेइंतहा मुहब्बत माया से करता था उतनी ही नफरत माया मोक्ष से करती थी।
आरण्यक...एक ऐसा संसार जहां मानव, पशु, यक्ष, गंधर्व, किन्नर, विलक्षण पशुमानव, दानव, ब्रह्मराक्षस सभी बसते थे। एक ऐसी दुनिया जो ऐयारी, जादूगरी, तंत्र और तिलिस्म और दैवीय शक्तियों से भरपूर थी।
एक ऐसी सभ्यता जिसका अस्तित्व आरण्यक के दो सर्वशक्तिशाली राज्यों अरावली और वरुणावर्त के उत्तराधिकारियों मोक्ष और माया के मिलन पर टिका था।
क्या हुआ जब माया और मोक्ष टकराए? क्या हुआ जब मुहब्बत की बिसात पर ऐयारी और चालबाज़ी की बाज़ी बिछी? जब तिलिस्म और तंत्र टकराये अतिमानवीय शक्तियों से!
जवाब लेकर जल्द ही प्रस्तुत होगा धारावाहिक उपन्यास 'आरण्यक के संरक्षक' ।
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